माल ढुलाई के साथ ही अब रेलवे पार्सल सेवा का भी निजीकरण
अमेजन को सौंपी गई रेल पार्सल सेवा, सियालदह मंडल से हुई शुरुआत
रेल सेवाओं के निजीकरण से हजारों रेलकर्मियों की नौकरी पर लटकी खतरे की तलवार
कोलकाता: सरकार चाहे कुछ भी कहे, लेकिन देश की आर्थिक मंदी का प्रभाव सभी सेक्टर पर देखा जा रहा है। इसका असर रेलवे की कमाई पर भी साफ -साफ दिखाई दे रहा है। चालू वित्त वर्ष 2019-20 की अप्रैल से सितंबर की पहली छमाही में पश्चिम रेलवे के रतलाम मंडल को मालभाड़ा से होने वाली आय में पिछले वित्त वर्ष 2018-19 की समान अवधि के मुकाबले चालू वित्त वर्ष 2019-20 में करीब 10.67 प्रतिशत कमी आई है।
इस कमी की वजह रेलवे सीमेंट की मांग में कमी और बढे़ हुए दाम के साथ मौसम की मार को बता रहा है। हालांकि छह माह में पैसेंजर से होने वाली आय में 4.88 प्रतिशत की बढ़ोतरी ने कुछ भरपाई की है।
ऐसा नहीं है कि यह सिर्फ रतलाम मंडल की ही बात है। दुनिया के सबसे बड़े रेल नेटवर्कों में से एक भारतीय रेल का राजस्व अब घटना शुरू हो गया है। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही जुलाई-सितंबर में रेलवे की यात्री किराए से आमदनी वर्ष की पहली तिमाही के मुकाबले 155 करोड़ रुपए और माल ढुलाई से आय 3,901 करोड़ रुपए कम रही।
भारतीय रेल को माल ढुलाई से पहली तिमाही में 29,066.92 करोड़ रुपए की कमाई हुई, जो कि दूसरी तिमाही में काफी कम होकर 25,165 करोड़ रुपए रह गई। आर्थिक सुस्ती की वजह से टिकट की बुकिंग भी प्रभावित हुई। पिछले साल अप्रैल-सिंतबर के मुकाबले 2019-20 की इसी अवधि में टिकट बुकिंग में 1.27 प्रतिशत की गिरावट आई है।
लेकिन इसके बावजूद सरकार निजीकरण की नीति माल ढुलाई में भी अपनाने जा रही है। कुछ महीनों पहले ही राजधानी ट्रेनों में पार्सल लाने-ले जाने के काम के लिए रेलवे ने अमेजन इंडिया को अधिकृत किया है। इस पायलट परियोजना के तहत रेलवे ने कम भीड़-भाड़ वाले समय में अपनी ईएमयू सेवाओं पर ई-कॉमर्स के माल की ढुलाई की अनुमति दे दी है।
रेलवे में अब अमेजन की माल ढुलाई सेवा की शुरुआत हो गई है। इसके तहत, पूर्व रेलवे के अंतर्गत सियालदह-दंकुनी ईएमयू लोकल ट्रेन से अमेजन की खेप पहुंचाई गई है। ट्रेनों में पार्सल की जिम्मेदारी अब अमेजन को दिए जाने और कई ऐसी ही रेल सेवाओं का निजीकरण किए जाने से हजारों कर्मचारियों की नौकरी पर भारी खतरा मंडराने लगा है।