सरकार, व्यवस्था एवं सामाजिक संस्थाएं, जनता के हाहाकार को सुनें, समझें और मदद के लिए आगे आएं -शरण बिहारी अग्रवाल

मेरा अनुरोध है कि हर व्यक्ति कुछ न कुछ किसी न किसी रूप में इस समय अवश्य करे!

इस कोरोना महामारी ने हिंदुस्तान एवं हिंदुस्तान में रहने वाले हर एक व्यक्ति को अपनी हैसियत दिखा दी है। यह जता दिया है कि यहां आदमी की कीमत दो कौड़ी की है। उसके जीवन की कोई कीमत नहीं है। बाकी सब चीजें जमीन-जायदाद, रुपया-पैसा, पद-प्रतिष्ठा, रुतबा तो खैर बिल्कुल बेमानी होकर रह गया है।

कुछ समय से आदमी अपने आपको भगवान समझने लगा था, बल्कि उससे भी ऊपर। इस महामारी ने सारे रिश्तों-नातों को तार-तार कर दिया है। कोरोना पॉजिटिव रिश्तेदार तक को लोग अपने घर में नहीं ला रहे हैं। लाशों को श्मशान घाट में दूर से फेंककर चले आ रहे हैं।

पहले पानी बिक रहा था, अब सांसें बिक रही हैं। किसी भी कीमत में सांसें (ऑक्सीजन) उपलब्ध नहीं हैं। सांसों के सौदे हो रहे हैं। सांसों की ब्लैक मार्केटिंग हो रही है। महामारी की वजह से हिंदुस्तान की गरीब जनता, आगे कई वर्षों के लिए और अत्यधिक गरीबी-भुखमरी-लाचारी की ओर पहुंच गई है।

व्यापार पूरी तरह से खत्म हो चुका है। व्यापारी एवं जनता, सरकार और भगवान का मुंह देख रही है। हर घर में अकाल मृत्यु ने श्मशान का वातावरण निर्मित कर दिया है। त्राहि-त्राहि का यह आलम पिछली एक सदी में पहली बार आया है।

यह ऐसा समय है कि हर व्यक्ति को अब गंभीरता से सोचना और निर्णय लेना है कि इस स्थिति से कैसे ऊपर आया जाए। इसके लिए सरकार को हर हालत में जनता को विश्वास में लेना पड़ेगा। उसमें विश्वास पैदा करना पड़ेगा। उसे विश्वास दिलाना पड़ेगा, क्योंकि बहुत कुछ टूट चुका है।

सरकार को अत्यंत संवेदनशील होकर तुरंत कदम उठाते हुए पूरे देश की जनता के स्वास्थ्य एवं भोजन की व्यवस्था हर मिनट करनी चाहिए।

सरकार अपने सभी अन्य कार्यक्रम रोककर, सारे फालतू खर्चों को रोककर, सारा पैसा जनता को स्वास्थ्य सुविधाएं और अन्न उपलब्ध कराने में लगाए।

अभी भी सरकार अरबों-खरबों रुपया रोज नेताओं के फालतू खर्चों, पेंशन और न जाने कितने मदों में व्यर्थ कर रही है। उस सभी को तुरंत बंद कर, वह रकम सहायता एक-एक व्यक्ति, एक-एक घर तक पहुंचाकर उनकी मदद की जाए।

देखा जाए कि वास्तव में हमारे देश की जनता किस बुरी हालत से गुजर रही है। सरकार एवं सभी राजनीतिक दल, सभी पार्टियां, सभी समाज के लोग सारे मदों को रोककर सारे मतभेदों को बुलाकर एकजुट होकर जनता के हाहाकार को सुनें, समझें, और इस काम में एकजुट होकर सब लग जाएं।

यह तो सुनिश्चित है कि ईश्वर हमारे कर्मों से नाराज होकर ही यह विपत्ति हमें दे रहा है। जिनके पास पैसा है, सक्षम हैं, पद है, प्रतिष्ठा है, सरकारी सुविधाएं हैं, साधन हैं, सब इस काम में लग जाएं। शायद भगवान को दया आ जाए और वह हमें हमारे अनियंत्रित व्यवहार के लिए माफ कर दे!

हर व्यक्ति जो कुछ भी कर सकता है, सरकार जो भी कर सकती है, समाज जो भी कर सकता है, वो करे। ईश्वर प्रत्येक व्यक्ति को देख रहा है। अभी यह ईश्वर की मात्र एक छोटी सी चेतावनी है।

अभी भी वक्त है, तन मन धन से सोचें और जैसे भी, जिस तरह से भी बन सके, सेवा में लग जाएं। न जाने कौन से कर्मों का फल हम भुगत रहे हैं और आगे कितना भुगतना पड़ेगा, यह किसी को भी पता नहीं है।

मैं यह नहीं कहता कि लोगों की सेवा और भलाई के लिए कोई काम नहीं हो रहा है। पूरे हिंदुस्तान में सिख समाज के गुरुद्वारों एवं अन्य सामाजिक संस्थाओं द्वारा बहुत अच्छा काम किया जा रहा है।

मेरा सभी मंदिरों, मस्जिदों और ट्रस्टों से अनुरोध है कि उनके पास इसी गरीब जनता का दिया हुआ जो धन है उसे जनता के स्वास्थ्य, भोजन इत्यादि में निवेश कर दें। हर व्यक्ति कुछ न कुछ किसी न किसी रूप में इस समय जरूर करे।

मेरी प्रार्थना है, सभी को धन्यवाद है, और मेरे लिखे इन शब्दों को पढ़ने वाले हर व्यक्ति से मेरा अनुरोध है, कि यदि आपको मेरा सहयोग चाहिए तो मैं आपकी सेवा में यथासंभव योगदान के लिए हर समय प्रस्तुत हूं।

#शरणबिहारीअग्रवाल, मो. नं.9599983301