एसएसई/सिग्नल/मेरठ के मातहत चल रहा है अवैध टीए का खेल

रेलकर्मियों की मांग, रेल प्रशासन करवाए टीए के खेल का स्वतंत्र ऑडिट

ऐसे ही कुछ लोगों की बदौलत आई है रेलवे के निजीकरण की नौबत

उत्तर रेलवे, दिल्ली डिवीजन के मेरठ के एसएसई/सिग्नल के मातहत टीए के नाम पर लाखों के घालमेल का खेल चल रहा है। कुछ रेलकर्मियों ने ‘कानाफूसी’ करते हुए बताया कि संबंधित एसएसई द्वारा अपने चहेते स्टाफ को जानबूझकर सेक्शन में भेजकर अवैध रूप से टीए बनाया जा रहा है। जबकि उक्त सेक्शन में स्टाफ पूरा है।

रेलकर्मियों का कहना है कि इस तरह रेलवे को लाखों का चूना लगाया जा रहा है और यह खेल यहां पिछले कई सालों से चल रहा है। उनका यह भी कहना था कि रेल प्रशासन चाहे तो इसका स्वतंत्र ऑडिट करवा सकता है, क्योंकि इस घालमेल में एसएसई/सिग्नल/मेरठ की पूरी मिलीभगत है।

रेलकर्मियों ने बताया कि यह आपसी साठगांठ बहुत सुनियोजित तरीके से चल रही है। अगर पिछले 5 साल से वर्तमान तक ऑडिट कराया जाए, तो यह घोटाला करोड़ों का होगा। इस संबंध में संबंधित अधिकारी/इंचार्ज से भी पूछताछ की जानी चाहिए कि जब मेरठ सेक्शन में पूरा स्टाफ है, तब सिर्फ टीए के लिए स्टाफ को सेक्शन में क्यों भेजा जाता है?

रेलकर्मियों का कहना है कि कुछ अधिकारी और सुपरवाइजर मिलकर रेलवे को भारी आर्थिक नुकसान पहुंचा रहे हैं, परंतु उसका ठीकरा सभी रेल कर्मचारियों के सिर फोड़ा जाता है। उनका कहना था कि आज रेलवे पर निजीकरण की तलवार ऐसे ही कुछ लोगों की बदौलत लटक रही है। रेल प्रशासन को अविलंब ऐसी गतिविधियों पर लगाम लगानी चाहिए।