आपातकाल घोषित करके पूरी शक्ति से आक्रमक होकर काम शुरू करे मोदी सरकार

ऐसा लगता है कि अभी-भी यह देश जगा नहीं है, और जेहादियों की, फिर वह चाहे तब्लीगी जमात की शक्ल में हों, या सीएए के विरोधियों की शक्ल में, देश शायद इस बहुत गहरी साजिश को नहीं समझ पा रहा है। इनका पहला प्रयास कोरोना की तीसरी स्टेज में भारत को दुनिया की सबसे बुरी स्थिति में लाना हो सकता है।

ध्यान देने वाली बात है कि अब तक तारिक फतेह अली खान जैसे एकाध को छोड़कर तथाकथित अल्पसंख्यक समुदाय का कोई भी सुपरिचित चेहरा तब्लीगी जमात के कृत्य को गलत बताने को तैयार नहीं है, बल्कि सपा के नेता अबू आसिम आजमी जैसे लोग उसके बचाव में टीवी चैनल पर बहसबाजी करते नजर आ रहे हैं।

इस प्रयास में इनके जो कोरोनावायरस कैरियर सदस्य होंगे, उनके द्वारा सरकार के सारे हॉस्पिटल के बेड और बेहतर क्वारंटाइन सुविधा वाले केंद्र भर जाएंगे, और तीसरी स्टेज तथा इसके एडवांस स्टेज में जब दूसरे समुदायों (जो सिर्फ काफ़िर के ब्रैकेट में ही आते हैं) के लोग चपेट में आएंगे, तो फिर उनके लिए तब अस्पतालों में न तो जगह होगी और न ही क्वारंटाइन केंद्रों में, फिर इनके लिए पट-पटाकर मरने के अलावा कोई चारा भी नहीं होगा तथा यह बीमारी रक्तबीज की तरह फैलती ही चली जाएगी। यह एक बहुत भयावह स्थिति होगी।

यही इनकी स्ट्रैटेजी लगती है, जिसमें ये अपने जानमाल के नफा-नुकसान को तौल चुके लगते हैं।

अब भी यदि मोदी सरकार डरी हुई मानसिकता से काम करेगी तो सर्वनाश होना तय है।

अतः आपातकाल घोषित करके पूरी शक्ति से अगर आक्रमक होकर मोदी सरकार काम नहीं शुरू करेगी, तो इतिहास उन्हें कभी माफ नहीं करेगा।

सरकार इमरजेंसी की घोषणा करने में जितनी देरी करेगी, भविष्य में चारों तरफ से उसे इसकी आलोचना भी झेलनी पड़ेगी, क्योंकि संविधान में इमरजेंसी लगाने का प्रावधान इसी तरह की भयावह स्थिति को देखकर किया गया था।

आज जिस तरह से लॉकडाउन नहीं करने के लिए चारों तरफ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की आलोचना हो रही है और जिस तरह से तब्लीगी मरकज के समर्थक इस मामले में सरकार के ही ढ़ीले रवैये को जिम्मेदार बताकर आरोप लगा रहे हैं, वैसे ही अब आपातकाल लगाकर आक्रामक और सख्त कदम नहीं उठाने पर मोदी सरकार की भी पूरी दुनिया में आलोचना हो सकती है और अभी तक का किया हुआ सरकार का सारा सद्प्रयास बेकार चला जाएगा।

*उपरोक्त विचार #कोरोना_केसेस में #जमात के 40% कंट्रीब्यूशन से भयाक्रांत एक प्रबुद्ध नागरिक द्वारा व्यक्त किए गए हैं, जिन्हें यहां कुछ संशोधन के साथ प्रस्तुत किया गया है। -संपादक