तीन बोर्ड मेंबर्स की पोस्टिंग: आखिर रेलवे में कुछ तो शुरू हुई हलचल

“मंत्री और सीईओ को यह बात ध्यान रखना चाहिए कि पद और अधिकार हमेशा बना नहीं रहने वाला है। अतः प्रतिष्ठा बचाने के लिए जरूरी है कि व्यवस्था के हित में उचित निर्णय उचित समय पर ही लिए जाएं, क्योंकि वही है जिसकी आयु आदमी से हमेशा लंबी होती है!”

सुरेश त्रिपाठी

आखिर रो-गाकर चार महीने बाद रेलवे बोर्ड ने कम से कम एक निर्णय तो लिया। आज गुरुवार, 29 अप्रैल 2021 को सुबह-सुबह ही तीन बोर्ड मेंबर्स के पोस्टिंग आर्डर्स जारी कर दिए हैं। सुबह-सुबह ही पोस्टिंग आर्डर निकालने का यह काम भी शायद बोर्ड में पहली बार ही हुआ है।

बोर्ड द्वारा जारी आदेश के अनुसार मेंबर इंफ्रास्ट्रक्चर में संजीव मित्तल, जीएम/मध्य रेलवे, मेंबर ऑपरेशन एंड बिजनेस डेवलपमेंट में संजय कुमार महंती, जीएम/द.पू.रे. और मेंबर ट्रैक्शन एंड रोलिंग स्टॉक में राहुल जैन, डीजी/सेफ्टी, रे.बो. को पदोन्नत किया गया है।

हालांकि इस पोस्टिंग का प्राथमिक श्रेय पीएमओ और डीओपीटी को है। तथापि जानकारों का कहना है कि यह पदोन्नति वरिष्ठता (सीनीयरटी) के आधार पर की गई है। परंतु उनका यह भी कहना है कि “सीनियरटी के साथ हमेशा सूटेबिलिटी भी लागू होती है। राहुल जैन के मामले में इसका ध्यान नहीं रखा गया।”

उनका कहना था कि जब राहुल जैन को डीजी/सेफ्टी बना दिया गया था, तब यह मान लिया गया था कि उन्हें उनके विगत अक्षम रिकॉर्ड के मद्देनजर मेंबर से साइड लाइन किया गया है। परंतु ऐसा लगता है कि यह एक प्रकार से व्यवस्था को धोखा देने जैसा था।

उन्होंने कहा कि जो अधिकारी एक डिवीजन संभाल पाने में अक्षम पाया गया हो और उसको उसकी अक्षमता के चलते ही डीआरएम के पद से कार्यकाल पूरा हुए बिना हटा दिया गया हो, उसे सिर्फ सीनियरटी के आधार पर पहले जीएम और अब बोर्ड मेंबर बना देने का कोई औचित्य नहीं हो सकता।

उन्होंने कहा कि हाल ही में मंत्री ने यह कहकर बड़ी वाहवाही लूटी थी कि अब डेट ऑफ बर्थ (जन्मतिथि) के आधार पर डीआरएम, जीएम और बोर्ड मेंबर नहीं बनाए जाएंगे। उसका क्या हुआ? क्या इसका यह अर्थ निकाला जाए कि निकम्मे और अनिर्णय के शिकार लोगों की पसंद निकम्मी ही होती है?

जानकारों ने बताया कि वरिष्ठता के आधार पर रवीन्द्र गुप्ता, जीएम/आरसीएफ को मेंबर ट्रैक्शन एंड रोलिंग स्टॉक शायद इसलिए नहीं बनाया गया, क्योंकि एक तो वह वी. के. यादव की विद्युत लॉबी के खिलाफ थे और तब उनके द्वारा व्यवस्था को चौपट करने वाले उनके निर्णयों का बोर्ड में रहते हुए उन्होंने खुलकर विरोध भी किया था।

दूसरी तरफ मेंबर ट्रैक्शन एंड रोलिंग स्टॉक बनने से श्री गुप्ता का रेलवे बोर्ड के वर्तमान चेयरमैन सीईओ का भी शायद कड़ा मुकाबला होता, क्योंकि दिसंबर के बाद भी श्री गुप्ता का करीब आठ महीने का कार्यकाल बचा रहता, जिससे सीईओ के एक्सटेंशन की संभावनाएं धूमिल हो सकती थीं।

इसके अलावा जानकारों का यह भी कहना है कि जब यही सब करना था, तो इन मेंबर बने तीनों अधिकारियों का चार महीने का समय क्यों बर्बाद किया गया? जबकि जीएम बनने वाले अधिकारियों का अब तक चार महीने का समय अनावश्यक बर्बाद किया गया, जो अब छह-आठ महीने का हो सकता है। अब तो दो और जीएम के पद रिक्त हो गए हैं।

कोलकाता में जहां एक जीएम दो जोन संभाल रहा है, वहां अब क्या उसे तीनों जोन एकसाथ संभालने को कहा जाएगा? जबकि वहां विधान सभा चुनाव के मद्देनजर जनवरी में ही तत्काल जीएम की पोस्टिंग होनी चाहिए थी। ध्यान रहे कि कि तब जीएम पोस्टिंग में कोई नियम-कानून भी आड़े नहीं आ रहा था।

या फिर अब जीएम/सीएलडब्लयू को अतिरिक्त कार्यभार सौंपा जाएगा, जिनकी घरवाली के व्यवस्था में अनावश्यक हस्तक्षेप से सीएलडब्लयू के ही अधिकारी और कर्मचारी परेशान हैं, और इसी आशंका से पूर्व रेलवे एवं दक्षिण पूर्व रेलवे के भी।

(जीएम/पू.म.रे. को अतिरिक्त कार्यभार इसलिए नहीं सौंपा जा सकता, क्योंकि उनका कार्यकाल अब केवल दो महीने ही बाकी है।)

यही मनोदशा मध्य रेलवे के अधिकारियों और कर्मचारियों की भी बनी हुई है, क्योंकि वह भी हिडिंबा की ऊल-जलूल हरकतें बर्दाश्त करने की मन:स्थिति में नहीं हैं और जीएम सेक्रेटेरिएट से अन्यत्र ट्रांसफर लेकर चले जाने की अपनी तैयारी पहले से ही करके रखे हुए हैं।

विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि जीएम पैनल के लिए कुल 31 वरिष्ठ रेल अधिकारियों की डीपीसी हुई है। परंतु यह मामला अब तक डीओपीटी में अटका हुआ है। यह आगे नहीं बढ़ पा रहा है, जबकि अब कुल 6 जीएम पद खाली हो गए हैं। उधर आधे डीआरएम का कार्यकाल समाप्त हो चुका है, पर उनकी जगह नये डीआरएम्स की पोस्टिंग पर अब तक रेलवे बोर्ड में कोई हलचल शुरू नहीं हुई है।

अंत में रेल की लगातार खराब हो रही स्थिति से क्षुब्ध प्रबुद्ध जानकारों ने बहुत स्पष्ट शब्दों में कहा कि मंत्री और सीईओ को यह बात पूरी गंभीरता के साथ ध्यान रखना चाहिए कि यह पद और अधिकार हमेशा बना नहीं रहने वाला है। अतः प्रतिष्ठा बचाने के लिए जरूरी है कि व्यवस्था के हित में उचित निर्णय उचित समय पर ही लिए जाएं, क्योंकि वही है जिसकी आयु आदमी से हमेशा लंबी होती है।

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