रेल में यूनियनों की गुंडागर्दी पर लगाम लगाएं रेलमंत्री!
रेल में यूनियन पदाधिकारियों की गुंडागर्दी पर लगाम लगाने और उन्हें दी जा रही अनाप-शनाप सुविधाओं पर पुनर्विचार करने की मांग रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव से अब रेलकर्मियों द्वारा जोर-शोर से की जा रही है।
ये आदमी अमृतसर में #खलासी/कमर्शियल और #यूनियन का पदाधिकारी है
— RAILWHISPERS (@Railwhispers) August 19, 2021
इसको काम के लिए कहा गया तो छुट्टी डालकर #CMI के विरुद्ध आरोप लगा रहा है
अधिकारियों/कर्मचारियों को इसी तरह #ब्लैकमेल किया जाता है जबकि किसी की भी इनसे पैसा मांगने की जुर्रत नहीं हो सकती!@RailMinIndia@drmfzr@srdcmfzr pic.twitter.com/3y5R4XSLum
इसी संदर्भ में “रेलव्हिस्पर्स” द्वारा “यूनियन पदाधिकारी मतलब कामचोरी और करप्शन“ शीर्षक से और “रेलसमाचार” में “व्यवस्था को दबाव में लेने की चालबाजी” शीर्षक से प्रकाशित खबर पर बहुत सारे रेलकर्मियों ने न केवल अपने विचार व्यक्त किए, बल्कि लिखकर भी भेजा। उनके इन विचारों को देखने मात्र से अंदाजा लगाया जा सकता है कि उन्हें यूनियनों की गुंडागर्दी, चालबाजी और झूठ से कितनी नफरत हो चुकी है।
एक पूर्व रेलकर्मी दिनकर डंभारे ने लिखा, “यूनियन के पदाधिकारी आखिर में रेल के नौकर ही तो हैं। इन्हें रेल में काम करने का वेतन मिलता है। रेल अधिकारी इनसे उनका काम क्यों नहीं करवाते हैं? इसमें भी रेल अधिकारियों का पाप छुपाने का काम ऐसे यूनियन पदाधिकारी करते हैं। उससे यह पदाधिकारी, अधिकारियों के बाप बन जाते हैं। यूनियन का जो भी काम होता है, वह अपनी रेल की ड्यूटी होने के बाद करना होता है।”
रिटायर रेलकर्मी श्री डंभारे ने आगे लिखा, “मैंने ऐसे कितने पदाधिकारी देखे हैं, जो अधिकारियों को पहले कहते हैं – साहब आपके खिलाफ धरना, मोर्चा है, आपके खिलाफ कुछ भी अनाप-शनाप बोलेंगे, गालियां देंगे, अपशब्द बोलेंगे, आप दिल पर मत लेना! धरना-मोर्चा खत्म होने के बाद उनके केबिन में जाकर उनके पैर पकडते हैं, माफी मांगते हैं।”
उन्होंने लिखा, “यूनियन के पदाधिकारी कोई दूसरे ग्रह से आए हुए लोग नहीं होते, इनके ही अंडर काम करने वाले वर्कर रहते हैं। यूनियन हेडक्वार्टर में बैठने वाले नेता को अलग से कुछ सुविधा मिलती होगी, मगर स्टेशन, डिपो में काम करने वाले वर्कर को कोई सुविधा नहीं मिलती। अपना काम खत्म होने के बाद यूनियन का काम करना होता है। यह सब पहले रेल का काम करें। अगर रेल अधिकारी ईमानदारी से यूनियन वालों से काम करवा लें, तो कोई मामला ही खड़ा नहीं होगा।”
उन्होंने यह भी कहा कि “प्राइवेटाइजेशन के लिए यूनियनों के नेता, पदाधिकारी और उनके चेले-चपाटे भी जिम्मेदार हैं। अब तो थोड़े से बचे हैं, पहले तो यूनियन के नेता, पदाधिकारी, उनके चेले-चपाटे हजारों में होते थे। यूनियनें, एसोसिएशनें भी ढ़ेरों हो गई हैं। इनको नकेल डाले बिना इनसे रेल का काम लेना बहुत मुश्किल है। इनकी हर सुविधा – सीएल, ट्रांसफर, रोटेशन, कार्यालय इत्यादि – पर पुनर्विचार किया जाए और इन सबको काम पर लगाकर सीमित किया जाना चाहिए।”
रेलयात्री संगठन “रेल परिषद” के प्रमुख सुभाष हरिश्चंद्र गुप्ता ने लिखा, “यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है! ऐसे कामचोरों की वजह से ही रेलवे का निजीकरण हो रहा है।”
एक रेलकर्मी ने लिखा, “Officers should not exempt #Union office bearers from doing their allotted duty hours, even they are not transferred. There are many benefits given to them. All this should be stopped immediately.”
एक महिला रेलकर्मी प्रीति भोसले ने लिखा, “ये कह रहा है कि इसकी अब कोई कमाई नहीं होती, इसका मतलब क्या ये पहले जहां था, वहां से कमाता था? और जब सरकार वेतन दे रही है तो ऐसे घूस लेने की जरूरत क्या है इन भाईसाहब को? ऐसे घूसखोर बहुत मिलेंगे सिस्टम में!”
एक रेलकर्मी आर. के. सिंह ने लिखा, “ऐसे कामचोर हर हेडक्वार्टर में मिल जाएंगे, जो रेलवे ट्रेड यूनियन से जुड़े रहते हैं। बैठे-बैठे फोकट की पगार लेते हैं रेलवे की, जब काम बोला जाए, ड्यूटी करना है 8 घंटे, तो बोलते हैं तुम्हारी शिकायत यूनियन के उच्य पदाधिकारियों तक कर देंगे। वह झूठी शिकायत करेगा, ताकि दूसरी बार हिम्मत न पड़े काम करने के लिए बोलने की।”
एक सबॉर्डिनेट इंजीनियर ए. बी. जोशी ने लिखा कि, “इस कर्मचारी के विरुद्ध कड़ी अनुशासनिक कार्यवाही की जानी चाहिए और इसको तत्काल नौकरी से बर्खास्त किया जाना चाहिए। इसने अपने इंचार्ज के खिलाफ वीडियो बनाने की हिम्मत कैसे की? यह मूर्ख आदमी है, इसे शिकायत करने का सही फोरम भी नहीं मालूम है।”
एक अन्य रेलकर्मी ने लिखा, “फिरोजपुर डिवीजन में कमर्शियल डिपार्टमेंट में यूनियन की गजब की गुंडागर्दी है। रेलवे एडमिनिस्ट्रेशन आंखें बंद करके यूनियन के आगे घुटने टेक देता है। इस आदमी को ट्रांसफर करके दक्षिण रेलवे में भेज दो, फिर देखो कैसे दौड़-दौड़कर काम करता है!”
कुछ रेलकर्मियों के उपरोक्त कुछ विचारों को समग्रता में देखे जाने की आवश्यकता है, क्योंकि यह केवल बानगी हैं। अगर वास्तव में देखा जाएगा तो प्रत्येक रेलकर्मी यूनियनों से असंतुष्ट है, कुछेक बगलबच्चों को छोड़कर, जो कि यूनियन की आड़ में वास्तव में दलाली और हरामखोरी कर रहे हैं। रेल प्रशासन को अपने कार्मिकों के इस असंतोष को दूर करने पर अविलंब विचार करना चाहिए और इसके शमन के लिए यथाशीघ्र यथोचित कदम उठाया जाना चाहिए।
#HTTE सपन अय्यर की पिस्टल से अचानक चली गोली से HTTE राजकुमार घायल हुआ।
— RAILWHISPERS (@Railwhispers) August 21, 2021
फिरोजपुर स्टेशन PF-1 पर #TTE_Loby में हुई आज दोपहर करीब 3 बजे की घटना है।
अय्यर #URMU से डिपोर्टेड #NRMU का नेता है।
इसे ऑनड्यूटी हथियार रखने की अनुमति किसने दी?@GM_NRly@drmfzr@RailMinIndia@AshwiniVaishnaw
#AshwiniVaishnaw #RailwayAdministration #CEORlys #CRB #RailwayBoard #AIRF #NRMU #NFIR #URMU #PMOIndia