महाप्रबंधक/उ.म.रे. का आज कानपुर निरीक्षण दौरा: उनके अवलोकनार्थ कुछ महत्वपूर्ण मुद्दे!
उत्तर मध्य रेलवे के नए महाप्रबंधक प्रमोद कुमार आज उत्तर मध्य रेलवे, प्रयागराज मंडल के अंतर्गत सबसे बड़े अनुमंडल कानपुर का निरीक्षण करने पहुंच रहे हैं। स्वाभाविक रूप से एक फिर पूरा लाव-लश्कर भी साथ उनके साथ रहेगा। इसके पहले उन्होंने प्रयागराज, चुनार-चौपन सेक्शन, टुंडला जैसी जगहों का भी निरीक्षण किया है।
कानपुर में बीते जून में राष्ट्रपति महोदय का प्रेसिडेंशियल ट्रेन से वीवीआईपी मूवमेंट भी हुआ था, जो रेल प्रबंधन के दृष्टिकोण से काफी सफल रहा। जबकि प्रदेश सरकार के स्थानीय प्रशासन का प्रबंधन मिला-जुला रहा।
कानपुर एरिया के बारे में रेल अधिकारियों, कर्मचारियों और रेलवे सेवा का उपयोग कर रहे यात्रियों से मिली जानकारी के अनुसार निरीक्षण के दौरान महाप्रबंधक द्वारा कुछ विशेष बिंदुओं पर फोकस किया जाना आवश्यक होगा।
विभिन्न स्रोतों से प्राप्त जानकारी के अनुसार कानपुर में लगभग हर पखवाड़े किसी न किसी बड़े अधिकारी का निरीक्षण दौरा होता रहता है, परंतु कुछ प्रमुख मुद्दों पर उनका ध्यान जाता नहीं, या जानबूझकर या नजरंदाज कर दिया जाता है, या फिर उस तरफ महाप्रबंधक या बड़े अधिकारियों को ले ही नहीं जाया जाता।
इसमें प्रमुख मुद्दे इस प्रकार हैं –
#कानपुर सेंट्रल स्टेशन की ऐतिहासिक बिल्डिंग वर्तमान में इंजीनियरिंग विभाग की मेहरबानी कहें या लूट-खसोट कि इसमें ग्राउंड फ्लोर से लेकर दूसरे फ्लोर तक जितने कार्यालय और रिटायरिंग रूम हैं, उनमें लीकेज, टूट-फूट, छतों से प्लास्टर गिरना, बारिश में सर्कुलेटिंग एरिया, प्लेटफार्म सहित सभी स्थानों का जलमग्न हो जाना।
#प्लेटफॉर्म एरिया में अवैध प्रवेश के मार्गों को कोरोना काल में भी बंद न किया जाना।
#बिजली विभाग द्वारा स्टेशन पर प्रकाश व्यवस्था के लिए हाईमास्ट लाइटें लगाई गई हैं, लेकिन अधिकांश लाइटें पूरी क्षमता से काम नहीं कर रही हैं। सिटी साइड में स्टेशन का नाम इन लाइटों के होने के बावजूद पढ़ा नहीं जा सकता है।
#सुरंग, अंडरपास मार्गों से आज भी पुलिस और कर्मचारियों की बाइक का गुजरना और प्लेटफॉर्म पर दो पहिया वाहन खड़े करना, जबकि आरपीएफ स्टाफ की ड्यूटी सीसीटीवी रूम में राउंड द क्लॉक लगाई जाती है।
#अवैध वेंडर बिना किसी रोकटोक के आरपीएफ, जीआरपी, कैटरिंग इंस्पेक्टर और चेकिंग स्टाफ के संरक्षण में खुलेआम अवैध वेंडिंग करते देखे जा सकते हैं।
#घंटाघर स्थित माल गोदाम में हर साल सड़क, नाली निर्माण को लेकर करोड़ों रुपये का खर्च दिखाया जाता है, लेकिन नतीजा ढ़ाक के तीन पात वाला ही रहता है। व्यापारियों को माल के परिवहन में असुविधा का सामना करना पड़ता है। साथ ही आरपीएफ द्वारा उचित निगरानी न किए जाने के कारण उनका माल भी चोरी होता है। फिर रेलवे की तरफ बिजनेस कैसे आएगा?
#प्रायः शिकायत आती है कि स्टेशन की लिफ्ट, एस्केलेटर काम नहीं करता है।
#स्टेशन की साफ-सफाई का कॉन्ट्रेक्ट ईएनएचएम विभाग द्वारा लगभग चार गुना मूल्य पर अवार्ड किया गया है, जबकि शिकायत यह है कि प्रतिदिन कुल निर्धारित संख्या से आधा अर्थात 50 प्रतिशत से ही काम कराया जाता है। बाकी की बंदरबाँट हेल्थ इंस्पेक्टर से लेकर मंडल के अधिकारियों तक की जाती है। इस कॉन्ट्रेक्ट की समीक्षा किए जाने की महती आवश्यकता है। क्लीन ट्रेन स्टेशन (#CTS) का भी कमोबेश यही हाल है।
#सिटी साइड में स्टेशन परिसर के अंदर जीआरपी और आरपीएफ के कथित संरक्षण में अवैध गुमटी, खोमचे, ठेले लगाए जाने की भी शिकायतें आम हैं।
#स्टेशन की पूर्ण सुरक्षा व्यवस्था और अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए भारी भरकम रकम खर्च करके सीसीटीवी कंट्रोल रूम बनाया गया है, लेकिन यह मात्र शो-पीस बनकर रह गया है। केवल निरीक्षण के दौरान मुस्तैदी दिखाई जाती है। अगर सामान्य दिनों में भी यही मुस्तैदी दिखाई जाती, तो स्टेशन परिसर में कोई अवैध गतिविधि नहीं पाई जाती।
#सिटी साइड में गलत लोकेशन पर बैगेज सेनिटाइजेशन का कॉन्ट्रेक्ट अवार्ड किया गया है, जिसके स्टाफ पर अक्सर यात्रियों से जबरन उनके लगेज का सेनिटाइजेशन कराने का आरोप है, जबकि यह वैकल्पिक है, अनिवार्य नहीं। इस कॉन्ट्रेक्ट की भी समीक्षा किए जाने की आवश्यकता है, क्योंकि आज के समय में इसकी कोई उपयोगिता नहीं रह गई है। रेलवे द्वारा यह सुविधा प्लेटफॉर्म में प्रवेश से पूर्व पहले से ही निःशुल्क दी जा रही है।
यह तो तय है कि उपरोक्त शिकायतें शायद निरीक्षण के दौरान न दिखें या न दिखाई जाएं, लेकिन औचक निरीक्षण में अवश्य दिखाई दे सकती हैं। शेष विवरण क्रमशः महाप्रबंधक के निरीक्षण के बाद..
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