पालनपुर से बोटाड तक विद्युतीकृत पथ पर पहली डबल स्टैक कंटेनर ट्रेन का सफल परिचालन

पश्चिम रेलवे के राजकोट और भावनगर मंडल का विद्युत कर्षण के क्षेत्र में प्रवेश

पश्चिम रेलवे द्वारा वित्तीय वर्ष 2019-20 के दौरान 664 रूट किमी के उच्चतम विद्युतीकरण का कीर्तिमान

भारतीय रेल के शत-प्रतिशत विद्युतीकरण की मुहिम के साथ कदमताल करते हुए पश्चिम रेलवे ने वित्तीय वर्ष 2019-20 के दौरान 664 रूट किमी के उच्चतम विद्युतीकरण लक्ष्य को प्राप्त करके अपनी उपलब्धियों की श्रृंखला में एक और महत्वपूर्ण कीर्तिमान जोड़ा है।

इसमें अहमदाबाद-पालनपुर, अहमदाबाद-वीरमगाम, वीरमगाम-मेहसाणा, सुरेंद्रनगर-बोटाड-ढोला और सुरेंद्रनगर- ध्रांगध्रा रेलखंड शामिल हैं।

बुधवार, 10 जून, 2020 को, पश्चिम रेलवे ने राजकोट और भावनगर मंडलों में पालनपुर से बोटाड तक अपनी पहली इलेक्ट्रिक डबल स्टैक कंटेनर ट्रेन का परिचालन किया, जिसके फलस्वरूप इन दोनों मंडलों का इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन के मानचित्र पर ऐतिहासिक पदार्पण हो गया है।

पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक आलोक कंसल ने पश्चिम रेलवे की इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर प्रसन्नता व्यक्त की है तथा पश्चिम रेलवे के प्रधान मुख्य विद्युत अभियंता संजीव भूटानी और उनके अधिकारियों एवं कर्मचारियों की संबंधित टीम के अलावा इस सराहनीय उपलब्धि में सक्रिय योगदान देने वाले अन्य सभी विभागों का अभिनंदन किया गया।

पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क विभाग द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार, पश्चिम रेलवे की विभिन्न बुनियादी ढ़ांचागत परियोजनाओं, विशेष रूप से विद्युतीकरण के लक्ष्यों को समय पर पूरा करने के लिए निरंतर उच्चस्तरीय मॉनिटरिंग के साथ बहुस्तरीय प्रोत्साहन सुनिश्चित किया जा रहा है।

उपरोक्त उपलब्धि वर्तमान वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान पालनपुर से दिल्ली के लिए पिपावाव बंदरगाह से डबल स्टैक कंटेनरों को ले जाने के लिए पिपावाव बंदरगाह तक रेल मार्ग के विद्युतीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

पश्चिम रेलवे ने मार्च, 2020 के दौरान सुरेंद्रनगर-बोटाड रेलखंड का विद्युतीकरण पूरा कर लिया था। इसके लिए सीआरएस की मंजूरी भी मिल गई थी। तथापि देशव्यापी तालाबंदी (लॉकडाउन) के कारण, इस मार्ग में इलेक्ट्रिक ट्रेन शुरू करने के लिए संसाधन जुटाने में भारी अड़चन आ गई थी।

पश्चिम रेलवे और रेल विद्युतीकरण की अहमदाबाद इकाई की राजकोट और भावनगर मंडलों की टीमों ने लॉकडाउन अवधि के दौरान लगातार कड़ी मेहनत कर इन मंडल मुख्यालयों में टीपीसी संगठनों की स्थापना की और सुरेंद्रनगर एवं बोटाड में एक-एक डिपो स्थापित किया।

इस ऐतिहासिक उपलब्धि में विशेष रूप से शामिल टीम आरई/अहमदाबाद के अलावा डिवीजनल टीमों में इलेक्ट्रिकल/टीआरडी, सिग्नल एवं टेलीकॉम, ऑपरेटिंग, मैकेनिकल तथा कार्मिक विभाग सहित अन्य सभी टीमों को उनके योगदान के लिए रेल प्रशासन की तरफ से बधाई दी गई है।

विज्ञप्ति में बताया गया है कि विद्युतीकृत क्षेत्र में डबल स्टैक कंटेनरों को सफलतापूर्वक चलाने के लिए पश्चिम रेलवे सभी जोनल रेलों के बीच ऐसी पहली जोनल रेलवे है, जिसके अंतर्गत 7.57 मीटर की ऊॅंचाई वाले ओएचई से संपर्क तार की ऊॅंचाई प्रदान की गई है, जो दुनिया में अपनी तरह की पहली उपलब्धि है।

विद्युत कर्षण की शुरूआत के साथ, जो प्रदूषणमुक्त और परिवहन का ऊर्जा कुशल साधन है, पश्चिम रेलवे को ईंधन खर्च पर प्रति वर्ष लगभग 100 करोड़ रुपये की बचत होने की उम्मीद है।

इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन पर 1000 GTKM ले जाने के लिए 4.5 यूनिट इलेक्ट्रिक ऊर्जा की खपत होती है, जिसकी कीमत 25 रुपये तक होती है, जबकि 2 लीटर हाई स्पीड डीजल की लागत लगभग 150 रुपये होती है, जो डीजल ट्रैक्शन द्वारा समान लोड ले जाने के लिए अनुमानित लागत है।

इस प्रकार, उम्मीद है कि भारतीय रेल पर विभिन्न खंडों के विद्युतीकरण से ईंधन के खर्च में पर्याप्त बचत होगी। इसके अलावा, विद्युतीकरण से ट्रेनों की गतिशीलता को और अधिक विश्वसनीय तथा शक्तिशाली बनाने में मदद मिलेगी। इससे सेक्शन में अधिक ट्रेनों को चलाने के लिए लाइन क्षमता में भी पर्याप्त वृद्धि होने की उम्मीद है।

फोटो कैप्शन: नव-विद्युतीकृत सुरेंद्रनगर-बोटाड सेक्शन पर पहली डबल स्टैक कंटेनर ट्रेन चलाने के लिए तैयार चालक दल और ट्रेन का एक दृश्य