सिर्फ महाराष्ट्र में ही नहीं चलता रहा, रेल मंत्रालय में भी चल रहा है वसूली रैकेट!
वसूली सिर्फ महाराष्ट्र की ही सरकार अथवा उसका गृहमंत्री ही नहीं करवाता रहा है, बल्कि रेल मंत्रालय में रेलमंत्री के मातहत भी जमकर वसूली हो रही है। इसीलिए रेल मरी पड़ी है!
“रेलमंत्री पीयूष गोयल ने भी वसूली एजेंट पाल रखे हैं। श्री गोयल के भी कई “सचिन वझे” हैं।” यह कहना है रेल मंत्रालय के कई वरिष्ठ अधिकारियों का!
उनका कहना है कि प्रधानमंत्री कार्यालय और केंद्रीय गृहमंत्री कार्यालय, रेल मंत्रालय में भुवन सोरेन, अनुज गुप्ता और रवि गुप्ता के कारनामों की जांच कराएं।
उन्होंने कहा कि यदि केंद्र सरकार वास्तव में ईमानदार है और “न खाऊंगा, न खाने दूंगा” वाली अपनी घोषणा पर आज भी कायम है, तो रेल मंत्रालय में चल रहे अवैध वसूली रैकेट की जांच करवाए, तब पता लगेगा कि रेल अधिकारी ट्रांसफर/पोस्टिंग के लिए पैसा देने को क्यों मजबूर हैं? क्यों हर टेंडर, ट्रांसफर और पोस्टिंग में पैसे का बोलबाला है?
- क्यों टेंडर्स के लिए ठेकेदारों अथवा कंपनियों को उक्त तीनों व्यक्तियों को संपर्क करना जरूरी है?
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क्यों अनावश्यक कार्यों के अनावश्यक टेंडर निकाले जा रहे हैं? एडवांस टेंडर निकालने का क्या औचित्य है?
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क्यों अधिकारियों को अपनी ट्रांसफर/पोस्टिंग के लिए रेल मंत्रालय में उक्त तीनों व्यक्तियों और संबंधित वरिष्ठ अधिकारियों की परिक्रमा करने जाना जरूरी है?
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क्यों रेल मंत्रालय में “टेंडर एक्सेप्टेंस प्लाजा” और “गुप्ता किराना स्टोर” तथा “पांडे पान भंडार” जैसी दूकानें खुली हुई हैं?
अधिकारी बताते हैं कि साफ-सफाई लेकर रेल मंत्रालय के लगभग हर छोटे-बड़े कांट्रैक्ट/टेंडर में किसी न किसी प्रकार का घोटाला है।
उनका कहना है कि यदि सिर्फ कुछ बड़े मामलों की ही जांच करा ली जाए, तो रेल मंत्रालय की सारी पोल खुल जाएगी!
उन्होंने यह भी कहा कि जल्दी ही रेल मंत्रालय से जुड़े ऐसे कई और बड़े खुलासे किए जाएंगे।
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