रेलवे की नाला सफाई के 30 करोड़ बह गए पानी में!

गत 12 वर्षों में 116 नालों की सफाई में खर्च हुए 30 करोड़

मुंबई में मध्य रेलवे एवं पश्चिम रेलवे के नालों (कल्वर्ट्स) की उचित साफ-सफाई नहीं होने से मानसून की पहली ही बारिश में बुधवार, 9 जून 2021 को कुर्ला से लेकर सायन और माटुंगा के बीच रेल पटरियों पर बारिश का पानी जमा हुआ और मुंबई उपनगरीय रेल सेवा बुरी तरह प्रभावित हुई।

गनीमत यह रही कि कोविड के चलते लोकल ट्रेन सेवाएं फिलहाल केवल आवश्यक सेवाओं से जुड़े सरकारी और कुछ गैर सरकारी कर्मचारियों के लिए ही चलाई जा रही हैं। अन्यथा सामान्य कामकाज के दिनों की तरह अगर सभी लोकल सेवाएं चल रही होतीं, तो पीक ऑवर में लाखों उपनगरीय यात्रियों का बहुत बुरा हाल हो गया होता।

“पिछले 12 सालों में रेलवे के 116 नालों की साफ-सफाई पर 30 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किए गए हैं। यह सफाई उचित तरीके से न होने के कारण 30 करोड़ रुपये पानी में बह गए।” यह आरोप आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने रेलवे और मुंबई महानगर पालिका पर लगाया है।

मुंबई में रेलवे के अंतर्गत आने वाले कल्वर्ट, जिनकी हर साल रेल प्रशासन द्वारा सफाई कराई जाती है और मुंबई मनपा द्वारा हर साल 3 से 4 करोड़ रुपये का भुगतान रेलवे को किया जाता है।

पिछले 12 साल में मुंबई मनपा से रेलवे को 30 करोड़ रुपये मिले हैं, लेकिन आज तक रेलवे की ओर से कोई ऑडिट नहीं हुआ, और न ही आजतक मुंबई महानगर पालिका द्वारा किए गए खर्च का रेलवे से कोई हिसाब मांगा गया।

मुंबई में रेल लाइनों के नीचे से गुजरने वाले कुल 116 नालों में से 53 मध्य रेलवे, 41 पश्चिम रेलवे और 22 हार्बर लाइन के अंतर्गत आते हैं।

वर्ष 2009-10 से 2017-18 तक के 9 सालों में मुंबई मनपा ने रेल प्रशासन को 23 करोड़ रुपये दिए थे। वर्ष 2018-19 में 5.67 करोड़ मनपा ने खर्च किए।

कुल मिलाकर, नालों की साफ-सफाई के मद में पिछले 12 वर्षों के दौरान मुंबई मनपा द्वारा कुल 30 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान रेलवे को किया गया है।

मुंबई महानगरपालिका ने इस साल मुंबई सीएसएमटी से लेकर मुलुंड तक रेल लाइनों के नीचे से निकलने वाले सभी नालों की साफ-सफाई महज 15 दिनों में पूरा करने का दावा किया है।

अनिल गलगली के अनुसार, हर साल मानसून से पहले नालों की सफाई के लिए मुंबई मनपा रेलवे को भुगतान करती है, लेकिन नालों की सफाई का कोई ऑडिट नहीं होता है।

उन्होंने कहा कि कुर्ला और सायन के बीच पिछले कई वर्षों से रेल सेवाएं ठप होती हैं। अगर 31 मई तक नालों की सफाई का सर्वे कराया जाए, तो ऐसी स्थिति नहीं पैदा होगी।

अनिल गलगली ने कहा कि दोनों एजेंसियां इसके लिए ​​समान रूप से जिम्मेदार हैं। जनता को दोनों एजेंसियों द्वारा किए गए खर्च के बारे में सूचित किया जाना आवश्यक है। फिर चाहे वह रेलवे हो या मुंबई महानगरपालिका!

उन्होंने इस मद में हुए खर्च की पूरी जानकारी सार्वजनिक किए जाने की मांग की है।

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