एचआईएमएस का डिजिटाइजेशन: आनलाइन प्रणाली से जुड़ेंगे सभी रेलवे अस्पताल
रेलवे अस्पतालों में अब डॉक्टर के अपॉइंटमेंट से लेकर रोगी की जांच और दवा की पूरी प्रक्रिया आनलाइन करने की तैयारी हो रही है। देशभर के सभी रेल चिकित्सालय एचआईएमएस यानि “अस्पताल सूचना एवं प्रबंधन प्रणाली” से जोड़े जाएंगे। उत्तर रेलवे केंद्रीय अस्पताल (एनआरसीएच) से इस योजना की शुरूआत हो चुकी है।
एनआरसीएच सहित उत्तर रेलवे के सभी मंडल अस्पतालों के लिए एचआईएमएस प्रणाली का शुभारंभ किया जा चुका है और उम्मीद है कि अगले महीने तक उत्तर रेलवे की सभी स्वास्थ्य ईकाईयों में भी यह प्रणाली अपनाई जाने लगेगी।
इस प्रणाली के जरिए डॉक्टर और मरीज से जुड़ा सारा विवरण ऑनलाइन उपलब्ध रहेगा। सभी सेवानिवृत्त उम्मीद कार्डधारी रेलकर्मियों/अधिकारियों को इसका लाभ मिलेगा। डॉक्टर का अपॉइंटमेंट लेने के लिए ऑनलाइन पंजीकरण कराना होगा।
डॉक्टर मरीज की बीमारी को समझने के बाद दवाओं के लिए पर्चा लिखकर मरीज को नहीं देंगे, बल्कि सीधे फार्मेसी को भेजेंगे। इसके साथ ही मरीज को भी अपनी दवाओं की जानकारी एसएमएस के माध्यम से प्राप्त हो जाएगी।
इसके अलावा जांच से लेकर अन्य अस्पताल में रेफर करने की समस्त प्रकिया भी ऑनलाइन होगी। रोगी को कोई फार्म भरना नहीं पड़ेगा।
एचआईएमएस प्रणाली : “उम्मीद कार्डधारक” पंजीकरण डेस्क पर जाकर ऑनलाइन पंजीकरण कराएगा। वह अपनी बीमारी से संबंधित जानकारी देगा जो कि डॉक्टर को भेजी जाएगी। यदि रोगी के पास यूएमआईडी (उम्मीद) आईडी नहीं है, तो उसे एक वैकल्पिक कियोस्क पर जाना होगा, जहां अस्थायी आईडी बनाई जाएगी। इस अस्थायी आईडी का उपयोग अपना टोकन प्राप्त करने के लिए किया जाएगा।
मरीज को देखने से पहले डॉक्टर उसका नंबर दर्ज करेंगे या उसका कार्ड स्कैन करेंगे। इससे मरीज का सारा मेडिकल रिकॉर्ड डॉक्टर के कंप्यूटर पर उपलब्ध हो जाएगा। डॉक्टर मरीज को देखने के बाद यदि कोई जांच बताता है, तो जांच संबंधी जानकारी सीधे लैब में जाएगी और कोई फॉर्म भरने की जरूरत नहीं होगी।
मरीज की जांच के नमूनों में बार कोड़ लगे होंगे। यह जांच रिपोर्ट सीधे उसके मोबाइल पर भेज दी जाएगी।
इसी प्रकार डॉक्टर द्वारा लिखी गई दवा का विवरण सीधे दवा वितरक के पास जाएगा। पर्ची बनाने की आवश्यकता नहीं होगी। यदि लिखी गई दवा उपलब्ध नहीं है, तो वह स्थानीय खरीद अनुभाग को निर्देशित करेंगे।
मरीज को एसएमएस से जानकारी मिलेगी कि उसका पर्चा भरा जा चुका है और दवा तैयार है। डॉक्टर मरीज को आवश्यकतानुसार अन्य विभागों या बाहर के अस्पतालों में भी रेफर कर सकता है।
मरीज और उसकी बीमारी से संबंधित सारा विवरण पीडीएफ या जेपीईजी फार्मेट में ईएमआर के रूप में अपलोड किया जाएगा और डॉक्टर के पास भविष्य के लिए भी यह सुरक्षित रहेगा।
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