प्राइवेट ट्रेनों के लिए रेलवे द्वारा फिर आमंत्रित की जाएंगी बोलियां
रेलवे ने 100 रेल मार्गों की सूची तैयार की है, जिन पर निजी कंपनियों को प्राइवेट ट्रेन चलाने की अनुमति दी जा सकती है!
भारतीय रेल ने नए वित्त वर्ष में निजी कंपनियों से प्राइवेट ट्रेन चलाने के लिए बोलियां आमंत्रित करने की योजना बनाई है। यह बोलियां 150 ट्रेनों के लिए लगाई जाएंगी। इस मामले से जुड़े दो लोगों ने इस बात की जानकारी दी है।
उल्लेखनीय है कि पिछले साल भी रेलवे ने प्राइवेट ट्रेनों के लिए बोलियां आमंत्रित की थीं, जिनको आवश्यक प्रतिसाद नहीं मिला था और रेलवे का यह प्रयास पूरी तरह असफल हो गया था।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, जो कंपनियां प्राइवेट ट्रेन चलाने में दिलचस्पी दिखा रही हैं, रेलवे ने उन निवेशकों के साथ बातचीत करना शुरू कर दिया है। उनका प्रतिसाद मिलने के बाद बोलियों के लिए पैरामीटर्स तय किए जाएंगे, ताकि बोली लगाने वालों की संख्या में वृद्धि हो।
पिछले साल जुलाई में रेलवे ने देश के 109 रेल मार्गों पर 151 ट्रेनें चलाने की अनुमति देने की योजना पर काम शुरू किया था। इसमें 30,000 करोड़ रुपये का टेंडर खोला गया था। इस टेंडर को देश के 12 क्लस्टर में बांटा गया था।
हालांकि करीब 15 फर्मों से 12 क्लस्टरों के लिए करीब 120 आवेदन आए थे, लेकिन फाइनेंशियल बिडिंग (बोलियों) तक आते-आते मैदान में सिर्फ दो कंपनियां आईआरसीटीसी और मेधा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर ही शेष रह गई थीं।
इन दोनों कंपनियों ने भी केवल दो क्लस्टर में ट्रेन चलाने में रुचि दिखाई थी। जिन लोगों ने शुरुआत में दिलचस्पी दिखाई थी, उनमें जीएमआर हाईवेज, आईआरसीटीसी, आईआरबी इंफ्रा तथा क्यूब हाइवे जैसी कई कंपनियां शामिल थीं।
अधिकारियों ने बताया कि निवेशकों को रूट के लिए बेस किराया, ढुलाई शुल्क, रेक की लागत, रियायत अवधि के बारे में पूरी जानकारी देने की आवश्यकता है। इसका कारण ये है कि इस तरह के निवेश से रिटर्न मिलेगा।
देश में फिलहाल आईआरसीटीसी ऐसी तीन ट्रेनें चला रहा है, जिसमें वाराणसी-इंदौर रूट पर काशी-महाकाल एक्सप्रेस, लखनऊ-नई दिल्ली तेजस एक्सप्रेस और अहमदाबाद-मुंबई तेजस एक्सप्रेस शामिल हैं। ये तीनों प्राइवेट ट्रेन हैं।
हालांकि रेलवे क्षेत्र के जानकारों का कहना है कि यह प्रयोग बहुत महंगा है और सर्वसामान्य रेलयात्रियों का इसे आवश्यक प्रतिसाद मिलना बहुत मुश्किल है। इसके अलावा रेलवे द्वारा इन निजी ट्रेनों को प्राइम रूट पर जब तक स्पष्ट नीति और सुनिश्चित पाथ नहीं दिया जाएगा, तब तक निजी कंपनियां इनमें भारी-भरकम निवेश के लिए उत्साहित नहीं होंगी। उन्होंने कहा कि पिछले साल दो कंपनियों (आईआरसीटीसी एवं मेधा) को दी गई यह जिम्मेदारी जबरदस्ती का सौदा था।
उनका यह भी कहना है कि रेलवे ने हाल ही में जब “भारत गौरव” ट्रेनों का नया कंसेप्ट दिया, तब यह समझा गया कि रेलवे ने निजी ट्रेनों के पुराने कंसेप्ट को तिलांजलि दे दी है। परंतु अब अंदरखाते चल रही इसकी सुगबुगाहट से पुनः निजी ट्रेनों की बात सामने आ गई, जिसका न केवल हर स्तर पर विरोध हुआ है, बल्कि निजी क्षेत्र ने भी इसमें कोई खास रूचि नहीं दर्शाई है। जिन दो कंपनियों को यह टेंडर आबंटित किया गया था, उनमें से एक (आईआरसीटीसी) तो रेलवे का ही उपक्रम है, तथापि यह दोनों ही अब तक न तो इस पर अमल कर पाई हैं, न ही कोई ट्रेन शुरू कर सकी हैं।
Input Source: MONEYCONTROL.COM
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