“लूटो और लूटने दो – न हम तुम्हारी तरफ देखेंगे, न तुम हमारी तरफ देखो!”

सीईओ/रेलवे बोर्ड को गाड़ियां चलाने की नहीं, सिर्फ कमाई की चिंता है

चेयरमैन एवं सीईओ/रेलवे बोर्ड आज तीन बजे से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी जोनल रेलों के महाप्रबंधकों और मंडल रेल प्रबंधकों के साथ संरक्षा एवं माल लोडिंग की समीक्षा करेंगे।

यहां वह कहावत चरितार्थ हो रही है जिसमें कहते हैं, “सत्तार बनिया, इस कोठी का धान उस कोठी में भरता रहता है!”

यही काम रेलवे बोर्ड के कथित सीईओ शायद अपने अंतिम दिनों में कर रहे हैं। देखें, ईडी/ईएंडआर द्वारा सभी जीएम और डीआरएम को भेजा गया व्हाट्सएप मैसेज –

Dear Sir/Madam,

Chairman & CEO and the Board Members will Review the Safety and Freight Loading Performance of Railways with open line GMs & DRMs at 15.00 hours on 24.12.2020 (Thursday) through VC.

Each Zonal Railway is requested to present in brief and structured way in max 10 minutes covering maximum 6 slides on the following agenda:

  1. Safety Performance so far, action being taken to ensure safety.
  2. Freight Loading Performance so far, action plan to meet the target.
  3. Goods Sheds improvements & Round-the Clock Working.
  4. Commissioning of PFTs/Private Sidings.

Presentation to be email by 15:00 hrs on 23.12.2020.

Rgds
Umesh Balonda
ED/E&R

सभी जोनों को सिर्फ दस मिनट का समय दिया गया है और छह स्लाइड्स में सब कुछ कवर करने को कहा गया है।

इतने में प्रत्येक जोन को अब तक की सेफ्टी परफॉर्मेंस और उसे सुनिश्चित करने के लिए किए गए उपाय बताने को कहा गया है, जब इसी विषय का सबसे ज्यादा बंटाधार हुआ पड़ा है। वह भी तब, जब पूर्ववत सभी 22-23 हजार गाड़ियां प्रति दिन के हिसाब से नहीं चल रही हैं। सोचो, ऐसे में यदि वह सभी गाड़ियां चल रही होतीं, तब सेफ्टी की क्या दशा होती!

इस समीक्षा बैठक का दूसरा एजेंडा है, प्रत्येक जोन द्वारा अब तक की गई माल लोडिंग और निर्धारित लक्ष्य हासिल करने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में बताने को कहा गया है। जबकि पता है कि मार्च से लेकर अब तक जोनल रेलों के पास यह एकमात्र “हमाली” करने के अलावा और कोई काम नहीं रहा है और वे यह काम बखूबी कर रही हैं, फिर भी चूंकि बोर्ड है, तो उसे जोनल रेलों को डंडा करने तथा उनकी कमाई जानने का सर्वाधिकार प्राप्त है।

बैठक का तीसरा एजेंडा है गुड्स शेड्स का सुधार और वहां चौबीसों घंटे कार्य करना सुनिश्चित किए जाने का। सालों-साल से यह ऐसी हर मीटिंग का परमानेंट एजेंडा है, परंतु आजतक किसी भी गुड्स शेड में आवश्यक एवं निर्धारित सुधार इसलिए सुनिश्चित नहीं हो पाया है, क्योंकि यह कोई करना ही नहीं चाहता है और उन्हें मालूम है कि वहां निरीक्षण के मंत्री तो क्या संत्री (जीएम/डीआरएम) भी कभी नहीं जाने वाला है।

अब यदि गुड्स शेड तक व्यापारियों को उचित पहुंच सुविधा, सुरक्षा और मूलभूत जरूरतों की पूर्ति कर दी जाएगी, तो साहबों की चिरौरी-विनती कौन करने जाएगा! और यदि यह सब मुहैया करा देने से रेल की कमाई बढ़ जाएगी, तो इन निठल्ले और कामचोर साहबों को कौन पूछेगा! बस इसीलिए आजतक हर गुड्स शेड्स को हर मूलभूत सुविधा से वंचित करके रखा गया है।

इस मीटिंग का चौथा और सबसे महत्वपूर्ण एजेंडा है – प्राइवेट फ्रेट टर्मिनल (पीएफटी) और प्राइवेट साइडिंग की कमिश्निंग का – यह एजेंडा इसलिए “सबसे” महत्वपूर्ण है, क्योंकि इनसे “सबके” हित जुड़े हुए हैं। इसीलिए तो कानपुर जैसे कमाई वाले शहरों में स्थापित पीएफटी का करोड़ों का वह बकाया माफ कर दिया जाता है, नीति-नियमों के अनुसार जिसके भुगतान की लिखित सहमति पीएफटी निदेशकों द्वारा दी गई होती है।

जानकारों का कहना है कि “ऐसा इसलिए होता है क्योंकि करोड़ों का बकाया माफ करने में करोड़ों की डील होती है।” उनका कहना है कि, “पिछले कुछ सालों से रेलवे में ‘लूटो और लूटने दो – न हम तुम्हारी तरफ देखेंगे, न तुम हमारी तरफ देखो’ की नीति पर अमल किया जा रहा है।”

एक पूर्व मेंबर इंजीनियरिंग, रेलवे बोर्ड का कहना है कि चेयरमैन/सीईओ/रेलवे बोर्ड ने इस सबके के साथ ही कभी विभिन्न जोनल रेलों के अंतर्गत जारी इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स की समीक्षा क्यों नहीं किया? क्यों आनंद प्रकाश जैसे भ्रष्ट अधिकारी जीएम बन गए, जिन्होंने रेलवे को न सिर्फ सैकड़ों करोड़ का नुकसान पहुंचाया, बल्कि पांच-पांच साल तक प्रोजेक्ट्स को पीछे कर दिया?

Read: How an malign officer becomes a #GM after multi-crores #wastage of #public_money?

उन्होंने कहा कि मंत्री अथवा सीईओ द्वारा ऐसा कोई उदाहरण हर दो-तीन महीनों में सेट क्यों नहीं किया जा सका कि जनता की गाढ़ी कमाई (पब्लिक एक्सचेकर) को चूना लगाने वालोें को तत्काल सिस्टम से बाहर किया जा सके!

-सुरेश त्रिपाठी