छठवीं बार हुए सीसीटीवी टेंडर के लिए 9 पार्टियों ने की बिडिंग

‘रेलवे निजाम’ की चहेती पार्टी को न मिलने से पांच बार पहले रद्द किया गया टेंडर

जल्दी ही जारी होने वाला है यूरोपीय ट्रेन कंट्रोल सिस्टम और विदेशी ट्रेन सेट आयात करने का टेंडर

रेलवे स्टेशनों पर और चलती ट्रेनों में एक लाख सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने के 10,000 करोड़ रुपये के भारतीय रेल के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के लिए 9 पार्टियों ने टेंडर भरा है। यह जानकारी रेलवे बोर्ड के विश्वसनीय सूत्रों ने दी है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार यह प्रोजेक्ट पिछले दो सालों से चल रहा है। दो साल पहले पहली बार इसका टेंडर जारी किया गया था। तब से लेकर अब तक पांच बार यह टेंडर विभिन्न कारण बताकर बार-बार रद्द किया गया।

परंतु रेलवे बोर्ड के सूत्रों का कहना है कि इसका असली कारण यह है कि ‘रेलवे निजाम’ की चहेती पार्टी को यह टेंडर नहीं मिल पा रहा था और वह इसकी ‘एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया’ में फिट नहीं बैठ रही थी। इसलिए बार-बार इस टेंडर को रद्द किया गया। हालांकि इसका विभागीय कारण बार-बार इसके ‘स्पेसीफिकेशन’ फाइनल न होना ही बताया जाता रहा है। जो कि घुमा-फिराकर उपरोक्त तथ्य को ही साबित करता है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार इन 9 बिडर्स में बीईएल, आईटीआई, एचएफसीएल और टीसीआईएल, चार पब्लिक सेक्टर (पीएसयू) कंपनियां हैं, जबकि स्टरलाइट, विंध्य, कर्वी, मैट्रिक्स और एम2एम, पांच निजी क्षेत्र की कंपनियों ने यह टेंडर भरा है। तथापि सूत्रों का कहना है कि दिसंबर में इस टेंडर की फाइनेंशल बिड खुलने के बाद पांच पार्टियां ही यह काम करेंगी।

इस प्रोजेक्ट के जरिए भारतीय रेल अपने पूरे रेल नेटवर्क में वीडियो सर्विलांस को मजबूत करना चाहती है। इसके आईपी कैमरे स्टेशनों पर और चलती ट्रेनों में न सिर्फ यात्रियों की प्रत्येक गतिविधियों को रिकॉर्ड करेंगे, बल्कि अत्याधुनिक सॉफ्टवेयर के जरिए उनके चेहरों की पहचान भी करेंगे, उनकी आवाजाही की दिशा भी बताएंगे, उनका शीघ्र पुनरीक्षण करेंगे और उनका अगला कदम क्या होगा, इसका भी संकेत देंगे।

इसके अलावा आरपीएफ/जीआरपी कर्मियों द्वारा चौबीसों घंटे इमेज स्क्रुटनी भी की जाएगी। इस प्रोजेक्ट के पूरा होने पर भारतीय रेल में अपराधिक घटनाओं के मामलों में निश्चित रूप से काफी कमी आएगी। परंतु इस तरह अपने चहेतों को रेवड़ी बांटने का जो काम किया जा रहा है और इस तरह के विभिन्न प्रोजेक्ट्स के माध्यम से जो भारी भ्रष्टाचार हो रहा है, उससे भारतीय रेल की जड़ें भी निश्चित रूप से खोखली हो रही हैं।

जबकि अभी 80,000 करोड़ का यूरोपीय ट्रेन कंट्रोल सिस्टम और करीब इतनी ही लागत से 40 विदेशी ट्रेन सेट आयात करने की योजना को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इनमें भी बड़े पैमाने पर कमीशनखोरी होने की संभावना व्यक्त की गई है। हालांकि प्रधानमंत्री ने गत वर्ष यूरोपीय ट्रेन कंट्रोल सिस्टम योजना को निरस्त कर दिया था। शेष अगली रिपोर्ट में..

Another part of the story

https://t.co/s23F8oTgEC?amp=1

Pathetic CCTV cam recording in Railways, they don’t even have centralised server for all combined footage, this child is missing due to negligence and inhuman treatment and now they say they don’t have hardware support to trace him on CCTV footage.

As per sources, a private company is ready to give them software support but still they are not willing to help as it may opened up all their loop holes.

Where do they spend so much money while installing CCTV cam? What is use of it, if it won’t help to find a child???

More than 10,000 tweets gone viral to the Railway Minister, but thick skinner administration don’t have time for disable child !