मारपीट की घटनाओं को लेकर रेलकर्मियों में व्याप्त भारी असंतोष

अकर्मण्य हो चुका है रेल प्रशासन: नहीं रुक रहीं रेलकर्मियों के साथ मारपीट की घटनाएं

मृतप्राय हो चुके हैं मान्यताप्राप्त रेल संगठनों को नहीं रह गया रेलकर्मियों की समस्याओं से कोई सरोकार

“रेल प्रशासन पूरी तरह से अकर्मण्य हो चुका है। आए दिन रेल कर्मचारियों के साथ मारपीट की घटनाएं हो रही हैं और आरपीएफ केवल दलाली का काम करती है। इन्हें रेल की और रेल कर्मचारी की सुरक्षा से कोई मतलब नहीं है।” यह कहना है एक रनिंग स्टाफ का।

उसने एक रनिंग स्टाफ ग्रुप में रनिंग स्टाफ को संबोधित करते हुए लिखा, “आपने देखा होगा कि पिछले कई वर्षों से गेटमैंनों के साथ मारपीट की अनेक घटनाएं हुई हैं। ऐसी लगभग सभी घटनाओं में आपसी फैसले करा दिए गए। इसका सीधा सा कारण है कानूनी कार्रवाई न होना, यानि दोषी पार्टी से मोटी रकम वसूल कर लेना और कर्मचारी पर अनावश्यक दबाव बनाकर फैसला करा लिया जाता है और उसको कहा जाता है कि आपको नौकरी करना है, आप निजी व्यक्तियों से झगड़ा क्यों मोल ले रहे हैं, प्यार से बात करें और उनसे मिलकर रहें, नहीं तो यह आपको और परेशान करेंगे।”

अंत में उसने लिखा कि “रेल प्रशासन की इसी अकर्मण्यता के कारण ही आज रेल कर्मचारियों के साथ आए दिन इस प्रकार की घटनाएं घटित हो रही हैं। हमारे मान्यताप्राप्त रेल फेडरेशन मृतप्राय हो चुके हैं, जिन्हें कर्मचारियों की समस्याओं से कुछ लेना देना नहीं रह गया है।”

रनिंग स्टाफ के रेलकर्मी के उपरोक्त उद्गारों से पता चलता है कि नीचे स्तर पर रेलकर्मियों में रेल प्रशासन और रेल संगठनों की कार्यप्रणाली को लेकर किस कदर असंतोष व्याप्त है। यह बात कई अन्य अवसरों पर अनेक तरह से सामने आ चुकी है। तथापि उच्च स्तर पर रेल प्रशासन और रेल संगठनों ने अब तक रेलकर्मियों की इस मनोदशा का संज्ञान लेना आवश्यक नहीं समझा है।

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