सीएमएस/डीआरएच/उ.रे. को आखिर क्यों थी झंडा फहराने की इतनी जल्दी!

उत्तर रेलवे, दिल्ली मंडल के पुरानी दिल्ली स्थित मंडल रेल अस्पताल (डीआरएच) के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) डॉ मानसिंह को गणतंत्र दिवस, 26 जनवरी को झंडा फहराने की इतनी जल्दी क्यों थी, इस बारे में अस्पताल का स्टाफ बहुत सारी अटकलें लगा रहा है।

परंतु स्टाफ की एक बात तो तथ्यपूर्ण है कि 26 जनवरी, गणतंत्र दिवस के दिन जब राजपथ पर राष्ट्रपति द्वारा तिरंगा फहरा दिया जाता है, उसके बाद ही सभी सरकारी कार्यालयों में तिरंगा फहराया जाता है। यही सरकारी प्रोटोकॉल भी है।

ऐसे में डॉ मानसिंह को कम से कम इस प्रोटोकॉल का संज्ञान अवश्य होना चाहिए था। अस्पताल स्टाफ का कहना है कि “यदि ऐसा नहीं था, तो क्या यह माना जाए कि उनको किसानों के साथ उनके मोर्चे पर जाने की जल्दबाजी थी?”

अस्पताल स्टाफ का कहना है कि डीआरएच चूंकि लालकिले से बहुत नजदीक है और उस दिन किसानों को लालकिले पर झंडा फहराने की अनुमति दिल्ली पुलिस ने दी थी, जिसका किसानों ने गलत फायदा उठाकर लालकिले में तोड़फोड़ करने सहित तमाम सरकारी संपत्तियों को भारी नुकसान पहुंचाया।

स्टाफ की अटकल है कि चार-छह घंटे बिना किसी कामकाज के अपनी “सहेली” के साथ बैठकर केवल टाइम पास करने वाले सीएमएस को क्या किसानों के कृत्य में भाग लेने जाना था? अथवा उस दिन उन्हें ऐसी कौन सी जल्दबाजी थी कि उन्होंने राष्ट्रपति से पहले झंडा फहराना जरूरी समझा?

अस्पताल स्टाफ ने बताया कि झंडा वंदन के लिए एक दिन पहले डॉ इंद्रजीत ने अस्पताल के सभी डॉक्टरों और स्टाफ को व्हाट्सएप पर संदेश भेजकर सुबह 9.30 बजे उपस्थित रहने को कहा था। परंतु जब तक सभी लोग पहुंचते, तब तक सीएमएस ने झंडा फहराकर उसमें बांधे गए सारे फूलों की बरसात अपने ऊपर कर लिया था।

हालांकि 26 जनवरी को राष्ट्रपति के बाद ही सभी सरकारी, अर्ध-सरकारी, निजी संस्थानों और सर्वसामान्य को झंडा फहराने का सरकारी प्रोटोकॉल है, परंतु देखने यही आता है कि सभी जगह राष्ट्रपति से पहले ही झंडा फहरा दिया जाता है। मंडल के कई रेलकर्मियों का कहना है कि कांट्रैक्टरों के साथ अक्सर मगन रहने वाले डीआरएम/दिल्ली को इस मामले का संज्ञान लेते हुए उचित कार्रवाई सुनिश्चित करनी चाहिए।

इस मामले में सरकार को भी हर साल एक जन-जागरूकता अभियान चलाना चाहिए, क्योंकि ज्यादातर उजबकों के इस देश में सरकारी ज्ञापनों और कानून का पालन करने की समझदारी तब तक नहीं आती, तब तक कि उन पर कानून के पालन की प्रशासनिक एवं अनुशासनिक सख्ती न की जाए!