“तुस्सी जा रहे हो! तुस्सी ना जाओ जी!!”
“कुछ-कुछ होता है” फिल्म में एक मासूम बच्चा था, बाकी लोग कुछ भी कर रहे हों, वह बस तारे गिनने में लीन रहता था।
अपनी गिनती में ही मग्न वह बच्चा अपने में ही खुश था, जैसे कोई बहुत बड़ा काम कर रहा हो!
फिल्म की पूरी स्टार कास्ट स्तब्ध थी उसकी तन्मयता देख कर!
भारतीय रेल परिचालन सेवा (आईआरटीएस) के सीनियर अधिकारी भी उसी बच्चे की तरह हैं, जो सिर्फ अपने तारे रूपी डिब्बे गिनने में मगन हैं।
कैडर की दुर्दशा, जूनियर्स की सुख-सुविधाएं, नए दौर के नए तौर-तरीकों से उनको कुछ मतलब नहीं है।
बस, उनकी “गिनती” रूपी तपस्या में कोई रुकावट नहीं डाले, यही उनका एकमात्र मकसद रहता है।
जब सब खत्म हो रहा है, तो अब रोना चालू हुआ है..
ठीक वैसे ही जैसे “कुछ-कुछ होता है” का वह मासूम बच्चा रोते हुए बड़ी मासूमियत से बोलता है..
“तुस्सी जा रहे हो! तुस्सी ना जाओ जी!!”
#On_a_lighter_note
एक #ट्रैफिक_अधिकारी की कलम से!