रेलवे बोर्ड मेंबर्स के दौरों के खर्च, उनके आउटपुट, और उससे हुए लाभ का भी वैल्यूएशन होना चाहिए!
इस तरह रेल की न सिर्फ फिजूलखर्ची कम की जा सकती है, बल्कि उत्तरदायित्व भी निर्धारित किया जा सकता है। तभी हर अधिकारी जिम्मेदारी से अपना दायित्व निभाएगा!
सुरेश त्रिपाठी
मेंबर ट्रांसपोर्टेशन एंड बिजनेस डेवलपमेंट, रेलवे बोर्ड, संजय कुमार मोहंती शुक्रवार 2 जुलाई को कोलकाता पहुंचे और दक्षिण पूर्व रेलवे मुख्यालय गार्डनरीच में उन्होंने दक्षिण पूर्व रेलवे सहित पूर्व रेलवे एवं दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के परिचालन तथा वाणिज्य विभाग के अधिकारियों के साथ दोनों विभागों के परफार्मेंस की उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की।
इस बैठक में उक्त तीनों रेलों के प्रधान मुख्य वाणिज्यिक प्रबंधक और प्रधान मुख्य परिचालन प्रबंधक सहित ट्रैफिक/कमर्शियल विभाग के सभी संबंधित वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।
बैठक में दक्षिण पूर्व रेलवे के पीसीओएम प्रभाष दनसाना, पीसीसीएम एस. पी. दुधे, पूर्व रेलवे के पीसीओएम यू. के. बल, पीसीसीएम सौमित्र मजूमदार और दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के पीसीओएम छत्रसाल सिंह सहित अन्य सभी संबंधित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
दपूरे जनसंपर्क विभाग की तरफ से जारी विज्ञप्ति में बताया गया कि बैठक में मेंबर/ओबीडी संजय कुमार मोहंती ने रेल परिचालन एवं वाणिज्यिक आय के विभिन्न पहलुओं की समीक्षा की। उन्होंने संरक्षा, समय पालन, माल ढुलाई और राजस्व पर विशेष जोर दिया।
विज्ञप्ति में यह भी बताया गया कि श्री मोहंती ने चालू वित्त वर्ष 2021-22 में माल ढुलाई का लक्ष्य को प्राप्त करने, माल गाड़ियों की अधिकतम गति बढ़ाने को प्राथमिकता देते हुए नई लाइनों और दोहरीकरण के कार्यों को पूरा करने के लिए विभिन्न यातायात सुविधाओं पर भी विस्तृत चर्चा की।
यह सर्वज्ञात है कि अधिकारियों के निरीक्षणों की रिपोर्ट और बैठकों की विज्ञप्तियां ऐसी ही बनाई और जारी की जाती हैं, जिनमें केवल गुलाबी पिक्चर दर्शाई जाती है। उन पर अमल करना और कराना बाद में किसी को याद नहीं रहता।
मेंबर ट्रांसपोर्टेशन एंड बिजनेस डेवलपमेंट रेलवे बोर्ड बनने के बाद एक महीने के अंदर दूसरी बार संजय कुमार मोहंती का यह दूसरा कोलकाता दौरा है। पहली बार भी वह वाया भुवनेश्वर होते हुए लगभग तीन दिन कोलकाता में ठहरे थे। इस बार बताते हैं कि उनका ठहराव कुल पांच-छह दिन का है।
यह कितना अजीब है कि जो अधिकारी जिस रेलवे जोन में लगभग डेढ़ साल तक जीएम जैसे प्रमुख पद पर रहा है, वही अधिकारी बोर्ड मेंबर बनने के तत्काल बाद उसी रेलवे जोन की परफार्मेंस जांचने पहुंच जाए! वह भी एक महीने के भीतर दो-दो बार! और देखें, उपरोक्त मीटिंग में क्या हुआ! कुछ नहीं! केवल जुबानी-जमाखर्च!
तथापि इस मीटिंग की तैयारी में तीनों जोनों के संबंधित अधिकारियों का जो समय खर्च हुआ, वह जो अपना दैनंदिन कामकाज छोड़कर इसकी तैयारी में लगे रहे, उससे उनका दैनंदिन कामकाज प्रभावित हुआ, उसकी कभी कोई गणना नहीं की जाती। जबकि इस प्रकार की कथित समीक्षा बैठकें बड़ी आसानी से ऑनलाइन हो सकती हैं, बल्कि हो रही हैं। सभी जीएम और बोर्ड मेंबर्स कर रहे हैं।
अतः मेंबर/एडीशनल मेंबर स्तर के अधिकारिक दौरों का एक क्राइटेरिया तय किया जाना चाहिए। उसमें यह देखा जाए कि संबंधित मेंबर जिस जोन में गया, उसके दौरे/निरीक्षण पर कितना खर्च हुआ, कितने अधिकारी-कर्मचारी उसमें शामिल हुए, उन सबके समय सहित उनके इस दौरे के आउटपुट का वैल्यूएशन भी किया जाए। फिर यह भी देखा जाए कि उनकी इस तमाम कवायद और खर्च की बनिस्बत उक्त जोन की परफार्मेंस में कितना सुधार हुआ और रेल को इससे कितना लाभ मिला!
जब तक ऐसा कोई क्राइटेरिया तय नहीं किया जाएगा, खर्च, समय, आउटपुट इत्यादि का वैल्यूएशन नहीं होगा, तब तक यह कैसे तय माना जाएगा कि उनका दौरा/निरीक्षण कितना महत्वपूर्ण था और उससे रेलवे को क्या फायदा हुआ?
इस तरह रेल की न सिर्फ फिजूलखर्ची कम की जा सकती है, बल्कि उत्तरदायित्व भी निर्धारित किया जा सकता है। तभी हर अधिकारी और कर्मचारी जिम्मेदारी से अपना दायित्व निभाएगा!
अनावश्यक खर्चों में कटौती करने के लिए मिनिस्ट्री ऑफ फाइनेंस, डिपार्टमेंट ऑफ एक्सपेंडिचर द्वारा जारी 10 जून 2021 और रेलवे बोर्ड द्वारा 18 जून 2021 को जारी परिपत्र को भी इस संदर्भ में संज्ञान में लिया जाना चाहिए।
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