मूर्खों की भीड़ जुटाकर ट्रेंकुलाइजर को हर मर्ज की दवा बना दिया गया!
जिस दिन ये ट्रेंकुलाइजर काम करना बंद कर देगा, उस दिन भक्तों के रूप में मूर्खों की ये भीड़ महंगाई और बेजोजगारी के दर्द से कराह उठेगी!
लोग महंगाई और बेरोजगारी से पूरी तरह टूट चुके हैं। अच्छी सैलरी और काम-धन्धे वाले लोगों की हालत भी पस्त है। मगर दिमाग में एक वर्ग विशेष को टाइट करने वाला जो कथित सांप्रदायिक ट्रेंकुलाइजर डाला गया है, वह उनके दर्द का बैलेंस बनाए हुए है। जिस दिन ये ट्रेंकुलाइजर काम करना बंद कर देगा, उस दिन भक्तों के रूप में ये मूर्खों की भीड़ महंगाई और बेजोजगारी के दर्द से कराह उठेगी।
नोटबंदी और जीएसटी के दर्द को ट्रेंकुलाइज करने के लिए नागरिकता कानून लाया गया। मुसलमानों को टारगेट करके इनके दर्द को कम किया गया। सरकारी सम्पत्तियों (देश) को बेंचने से जो दर्द उठा था, उसे तथाकथित विकास नामक ट्रेंकुलाइजर से खत्म किया गया।
बीएसएनएल को स्वीट प्वाइजन देकर फ्री डेटा और फ्री कॉलिंग युक्त ‘जिओ’ नामक ट्रेंकुलाइजर लॉन्च किया गया, बहुत बड़ी संख्या में लोगों को दर्द से आराम भी हुआ, लेकिन घाव तब उभर आया जब फ्री डेटा और फ्री कॉलिंग का भूत उतर गया।
खेती-किसानी को अम्बानी-अडानी के हाथों बेचने वाला कानून हो, या सरकारी बैंकों और सम्पत्तियों को बेचने का दुष्चक्र हो, दर्द तो उठा ही, मगर तथाकथित निजीकरण नामक राष्ट्रवादी ट्रेंकुलाइजर से इस दर्द को भी कम कर दिया गया।
बार-बार हेवी ट्रेंकुलाइजर के प्रयोग से भक्त बन चुकी अच्छी खासी भीड़ का दिमाग अब इस लेवल तक डैमेज हो चुका है कि वे किसानों और मजदूरों के आंदोलन को भी देशद्रोही मान बैठे हैं। महंगाई और बेरोजगारी को राष्ट्र के लिए कुर्बानी, लोकतंत्र ईमानदारी और सच्चाई के लिए लड़ने वालों को भी देशद्रोही कहने लगे हैं।
लेकिन हमें घबराना नहीं है। उन पर तरस खाना है। भक्त बन चुकी भीड़ पर गुस्सा भी नहीं करना हैं। उन्हें प्यार से, तर्क से, बुद्धि से, विवेक से, धैर्य से बर्बाद हो चुकी अर्थव्यवस्था और कमरतोड़ चुकी महंगाई और बेरोजगारी के दर्द से अवगत कराना है।
उन्हें बताना है कि सरकारी सम्पत्तियों को बेचना, सरकारी बैंकों और संस्थाओं का निजीकरण करना राष्ट्रवादी नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को गरीब और गुलाम बनाने का बेहद चतुर षड़यंत्र है।
उन्हें बताएं, समझाएं कि डीजल-पेट्रोल की महंगाई कच्चे तेल की महंगाई नहीं है, बल्कि यह वह टैक्स है जिससे सरकार अपने गलत फैसलों से टूट चुकी अर्थव्यवस्था में बार-बार ईंधन डालने का प्रयास कर रही है, ताकि आपके दिमाग में ट्रेंकुलाइजर का असर बना रहे।
उन्हें आखिरी दम तक बताना है, समझाना है कि लोकतंत्र की आड़ में सरकार की गुलाम बन चुकी गोदी मीडिया और सरकारी जांच एजेंसियां न केवल आपसे सच छुपा रही हैं, बल्कि झूठ का सहारा लेकर सरकार की विफलताओं और आपके खिलाफ अलोकतांत्रिक फैसलों पर पर्दा डाल रही हैं। जो सच है उसे झूठ और जो झूठ है उसे सच की तरह परोसा जा रहा है।
उम्मीद है कि एक वक्त के बाद भटक चुके अंधभक्तों पर भी ट्रेंकुलाइजर का असर कम होगा और वही लोग जो सरकार के गलत निर्णयों का, अलोकतांत्रिक फैसलों और कानूनों का पक्ष ले रहे हैं, सरकार के खिलाफ अवश्य उठ खड़े होंगे।
सोशल मीडिया पर – अमरेंद्र शर्मा
जब शराबबंदी करनी थी, तो नोटबंदी कर दी गई!
जब टैक्स कम करके व्यापारियों को राहत देनी थी तो #GST लगा दी गई!
जब #AIIMS और यूनिवर्सिटी बनानी थीं, तब 3000 करोड़ की मूर्ति बनवा दी गई!
जब 2 करोड़ नौकरियां हर साल देनी थीं, तो सबको चौकीदार बना दिया गया!
जब बेरोजगारी हटानी थी, तो पकौड़ों की रेहड़ी लगाने की सलाह दे दी गई!
जब बंधुत्व बढ़ावा देना था, तब सारे देश में हिंदू-मुस्लिम के बीच घृणा और नफरत पैदा कर दी गई!
जब बाढ़ रोकने के लिए बांध बनाने थे, तो पूरे देश में अपनी पार्टी का मुख्यालय और आलीशान कार्यालय बना दिए गए !
जब वायु मार्ग से जवानों को सुरक्षित भेजना था, तो सड़क मार्ग से भेज कर 40 जवान शहीद करवा दिए गए!
जब कोरोना वायरस से बचाव के लिए रणनीति बनानी थी, तब ट्रंप की आरती उतारी जा रही थी!
जब मास्क बनवाने थे, तब गरीबी छुपाने के लिए दीवार बनवाई जा रही थी!
जब वेंटीलेटर खरीदने थे, तब विधायक खरीदे जा रहे थे!
जब विदेशियों को रोकना था, तब मध्य प्रदेश में सरकार बनाई जा रही थी!
जब डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए उपकरण मुहैया कराने थे, तब ताली थाली पिटवाई जा रही थी!
जब लॉकडाउन करने से पहले तैयारी करनी थी, तब अपने भक्तों की संख्या चेक की जा रही थी!
जब डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों को सुरक्षा मुहैया करानी थी, लोगों को चेतावनी देनी थी, तब दीया-मोमबत्ती जलाने की सलाह दी जा रही थी!
अब प्रवचन दिए जा रहे हैं!
लॉकडाउन का सख्ती से पालन करें!
अपना ध्यान खुद रखें!
भूखों का भी ध्यान रखें!
बुजुर्गो का विशेष ध्यान रखें!
तब बताओ, आपको प्रधानमंत्री किस लिए बनाया गया है?
सरकार की नाकामी पर बात करो, तब भक्त कहते हैं कि सकंट की इस घड़ी में राजनीति न करो!
1. During the year 2018,1% of people of this Country owned 58% Assets of this country.
2. During 2019, same 1% people of this country owned 73% of Assets of this Country.
3. This is a classic case of Chrony Capitalism. And You better know WHO are they!
वे सिर्फ लूट नहीं रहे, बल्कि अपनों से भी लुटवा रहे हैं!
Tikotsav ! Like Taali and Thaali. They wants hype, hoopla and pomp in everything. He has replaced sincerity, hard work and governance with event management. There is severe shortage of vaccines across the country. Then, there is vaccine politics. Their ruled states getting much more than others. On the top of that vaccines have been exported without caring for our domestic needs and demands.
“There is very scary situation. We are our own saviour. This country getting consigned to hell. Please take care of your family and yourself. Your tax money is funding politicians’ care & recovery in hospitals”, said a senior government official.
चुनाव आयोग पर मद्रास हाईकोर्ट की कड़ी टिप्पणी: क्यों न चुनाव आयोग के अधिकारियों पर हत्या का मुकदमा चलाया जाए! देखें, पूरी खबर..