रनिंग स्टाफ के लिए ऑनलाइन रिफ्रेशर और सरक्षा संबंधी अन्य प्रशिक्षण कार्यक्रम को रेलवे बोर्ड की मंजूरी
रेलवे के सभी मंडल कार्यालय और मुख्यालय ई-ऑफिस से सज्ज
सिग्नलिंग गियर की विश्वसनीयता में सुधार के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग
कोविड-19 के कारण लागू लॉकडाउन की शुरुआत में सभी अनिवार्य और वैकल्पिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों को अपेक्षित शारीरिक दूरी प्रोटोकॉल के मद्देनजर रेलवे को स्थगित करना पड़ा था, लेकिन लॉकडाउन के बाद भी लंबे समय तक शारीरिक दूरी के प्रोटोकॉल के पालन की आवश्यकता बनी रही। अत: संरक्षा और कुशल ट्रेन परिचालन के लिए फ्रंटलाइन स्टाफ को प्रशिक्षित करने हेतु ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जाना आवश्यक हो गया है।
रनिंग स्टाफ के लिए रिफ्रेशर और अन्य संरक्षा संबंधी पाठ्यक्रमों के ऑनलाइन संचालन क विचार को अब रेलवे बोर्ड ने औपचारिक स्वीकृति प्रदान कर दिया है। सभी जोनों और मंडलों ने इस दिशा में कार्य प्रारंभ कर दिया है और डीजल एवं विद्युत ट्रैक्शन से जुड़े सभी रनिंग कर्मचारियों को ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया जा रहा है। रेलवे बोर्ड से मंजूरी मिलने के बाद अब सभी प्रशिक्षुओं का औपचारिक मूल्यांकन किया जा सकेगा और जब तक कि नियमित कक्षाएं बहाल नहीं हो जाती हैं, आगे के बैचों को भी इसी तरह से प्रशिक्षित किया जाएगा।
ई-ऑफिस एक डिजिटल वर्कप्लेस सॉल्यूशन है, जो सही अर्थों में फिजिकल डिस्टेंसिंग के साथ विभागीय कार्यों के निर्वहन के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण समाधान है। सभी मंडलों में ई-ऑफिस के कार्यान्वयन के साथ जोनल मुख्यालयों में भी ई-ऑफिस प्रणाली लागू हो गई है। यह प्रणाली कुशल, पारदर्शी और पेपरलेस वर्किंग सुनिश्चित करने के अलावा शारीरिक दूरी के पालन में भी अत्यंत सहायक होगी।
रेल परिचालन और अनुरक्षण में आधुनिक प्रौद्योगिकी के प्रयोग में भारतीय रेल अग्रणी रही है। इस दिशा में नए प्रयासों के तहत सिग्नलिंग गियर के रखरखाव के लिए इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) और आर्टीफीशियल इंटेलिजेंस (एआई) का उपयोग नया प्रयोग है। भारतीय रेल द्वारा फ्रंटलाइन वर्कफोर्स को अपेक्षित समझ प्रदान करने के लिए आईओटी और एआई विषय पर वेब आधारित संगोष्ठियों और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का आयोजन किया जा रहा है।
आईओटी फील्ड से डेटा प्राप्त कर सेंट्रल लोकेशन या क्लाउड को भेजता है। आर्टीफीशियल इंटेलिजेंस इस डेटा को विश्लेषण करता है और जरूरी अलर्ट तथा रिपोर्ट आगे भेजता है। यह सिग्नलिंग गियर की अवस्था और समस्यायों की सटीक जानकारी देने में मदद करता है। इसके माध्यम से समय रहते ध्यान देने से सिग्नल विफलताओं से बचा जा सकता है।