मीठी नदी का विकास: केंद्र से राज्य को अब तक नहीं मिली एक फूटी कौड़ी!
2004 से 2014 तक केंद्र में लगातार डॉ मनमोहन सिंह की सरकार रही, परंतु न तो उन्होंने अपना वादा पूरा किया, और न ही तब से अब तक की महाराष्ट्र सरकारों ने केंद्र के साथ उचित समन्वय स्थापित करके राशि की मांग करना जरूरी समझा!
यह सर्वज्ञात है कि 26 जुलाई, 2005 को मुंबई की मीठी नदी में भीषण बाढ़ आई थी। सैकड़ों साल के ज्ञात इतिहास में ऐसी बाढ़ मुंबई में पहली बार आई थी, जिसने पूरी मुंबई को तहस-नहस कर दिया था।
इसके बाद केंद्र सरकार ने मीठी नदी के विकास और सुरक्षा के लिए पर्याप्त सहायता देने की घोषणा की थी।
गत 15 वर्षों में मीठी नदी को आज तक केंद्र से फूटी कौड़ी भी नहीं मिलने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को मुंबई महानगर एवं क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण (एमएमआरडीए) ने दी है। प्राधिकरण द्वारा केंद्र से कुल ₹1657.11 करोड़ की राशि की मांग की गई थी।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने प्राधिकरण से मीठी नदी विकास कार्य के अंतर्गत एमएमआरडीए और मुंबई मनपा द्वारा किए गए विकास कार्य और केंद्र से मांगी गई/प्राप्त हुई राशि की जानकारी मांगी थी।
एमएमआरडीए द्वारा दी गई जानकारी में बताया गया है कि मीठी नदी विकास कार्य के अंतर्गत एमएमआरडीए द्वारा किए गए कार्य के लिए केंद्र से ₹417.51 करोड़ की राशि मांगी गई थी और मुंबई मनपा ने ₹1239.60 करोड़ रकम की मांग की थी।
एमएमआरडीए को अब तक केंद्र से किसी भी प्रकार की कोई भी राशि इस मद में प्राप्त नहीं हुई है।
उल्लेखित है कि 26 जुलाई 2005 को हुई भारी बारिश से मीठी नदी में भयंकर बाढ़ आई थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने मीठी नदी के लिए आर्थिक मदद की घोषणा भी की थी।
इसके बाद ही महाराष्ट्र सरकार ने “मीठी नदी विकास और संरक्षण प्राधिकरण” का गठन किया था।
अनिल गलगली के अनुसार फंड के अभाव में नदी की और ज्यादा दुर्दशा हुई है तथा जो रकम खर्च करने का दावा किया गया है, उसका ऑडिट करने की आवश्यकता है।
उनका कहना है कि केंद्र सरकार को भी अपनी बात पर कायम रहना चाहिए और इस पर हुए खर्च की प्रतिपूर्ती उसे अविलंब करना चाहिए।
उल्लेखनीय कि 2004 से 2014 तक केंद्र में लगातार डॉ मनमोहन सिंह की सरकार रही, परंतु तब भी न तो उन्होंने अपने वादे को पूरा करना जरूरी समझा, और न ही तब से लेकर अब तक की राज्य सरकारों ने केंद्र के साथ उचित समन्वय स्थापित करके राशि की मांग करना जरूरी समझा!
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