“बाप बड़ा ना भईया – सबसे बड़ा रुपैय्या!”
यहां अटैच दो #टेंडर डाक्यूमेंट्स को देखें! एक ही साइट के दो टेंडर कैसे हो सकते हैं? अथवा एक ही काम के दो टेंडर एक ही साइट पर रेलवे द्वारा कैसे किए जा सकते हैं?
दि. 10.05.2016 को ₹3074.64/- लाख अर्थात तीस करोड़ चौहत्तर लाख चौंसठ हजार रुपये का #tender (No. 74-W/1/1/424/WA/D/JAT) किया गया –
इसके बाद दि. 30.06.2020 को उपरोक्त समान साइट पर समान कार्य के लिए ₹42652635.52/- यानि चार करोड़ छब्बीस लाख बावन हजार छह सौ पैंतीस रुपये बावन पैसे का टेंडर (No. 1-WDYCECDJAT20-21) किया गया –
अधिकारियों का कहना है कि उत्तर रेलवे निर्माण संगठन की इस तरह की विसंगतिपूर्ण कार्य-प्रणाली पर लोगों द्वारा स्वाभाविक रूप से सवाल उठाए जा रहे हैं।
उनका कहना है कि इस कार्य को कर रहे ठेकेदार के साथ मिलकर लगभग 10 करोड़ का घोटाला किया गया?
इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? कौन जिम्मेदार है – #sureshpprabhu या #PiyushGoyal?
Case must be investigated by #RailMinister #AshwiniVaishnaw, #PMOIndia or #CVCIndia
यह दो #tender_document देखें
— RAILWHISPERS (@Railwhispers) September 15, 2021
एक ही साइट के 2 टेंडर कैसे हो सकते हैं?
इस कार्य को कर रहे ठेकेदार के साथ मिलकर लगभग 10 करोड़ का घोटाला किया गया?
कौन जिम्मेदारी लेगा?कौन जिम्मेदार है?@sureshpprabhu या @PiyushGoyal?
Case must b investigated by @AshwiniVaishnaw,#PMOIndia or @CVCIndia pic.twitter.com/MM1BEl4y4j
रेल अधिकारियों के अनुसार इसमें 4.5 करोड़ से 10 करोड़ तक का घोटाला हो सकता है।
उनका कहना है कि जब इतना बड़ा वित्तीय घोटाला सीधे तौर पर हो रहा है, तो क्वांटिटी और क्वालिटी में भी किया होगा 5-6 करोड़ का?
भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि यह टेंडर करने से पहले भ्रष्ट अधिकारियों ने लिखकर दिया होगा “No undue benefit is given to contractor!”
अधिकारियों का कहना है कि रेलवे का बेड़ा गर्क किया #BDGarg, पूर्व सीएओ/कंस्ट्रक्शन, उत्तर रेलवे ने!
उन्होंने अपने कार्यकाल में कम से कम 50000 करोड़ का नुकसान किया रेल का, जो अभी आगे और बढ़ेगा, और आने वाले समय में दिखाई देगा!
उनका कहना है कि बी डी गर्ग भ्रष्ट थे, या अब के अधिकारी भ्रष्ट हैं? यह जांचा-परखा जाना आवश्यक है।
वैसे भी एक ही साइट पर दूसरा टेंडर किए जाने से रेल का भारी नुकसान होगा। कौन इसकी जिम्मेदारी लेगा, स्टील गर्डर की, जिसका भुगतान पहले ही भारी पड़ा था।
“जब तक डेपुटेशन पर रेलवे के अधिकारी #CVC और #CBI में जाते रहेंगे, तब तक रेलवे का भ्रष्टाचार समाप्त नहीं हो सकता। यह इनका एक कार्टेल है एक-दूसरे को बचाने का।” यह कहना है कुछ रेल अधिकारियों का।
उपरोक्त टेंडर 4.5 करोड़ का सही था या है, तो बी डी गर्ग के चुन्नू-मुन्नू-मुन्नी अधिकारियों की सीबीआई जांच होनी चाहिए, क्योंकि भ्रष्ट बी डी गर्ग, कमीशन के लालच में यह सब गड़बड़ घोटाला करके गए हैं।
जानकारों का कहना है कि गर्ग ने उस समय ठेकेदारों की रिवेट की आइटम्स की डिडक्शन कर दी थी और ठेकेदारों ने सोच लिया था कि रिश्वत नहीं देंगे।
उनका कहना है कि अब उपरोक्त टेंडर में रिवेट की आइटम्स की डिडक्शन तो की ही नहीं गई, बल्कि चोरी से #HSFG नट-बोल्ट का 4.5 करोड़ का नया टेंडर करके नया घोटाला कर रहे हैं अधिकारी – बी डी गर्ग के हिसाब से – अब रिकवरी तो बनती है।
उपरोक्त टेंडर से यह साफ स्पष्ट होता है कि “बाप बड़ा ना भैया – सबसे बड़ा रुपैय्या!”
#NorthernRailway #Construction #Corruption #Contractor #IndianRailway #PMOIndia #CVCIndia