साफ-सफाई और रखरखाव को लेकर रेलवे में बढ़ती यात्री शिकायतें!
रेलमंत्री द्वारा सभी प्रकार की व्यवस्था की समीक्षा संबंधित अधिकारियों द्वारा प्रस्तुत किए गए कागजात, आंकड़े और फाइलें देखकर नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर वास्तविकता से रू-ब-रू होकर की जानी चाहिए। तभी शायद यथोचित सुधार की कुछ उम्मीद की जा सकती है।
सुरेश त्रिपाठी
रेल प्रशासन के ढ़ीले-ढ़ाले रवैए के चलते चलती गाड़ियों में यात्रियों की शिकायतें लगातार बढ़ती जा रही हैं। सबसे ज्यादा यात्री शिकायतें साफ-सफाई और रखरखाव को लेकर हो रही हैं।
ऐसा लगता है कि कोरोना पीरियड के लगभग डेढ़ साल के समय में तत्कालीन रेलमंत्री और रेल अधिकारियों द्वारा रेलवे के कामकाज और प्रबंधन के अपग्रेडेशन को लेकर जो ढ़िंढ़ोरा पीटा जा रहा था, उसमें कहीं न कहीं ढ़ोल में पोल है।
ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर जिस तादाद में यात्री शिकायतों की बाढ़ आई हुई है, उन्हें देखकर यही कहा जा सकता है कि कोरोना पीरियड में रेल व्यवस्था के अपग्रेडेशन या रखरखाव का ऐसा कोई काम नहीं किया गया। अगर वह सब किया गया था, तो फिर यात्री शिकायतों की यह बाढ़ क्यों आई हुई है?
यात्रियों की प्रमुख शिकायतें वही पुरानी हैं – जैसे टॉयलेट्स बेहद गंदे हैं। टॉयलेट्स से बेहद बदबू आ रही है। टॉयलेट्स और वॉसबेसिन में पानी नहीं आ रहा है। कोच में साफ-सफाई नहीं है। सीटें गंदी हैं। सीटों पर धूल जमी हुई है। कोच ज्यादा ठंडा हो रहा है। एसी का टेम्परेचर कम या ज्यादा किया जाए। एसी नहीं चलने से कोच में सफोकेशन हो रहा है।
यात्रियों की यह शिकायतें खानपान को लेकर भी अब तक यथावत बनी हुई हैं। चलती ट्रेनों में पैंट्रीकारों द्वारा उपलब्ध कराई जा रही खानपान सेवाएं गुणवत्तापूर्ण तो हैं ही नहीं, बल्कि ओवरचार्जिंग की समस्या भी यथावत है। मामूली सी चाय की गुणवत्ता भी मेनटेन नहीं की जा रही है, जबकि इसकी कीमत सात रुपये से बढ़ाकर दस रुपये कर दी गई है।
ओवरचार्जिंग की सबसे ज्यादा शिकायतें बोतल बंद पानी (पीडीडब्ल्यू) और फुटकर सामानों को लेकर होती हैं। यह शिकायतें चलती ट्रेनों सहित रेलवे स्टेशनों पर स्थित स्टेटिक यूनिटों (खानपान स्टालों) पर, दोनों जगह समान रूप से बरकरार हैं।
इसके अलावा स्टेशनों पर कोच पोजीशन (कोच इंडीकेटर्स) को लेकर भी यात्रियों की काफी शिकायतें हो रही हैं। यात्रियों की सुविधा के नाम पर इन इंडीकेटर्स को लगाने में भी सैकड़ों करोड़ रेल राजस्व फूंका गया है। जबकि इस सुविधा का यथोचित लाभ कुछ गिने-चुने बड़े स्टेशनों को छोड़कर, छोटे और मझोले स्टेशनों पर यात्रियों के लिए इनका कोई उपयोग नहीं हो पा रहा है।
दीपावली जैसे त्यौहारी सीजन में सबसे ज्यादा यात्री शिकायतें ट्रेनों की लेट-लतीफी को लेकर हुईं हैं। यह स्थिति तब है जब गिनी-चुनी ट्रेनें चलाई जा रही हैं और ज्यादातर पाथ खाली हैं। ट्रैक पर पहले जैसा लोड नहीं है। यह निश्चित रूप से परिचालन प्रबंधन की खामी है।
एसी कोचों में टेम्परेचर को लेकर यात्रियों की स्थाई शिकायत बनी हुई है। रेल प्रशासन अगर मौसम के अनुरूप एसी कोचों का टेम्परेचर 24° तक स्थाई रूप से कंट्रोल करे, तो निश्चित रूप से रेलवे की बहुत सारी ऊर्जा की बचत होगी।
इस बारे में उन यात्रियों, जिन्हें ज्यादा गर्मी लगती है, को जागरूक किया जाना चाहिए और उन्हें बताया जाना चाहिए कि सर्वसामान्य यात्रियों की जरूरत के मद्देनजर कोच को इससे ज्यादा ठंडा नहीं किया जा सकता।
उपरोक्त प्रकार की यात्री शिकायतें लगातार होने का अर्थ यह है कि रेल प्रशासन आज भी मूर्छित अवस्था में ही है। उस पर बदली हुई परिस्थितियों, बदली हुई सरकार और बदलते हुए रेलमंत्रियों के निर्देशों-उद्देश्यों का कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। वह आज भी केवल अपने पुराने ढ़र्रे पर ही कायम है।
रेल प्रशासन और रेल अधिकारियों की उपरोक्त मूर्छित कार्यप्रणाली को देखते हुए सरकार एवं रेलमंत्री को यह ध्यान में रखना चाहिए कि उनकी तमाम नेकनीयती तथा अथक परिश्रम के बावजूद अधिकारियों के इस रवैए से जनसामान्य में सरकार और रेलमंत्री की ही छवि खराब होती है।
अतः उपरोक्त यात्री शिकायतों के मद्देनजर इन रेल अधिकारियों से पूछा जाना चाहिए कि कोरोना काल में उन्होंने क्या काम किया है? गाड़ियां लेट क्यों हो रही हैं? खानपान की स्थिति और गुणवत्ता में सुधार क्यों नहीं हुआ है? ईएनएचएम और ओबीएचएस कांट्रैक्ट्स बाद भी साफ-सफाई की गुणवत्ता क्यों नहीं सुनिश्चित हुई है? ओवरचार्जिंग की समस्या क्यों नहीं समाप्त हो रही है? तमाम व्यवस्था के बावजूद अवैध वेंडर्स पर लगाम क्यों नहीं लगाई जा पा रही है?
रेलमंत्री द्वारा उपरोक्त सभी प्रकार की व्यवस्था की समीक्षा संबंधित अधिकारियों द्वारा प्रस्तुत किए गए कागजात, आंकड़े और फाइलें देखकर नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर वास्तविकता से रू-ब-रू होकर की जानी चाहिए। तभी शायद इन सब में यथोचित सुधार की उम्मीद की जा सकती है।
यात्री शिकायतों की कुछ बानगी:
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