बतौर सीआरबी, ईडी/ईएंडआर के मैसेज देखकर असहज हो जाते हैं जोनों के वरिष्ठ अधिकारी

“रेलमंत्री जब तक पुराने घिसे-पिटे तरीके से जन्मतिथि के आधार पर ही सीआरबी, मेंबर, जीएम और डीआरएम चुनते रहेंगे, तब तक वह इसी तरह के लोगों से जूझते रहेंगे और कोई उत्पादक कार्य नहीं कर पाएंगे!”

रेलवे बोर्ड के वर्तमान निजाम के कार्य-व्यवहार से जीएम और डीआरएम तो पहले ही असहज महसूस करते रहे हैं। अब बतौर सीआरबी, ईडी/ईएंडआर के मैसेजेज देखकर जोनल एवं मंडल मुख्यालयों के वरिष्ठ अधिकारी भी अत्यंत असहज महसूस करने लगे हैं। इसी की प्रतिक्रिया स्वरूप उत्तर पश्चिम रेलवे के चीफ इलेक्ट्रिकल इंजीनियर (सीईई/एसई) ए. पी. शर्मा की ईडी/ईएंडआर/रे.बो. उमेश बलोंदा का एक मैसेज देखकर उन पर की गई एक तीखी टिप्पणी सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी।

जोनल रेलों के सीनियर अधिकारी कहते हैं, “वैसे ये ईडी/ईएंडआर बहुत ही चालाक आदमी है और सीआरबी का खास बना हुआ है। सीआरबी मुंहचोर और पूरी तरह से अकर्मण्य होने के कारण सारे वीसी (वीडियो कांफ्रेंसिंग) में इसी को आगे अपने प्रवक्ता के तौर पर रखते हैं। सीआरबी के पांच मिनट के मिमियाते हुए संबोधन के बाद यह उनकी कमान संभालता है और सारे डिपार्टमेंट के लोगों की क्लास बड़ी अकड़ के साथ लेता है, भले ही इसको खुद उस विषय की कोई जानकारी न हो।”

वह कहते हैं, “यह बात सारे विभागों के लोगों को चुभती है और ह्युमिलिएटिंग लगती है।” उन्होंने कहा कि अपने विभाग की अक्षमताओं और कमियों को छोड़कर यह बाकी सब पर बात करता है। आज की तारीख में वास्तव में यह रेलवे बोर्ड का ठीक उसी तरह सीआरबी बना हुआ है, जैसे रुष्मा टंडन एनआरसीएच की सीआरबी बन बैठी हैं।”

वह आगे कहते हैं, “सेक्रेटरी रेलवे बोर्ड, पीईडी/विजिलेंस और यह, ऐसे कुछ लोग मिलकर रेलवे बोर्ड में ‘टेक्निकल विभागवाद’ का जहर फैला रहे हैं और अपने तरीके से रेलमंत्री के करीब आकर उन्हें बदनाम और फेल करने का हर सम्भव प्रयास कर रहें है।”

वह कहते हैं कि, “बहुत ही शातिर और कुंठित लोग हैं यह। इनका न तो रिकॉर्ड अच्छा रहा है, और न ही अपने विभागों में कभी इनकी छवि ही अच्छी रही है।” उन्होंने कहा कि वी. के. यादव जैसे भी थे, परंतु जीएम/डीआरएम और वरिष्ठ जोनल अधिकारियों को आवश्यक मैसेज स्वयं करते थे।

उनका कहना है कि ईडी/ईएंडआर सीधे डिवीजनों में ब्रांच अफसरों को फोन करते हैं। कई डिवीजनों के सीनियर डीएसटीई इनका फोन आने से ही डर जाते हैं कि “पता नहीं अब किस चीज को भेजने का डिमांड कर देगा।” लेकिन फिर भी सीआरबी से इसकी निकटता के चलते एसएंडटी के कई वरिष्ठ और कुंठित अति महत्वाकांक्षी लोग इसमें अपना भविष्य देखते हैं।

उन्होंने कहा कि “सीईई/एसई/उ.प.रे. व्यवस्थागत परंपरा के लिहाज से गलत नहीं हैं, क्योंकि कोई भी मैसेज संबंधित विभाग के अधिकारी की तरफ से आएगा, या फिर सीआरबी स्वयं करते हैं, अथवा उनका ईडी/सीसी करता है। अगर कोई मेंबर भी ऐसे मैसेज भेजता, तो भी वरिष्ठ अधिकारियों की भौंहें तो उठती ही हैं।”

वह कहते हैं, “परंतु ये ईडी/ईएंडआर जैसे कुछ अफसर हैं, जो अभी-अभी सीबीआई द्वारा रिटायरमेंट के चार महीने बाद पकड़े गए 23 किलो सोना रखने वाले कठपाल जैसे ऑफिसरों की पौध बढ़ाने और मजबूत करने में विश्वास रखते हैं। इन्हें अपने कथित ज्ञान पर भी बहुत घमंड रहता है।”

वह बताते हैं कि बोर्ड के गलियारों में यह चर्चा है कि जब नए मंत्री के आने पर किसी ने कहा था कि टेक्निकल मामलों में भी इनको बेवकूफ बना पाना काफी मुश्किल होगा, क्योंकि ये तकनीकी पृष्ठभूमि से हैं, आईएएस भी रह चुके हैं और एंटरप्रेन्योर भी हैं, तब ईडी/ईएंडआर ने अपने गुरु के चैम्बर में कुटिलता भरी मुस्कान बिखेरते हुए कहा था, “इनको हम लोग अब असली इंजीनियरिंग पढ़ाएंगे”, इस बात पर इनके गुरु ने भी उतनी ही कुटिल मुस्कान से अपनी सहमति जाहिर की।

अधिकारी बताते हुए कहते हैं कि ऐसा लगता है, सीआरबी ने ईडी/ईएंडआर, पीईडी/विजिलेंस और लुक ऑफ्टर सेक्रेटरी को इसी काम का जिम्मा/सुपारी दिया है।

वह कहते हैं कि “रेलमंत्री जब तक पुराने घिसे-पिटे तरीके से जन्मतिथि के आधार पर ही सीआरबी, मेंबर, जीएम और डीआरएम चुनते रहेंगे, तब तक वह इसी तरह के लेढ़ लोगों से जूझते रहेंगे और कोई उत्पादक कार्य नहीं कर पाएंगे!”

उनका कहना है कि “यह लोग उनका भी समय उनके पूर्ववर्तियों की ही तरह कब और कैसे निकाल देंगे, उन्हें पता भी नहीं चलेगा और तब रेल ढ़ाई इंच भी आगे नहीं बढ़ पाएगी। यही तो पिछले सात साल से रेलवे में हो रहा है।”

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