पू.म.रे.: जब रेलकर्मी अपनी व्यवस्था खुद करने को मजबूर हैं, तब उनके वेतन से कटौती का औचित्य क्या है?

सरकारी कर्मचारियों और देश की जनता को आखिर किस हद तक निचोड़ा जाएगा?

समस्तीपुर मंडल, पूमरे में कोविड पॉजिटिव क्रू-मेंबर्स की स्थिति

कोरोना संक्रमित रेलकर्मियों की सहायता तथा प्रीवेंटिव मेजर्स की व्यवस्था हेतु पू.म.रे. के रेलकर्मियों से स्वैच्छिक अंशदान की अपील

उपरोक्त विषय पर सुरेश कुमार, सीपीओ/आईआर, पूर्व मध्य रेलवे, हाजीपुर द्वारा Ltr. No. ECR – HQ0PERS – (I&W)-Corona Emergency Fund, दि. 20.04.2021 जारी करके पूमरे के रेलकर्मियों और अधिकारियों से अपील की गई है कि वे इस फंड में अपना स्वैच्छिक अंशदान करें। File No. ECR-HQ0PERS(IRW)/39/2021 -O/o Dy.CPO/IRnW/HQ/ECR.

पत्र में कहा गया है कि हाल के दिनों में पूमरे के कई रेलकर्मी कोरोना संक्रमित हुए हैं तथा इनमें से कुछ की असामयिक मृत्यु भी हो गई है। केंद्र सरकार, राज्य सरकारों तथा रेल मंत्रालय द्वारा संक्रमण से बचाव तथा प्रभावित व्यक्तियों की चिकित्सा व राहत के कई उपाय किए जा रहे हैं। फिर भी संक्रमितों की बढ़ती संख्या तथा प्रभावित व्यक्तियों की चिकित्सा व उनके परिवारों की आपात सहायता हेतु संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने की दिशा में हम पूमरे कर्मियों द्वारा भी अपना सामाजिक दायित्व निर्वहन की आवश्यकता प्रतीत होती है।

कोविड संक्रमण के रेल परिवहन एवं रेलकर्मियों पर पड़ रहे दुष्प्रभाव के आकलन व उससे निपटने के उपायों पर आयोजित विशेष आपात बैठक, जिसमें पूमरे के महाप्रबंधक, अपर महाप्रबंधक, सभी विभागाध्यक्षगण व उच्चाधिकारियों सहित ईसीआरकेयू के महासचिव भी उपस्थित थे, में आम सहमति से आपातकालीन निधि की व्यवस्था किए जाने का निर्णय लिया गया है, जिसके लिए मानक नियमावली निम्नवत होगी –

निधि का विवरण: पूमरे कोरोना आपातकालीन निधि।

लाभार्थी: पूमरे मुख्यालय में कार्यरत सभी राजपत्रित अधिकारी व अराजपत्रित रेलकर्मी।

व्यय: इस हेतु गठित समिति तथा यूनियन की सहमति से प्रीवेंटिव उपकरणों/साधनों का क्रय तथा प्रभावित रेलकर्मियों व उनके परिजनों की आपात सहायता हेतु राशि आवंटित की जाएगी।

अंशदान की राशि:
HAG & Above                          ₹1500/-
SAG & NFSAG                        ₹1000/-
SG/NFSG/JAG/Adhoc JAG     ₹500/-
Jr.Scale/Sr.Scale                     ₹300/-
Gr. C & Erstwhile Gr. D          ₹100/-

व्यय विवरण का रखरखाव: इस हेतु गठित समिति के सदस्य अधिकारियों के साथ-साथ यूनियन प्रतिनिधि द्वारा हस्ताक्षरित पंजिका में निधि से व्यय का पूर्णतः पारदर्शी रखरखाव सुनिश्चित किया जाएगा।

आयकर में छूट: चूंकि यह निधि स्थानीय तौर पर पूमरे के रेलकर्मियों हेतु रेज की जा रही है, अतः यह आयकर में छूट हेतु मान्य नहीं होगी।

अंशदान की कटौती: उक्त वर्णित अंशदान की कटौती माह अप्रैल 2021 के वेतन बिल से की जाएगी।

अंशदान का विकल्प: यह एक आपात निधि है एवं वर्तमान संकट को देखते हुए रेलकर्मियों के हितार्थ अति आवश्यक प्रतीत होता है। अतः सभी रेलकर्मियों से स्वैच्छिक अंशदान की अपील की जाती है। फिर भी, यदि कोई रेलकर्मी अंशदान नहीं देना चाहते हैं, तो अपना नकारात्मक विकल्प श्री सतीश कुमार सिंह, वरिष्ठ कार्मिक अधिकारी/बिल को दि. 22.04. 2021 तक जमा करा सकते हैं। इस तिथि तक नकारात्मक विकल्प नहीं प्राप्त होने पर अधिकारी/कर्मचारी की सहमति मानी जाएगी। निर्धारित तिथि के बाद प्राप्त विकल्पों पर विचार नहीं करना संभव नहीं होगा।

सर्वप्रथम उपरोक्त प्रकार से रेलकर्मियों से फंड इकट्ठा करने का मतलब तो यही है कि रेलवे की अंदरूनी आर्थिक हालत बहुत दयनीय हो चुकी है। कोरोना महामारी के चलते चौतरफा मौत का तांडव हो रहा है और सरकार या रेल प्रशासन के पास अपने कर्मचारियों की जान बचाने के लिए न तो पर्याप्त फंड है और न ही समुचित संसाधन हैं।

डेढ़ साल यानि तीन छमाही का डीए/आरए तो सरकार पहले ही हड़प चुकी है और एसडीआरएफ की कटौती भी पहले से की जा रही है। अब एक और आपातकालीन निधि की उगाही की जा रही है। आखिर सरकारी कर्मचारियों और देश की जनता को किस हद तक निचोड़ा जाएगा?

उपरोक्त के अलावा मंडलों के स्तर पर अधिकारियों और कर्मचारियों के वेतन से अलग-अलग अंकों में यह राशि काटी जा रही है। धनबाद मंडल में अधिकारियों से ₹500 तो कर्मचारियों से ₹200 काटे जा रहे हैं। दानापुर, समस्तीपुर, सोनपुर और मुगलसराय मंडल में भी इसमें विसंगति है। प्रशासन की नीयत में कोई खोट न भी मानी जाए, तब भी सवाल यह उठता है कि इस मद में एकरूपता बनाने की जिम्मेदारी किसकी थी?

इसके अलावा जब ऐसे ही मौकों के लिए रेलवे में कर्मचारी कल्याण निधि का पर्याप्त प्रावधान है, तब कर्मचारियों के कल्याण के लिए उसका उपयोग करने के बजाय अलग-अलग मद में अलग-अलग अंकों में विसंगतिपूर्ण कटौती कर्मचारियों के वेतन से क्यों की जा रही है?

यही नहीं, जब हर सर्कुलर में यह स्पष्ट रूप से अंशदान नहीं करने का विकल्प कर्मचारियों को दिया गया है, तब उनके द्वारा लिखित रूप से मना करने के बावजूद उनकी जबरन कटौती क्यों की जा रही है? इसके साथ ही विकल्प देने की कोई समय-सीमा कैसे निर्धारित की गई, जबकि कर्मचारी जब चाहे तब इसके लिए मना कर सकता है, उसकी मेहनत का पैसा है, कोई भी जबरन उससे कैसे ले सकता है, उसे इसका खुला समय मिलना चाहिए। ऐसे में यदि इसे “जबरन विधिवत लूट” की संज्ञा दी जा रही है, और कहीं किसी स्तर पर किसी कर्मचारी की सुनवाई नहीं है, तो इसमें गलत क्या है?

दूसरी बात यह कि जोन/मंडल से जारी उक्त सर्कुलर फील्ड स्तर के अधिकांश रेलकर्मियों तक आज भी नहीं पहुंच पाए हैं, जबकि वहां तक ही नहीं, बल्कि प्रत्येक कर्मचारी तक उक्त सर्कुलर पहुंचाने की जिम्मेदारी प्रशासन और उसके अहंमन्य कल्याण निरीक्षकों की थी, ऐसे में कर्मचारी पता ही नहीं है कि उनके वेतन से सौ-दो सौ रुपये की कटौती क्यों की जा रही है?

इसके अलावा सवाल यह भी उठता है कि बैठक में केवल एक ही यूनियन के पदाधिकारी को क्यों आमंत्रित किया गया था? जबकि जोनल स्तर पर मान्यताप्राप्त सभी संगठनों का प्रतिनिधित्व इस बैठक में होना चाहिए था।

यदि इस “विधिवत उगाही” का कोई अन्य अन्यार्थ न भी निकाला जाए और यह मान लिया जाए कि यह सब अच्छे उद्देश्य से रेलकर्मियों की व्यापक भलाई को ध्यान में रखकर किया गया, तो भी फील्ड में इलाज के लिए दर-दर भटकते और स्वयं तथा अपने परिजनों को खोते रेलकर्मियों की दुर्दशा को देखकर ऐसा नहीं लगता कि इस फंड और पूमरे प्रशासन की नेकनीयती का उद्देश्य वास्तव में हासिल हो पाया है।

इसके साथ ही यह भी देखा जाना चाहिए कि जोनल और डिवीजनल रेल अस्पतालों की व्यवस्था और वहां भर्ती रेलकर्मियों एवं उनके परिजनों की स्थिति का जायजा लेने के लिए अब तक कितने सक्षम अधिकारियों ने कितनी बार वहां का दौरा किया! केवल फंड बना देने और कटौती कर लेने से ही उनके कर्तव्य की इतिश्री नहीं हो जाती!

उपरोक्त रिलीफ फंड के बावजूद पूरे पूमरे में रेलवे की स्वास्थ्य सेवा ध्वस्त हो चुकी है। मंगलवार, 27 अप्रैल को दो ट्रैकमैनों की कोरोना से मौत पर पटना के सेंट्रल सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में जोरदार हंगामा हुआ। इससे पहले इसी अस्पताल में दानापुर मंडल के पीआरओ ऑफिस के एक प्यून रितेश कुमार घोष की इलाज के दौरान मृत्यु पर उसके भाई ने भी मौके पर ही अस्पताल में दम तोड़ दिया था।

“रेल प्रशासन और डॉक्टर रेलकर्मियों की मौतों पर भले ही कोई भी सफाई दे रहे हों, पर सच यही है कि रेलवे स्वास्थ्य सेवा बुरी तरह से चरमरा गई है।” यह कहना है यहां के कई रेलकर्मियों और यूनियन पदाधिकारियों का।

पूमरे के रेलकर्मियों का कहना है कि “पहले से ही एक अवैध कटौती हो रही है एसडीआरएफ के नाम पर, अब दूसरी होगी, इस प्रकार सरकार का पूरी सैलरी ही लील जाने का प्लान है। हम क्रू-मेंबर्स को कोई सुविधा नहीं मिल रही है, लेकिन वेतन काटने की पूरी व्यवस्था है। आपदा काल के लिए संचित फंड किस काम आएगा, फिर इस कटिंग का कहां प्रयोग होगा। यह किसी को पता नहीं है।”

धनबाद मंडल रनिंग स्टाफ की दुर्दशा का स्थानीय मीडिया में बखान

उनका कहना है कि “हमें खुद से इलाज के लिए व्यवस्था करनी पड़ रही है। खुद से सेनेटाइजेशन के हर समान की व्यवस्था और हर काम करना होता है। प्रशासन की ओर से कोई व्यवस्था नहीं की गई है। लोको, रनिंग रूम, बेड, किसी भी जगह को सेनेटाइजेशन नहीं किया जा रहा है। रनिंग रूम में सामूहिक बेड और खाने के कॉमन बर्तनों से काम लिया जा रहा है। पूमरे मेडिकल स्टाफ को छोड़ किसी भी फ्रंटलाइन वर्कर का टीकाकरण नहीं किया जा रहा है। जब सारी व्यवस्था खुद से ही करनी है, तो फिर प्रशासन किस काम के लिए यह कटौती कर रहा है?”

हालांकि पूमरे इम्प्लाइज यूनियन (ईसीआरईयू) ने 20 अप्रैल को पूमरे के पांचों मंडलों में कोरोना महामारी की रोकथाम हेतु समुचित व्यवस्था करने और संसाधन उपलब्ध कराने तथा वैक्सीनेशन एवं पीड़ित रेलकर्मियों के लिए रेमडेसिवर इंजेक्शन सहित आवश्यक दवाएं मुहैया कराने और उनके यथोचित बचाव के लिए जीएम पूमरे को एक पत्र लिखा था। इसके अलावा लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन, एससी एसटी एसोसिएशन आदि संगठनों ने भी यथासमय महाप्रबंधक को पत्र लिखकर बड़ी संख्या में रेलकर्मियों के संक्रमित होने और उनको समुचित उपचार उपलब्ध कराने की गुहार लगाई है। तथापि व्यवस्था में कोई परिलक्षित सुधार नजर नहीं आया है।

स्थानीय अखबार में प्रकाशित धनबाद मंडल का हाल

Position DDU Division, dtd. 17.04.20, officers COVID positive, as per CMS/DDU, are in home isolation as given below –

1. Dr C. S. Jha, SrDMO
2. Dr R. P. Singh, ACMS
3. Amit Kumar, ADEN
4. K.M.Sahay, AOM/Chg, admtd in DRH
5. Sudhanshu, SrDOM
6. Avinash, AAO
7. Gaurav Kumar, SrDME