आखिर जा कहां रहा है रोज हजारों लीटर खपने वाला दूध
चाय पीते-पीते अचानक ही मन में आज एक ख्याल आया..
कि वास्तव में यह गहन विचार का विषय है-
लगातार जारी इस लॉकडाउन की वजह से-
सारी मिठाई की दुकानें बंद हैं..
सारे रेस्टोरेन्ट बंद हैं..
सारी चाय की दुकानें व चाय के ठेले बंद हैं..
चाट के ठेले नहीं लग रहे..
शादी, विवाह और पार्टियां भी नहीं हो रहीं..
तो फिर इनमें खपने वाला हजारों लीटर दूध कहां जा रहा है?
और दूध वालो ने अतिरिक्त दूध रास्ते पर भी नहीं फेका है।
हमे सस्ते दामों में भी दूध नहीं दे रहे हैं।
हमारे घर में जितना दूध आ रहा था, आज भी उतना ही आ रहा है।
और दूध को रखा भी नहीं जा सकता।
क्या सचमुच बाजार में इतने बडे़ पैमाने पर सिंथेटिक दूध का धंधा चल रहा था?
बात तो सोचने वाली है? 🤔