दिल्ली के दयाबस्ती रेलवे स्टेशन का बुरा हाल, अधिकारी बेपरवाह!
“कोई भी सामान्य रेलयात्री समस्या को तो प्रशासन के संज्ञान में लाना चाहता है, परंतु अपना नाम-पता और मोबाइल नंबर देकर व्यवस्था में बैठे मूढ़ों के चक्कर में आकर घनचक्कर नहीं बनना चाहता!”
दिल्ली मंडल, उत्तर रेलवे के क्षेत्र में और दिल्ली में ही दयाबस्ती रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्मों पर उगी हुई बड़ी-बड़ी घास, उखड़ी हुई उनकी सतह, उड़ी हुई छत (सीओपी) और पूरे स्टेशन की दुर्दशा देखकर एक ट्विटर यूजर “काला” ने डीआरएम/दिल्ली, रेल मंत्रालय और रेलवेसेवा को टैग करते हुए लिखा, “दयाबस्ती रेलवे स्टेशन, दिल्ली के स्टेशनों का ये हाल है, क्या रेलवे गर्त में जा रही है!”
अगली पंक्ति में उसने सीपी/दिल्ली को टैग करके लिखा, “सबसे ज्यादा मोबाइल लूट की घटनाएं यहीं होती हैं।”
दयाबस्ती रेलवे स्टेशन , दिल्ली के स्टेशनों का ये हाल है, क्या रेलवे गर्त में जा रही है।@drm_dli @RailMinIndia @RailwaySeva @CPDelhi सबसे ज्यादा मोबाइल लूट की घटनाए यही होती हैं। pic.twitter.com/6FFHUazgXF
— काला🇮🇳 (@kala9814231523) September 22, 2021
पहले तो, जैसा कि हर रेलयात्री को अपेक्षित होता है, उसे #रेलवेसेवा से तुरंत ऑटो रिप्लाई आ गई कि “संबंधित अधिकारियों को सूचित किया जा रहा है।”
इसके बाद उसी से फिर एक ऑटो रिप्लाई मैसेज आया कि “असुविधा के लिए खेद है। सर, हम आपसे अनुरोध करते हैं कि कृपया मोबाइल नंबर DM के माध्यम से हमारे साथ साझा करें।”
पहले वाले जवाब तक तो ठीक था, पर ये जो दूसरा मैसेज देकर मोबाइल नंबर डायरेक्ट मैसेज (डीएम) में भेजने के लिए कहा गया, उससे साफ पता चलता है कि रेल प्रशासन रेलयात्रियों को न केवल दिग्भ्रमित कर रहा है, बल्कि डरा भी रहा है। क्योंकि कोई भी सामान्य और थोड़ा समझदार आदमी या रेलयात्री समस्या को तो व्यवस्था के संज्ञान में लाना चाहता है, परंतु अपना नाम-पता और मोबाइल नंबर देकर व्यवस्था में बैठे मूढ़ों के चक्कर में आकर घनचक्कर नहीं बनना चाहता।
जबकि ऐसी सैकड़ों सर्वसामान्य समस्याएं सर्वसामान्य यात्री द्वारा शेयर करके रेल प्रशासन का ध्यान उनकी ओर दिलाया जाता है, जिनके लिए यात्री के यात्रा डीटेल्स और कांटेक्ट नंबर मांगे जाने का कोई औचित्य नहीं बनता। उपरोक्त ट्विटर यूजर द्वारा भी संज्ञान में लाई गई रेल प्रशासन की यह एक बड़ी बुनियादी खामी है, जिसके लिए उसका मोबाइल नंबर मांगे जाने का कोई कारण नहीं था।
प्लेटफार्म नम्बर 4 पर आने वाली इस ट्रेन के बारे में पहले announcement किया गया कि ये प्लेटफार्म नम्बर 3 पर आएगी।जब यात्री वहां पहुंचे तो थोड़ी देर बाद कहा गया ये प्लेटफार्म नम्बर 4 पर ही आ रही है। इसकी वजह से ही अफरातफरी मच गई। इस ट्रेन से काफी संख्या में पर्यटक भी सफर करते हैं।
— Ajay Tiwari (@ajaytiwari27) September 24, 2021
अब जो “सबसे ज्यादा मोबाइल लूट” की घटनाओं के बारे में उसने लिखा, वह भी सौ प्रतिशत सही है, क्योंकि दिल्ली सरकार की सरपरस्ती में अवैध रोहिंग्याओं की अधिकांश अवैध बस्तियां दयाबस्ती और उसके आस-पास के क्षेत्र में ही पसरी हुई हैं। यहां तक कि इसमें रेलवे लैंड भी शामिल है।
यहां तक तो ठीक है, परंतु डीआरएम/दिल्ली के ट्विटर हैंडल से असुविधा के लिए जताया गया खेद और स्टेशन की गंदगी तथा बद्इंतजामी के लिए दिया गया कारण हास्यास्पद रहा।
उन्होंने लिखा, “असुविधा के लिए खेद है। प्लेटफॉर्म नंबर 3 पर झुग्गीवासी कूड़ा फैलाते हैं जिस कारण प्लेटफॉर्म पर गंदगी हो जाती है। प्लेटफॉर्म फर्श को दोबारा बनाने की प्रक्रिया चल रही है।”
असुविधा के लिए खेद है। प्लेटफॉर्म नंबर 3 पर झुग्गीवासी कूड़ा फैलातें है जिस कारण प्लेटफॉर्म पर गंदगी हो जाती है I प्लेटफॉर्म फर्श को दोबारा बनाने की प्रक्रिया चल रही है।
— DRM Delhi NR (@drm_dli) September 25, 2021
#139#OneRailOneHelpline139
डीआरएम के उपरोक्त रिप्लाई से साफ जाहिर है कि यह बचकाना जवाब उस सेक्शन के इंचार्ज से कंसल्टेशन के बाद दिया गया। प्लेटफार्म पर फेंसिंग के बावजूद झुग्गीवासी अगर कूड़ा फेंकते हैं, तो उसे रोकने और कार्रवाई करने की जिम्मेदारी किसकी है?
इसके अलावा प्लेटफार्म की फर्श जब बनेगी, तब बनेगी, वहां इतनी बड़ी-बड़ी घास कैसे उगने दी गई? प्लेटफार्म छत कैसे उखड़ी पड़ी है?
ऐसा लगता है कि यह ऑटो मैसेज लगाकर रखा है,जो मूर्खों की तरह बिना मैसेज का औचित्य देखे फौरन मोबाइल नंबर और पीएनआर नंबर डीएम करने को बोलता है। ऐसी मूर्खताएं केवल मूर्ख आदमी ही नहीं करता,बल्कि व्यवस्था में बैठे लोग भी करते हैं। इसका संज्ञान लिया जाए, अन्यथा मदद के नाम पर मजाक न बनाएं
— RAILWHISPERS (@Railwhispers) September 24, 2021
जानकारों का कहना है कि “रेलवे के तथाकथित इंटेलीजेंट इंजीनियर यही तो चाहते हैं। वह पहले चीजों को बुरी गति तक पहुंचाते हैं, फिर उसकी मरम्मत या पुनर्निर्माण करके जनता की गाढ़ी कमाई लुटाते हैं और कमीशन खाते हैं। केवल यही चलता रहता है उनके पूरे कार्यकाल में!”
उनका कहना है कि “मगर वे यह भूल जाते हैं कि सामान्य आदमी न पहले मूर्ख था, न अब है, बल्कि सोशल मीडिया के चलते अब वह ज्यादा समझदार हुआ है और व्यवस्था में बैठे मूढ़ों के मंतव्य को भी बहुत अच्छी तरह से समझने लगा है।”
इसीलिए उसने तुरंत डीआरएम को रिप्लाई करते हुए लिखा, “अपने काम की नाकामी को छिपाने के लिए आप कूड़े का नाम ले रहे हैं। क्या घास भी कूड़े के कारण है? क्या शेड भी कूड़े से टूटा है?”
एक अन्य ट्विटर यूजर “भूरी सैनी” ने टिप्पणी करते हुए लिखा, “आपके पास आरपीएफ वाले नहीं हैं क्या सर, आप एक यात्री बिना टिकट घुस जाता है उसका चालान कर देते हो, और यह झुग्गी वालों को रहने देते हो। आप अपनी आरपीएसएफ काम में लो ना।”
इसी प्रकार कुछ अन्य ट्विटर यूजर्स ने भी अपनी बात कही है। अतः रेल प्रशासन हो, या सरकार! उन्हें यह ध्यान रखना चाहिए कि समस्याओं और शिकायतों को हल्के में न लिया जाए। और न ही आम आदमी को मूर्ख समझकर दिग्भ्रमित किया जाए। उन्हें सही कारण बताया जाए, क्योंकि ऐसी खामियों का असली कारण वे बखूबी समझते हैं। शिकायत वे इसलिए करते हैं कि “सिस्टम” को यह स्मरण रहे कि लोग “सूरदास” नहीं हैं। सर्वसामान्य उपभोक्ता और उपयोगकर्ता सब कुछ देख और समझ रहा है!
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