सेक्रेटरी/रेलवे बोर्ड के पद से अंततः सुशांत कुमार मिश्रा को एएम/ट्रैफिक के पद पर सरकाया गया
एएम/प्लानिंग और सेक्रेटरी/रे.बो. के ‘जनरल’ पदों पर ‘सीनियरिटी’ को दरकिनार करना आसान नहीं होगा
रेलवे बोर्ड ट्रैफिक डायरेक्टोरेट के एडीशनल मेंबर्स के चार पदों पर आखिर पोस्टिंग कर दी गई। शुक्रवार, 21 फरवरी को अपाइंटमेंट कमेटी ऑफ द कैबिनेट (एसीसी) से मिले क्लीयरेंस के अनुसार एन. मधुसूदन राव को एडीशनल मेंबर/कमर्शियल, मुकेश निगम को एडीशनल मेंबर/सेफ्टी (डीजी/आईआरआईटीएम) और संजय सिंह गहलोत को एडीशनल मेंबर/मार्केटिंग एंड बिजनेस डेवलपमेंट तथा सुशांत कुमार मिश्रा को एडीशनल मेंबर/ट्रैफिक बनाया गया है।
हालांकि रेलवे बोर्ड की वेबसाइट पर 21 फरवरी को सिर्फ मुकेश निगम का ही पोस्टिंग आर्डर अपलोड किया गया है, जिसके अनुसार एएम/सेफ्टी की पोस्ट को बतौर डीजी/आईआरआईटीएम, लखनऊ ऑपरेट किया जा रहा है। अतः श्री निगम, जो अब तक एमडी/क्रिस के पद पर प्रतिनियुक्ति पर थे, को डीजी/आईआरआईटीएम, लखनऊ के पद पर भेजा गया है। बाकी श्री राव, श्री गहलोत और श्री मिश्रा के पोस्टिंग आर्डर संभवतः आज यानि सोमवार, 24 फरवरी को जारी किए जाएंगे।
सीनियरिटी को दरकिनार करना आसान नहीं होगा
अब जहां तक सेक्रेटरी, रेलवे बोर्ड और एएम/प्लानिंग के दोनों ओपन पदों पर नियुक्ति का मामला है, तो इन पर आठों ग्रुप ‘ए’ सेवाओं के वरिष्ठ अधिकारियों की इंटर-से- सीनियरिटी (संयुक्त वरिष्ठता) को दरकिनार करके किसी अन्य अधिकारी की नियुक्ति कर पाना रेलवे बोर्ड के लिए आसान नहीं होगा।
विभागवादी #CRB #VKYadav #RBSS/#IRPS के पदों, EDE/GC, JS/Conf, Secy/RSPB पर #IRSEE अधिकारियों को बैठाने के बाद अब #SecyRB के पद पर भी IRSEE अधिकारी को लाने की जुगत में हैं
वर्तमान #IRTS Secy #कैडर_मर्जर में बाधा नजर आ रहा है
क्या इस निरंकुशता का कोई प्रतिकार है #MR/#PM के पास? pic.twitter.com/wwgHfM6Aar
— kanafoosi.com (@kanafoosi) February 12, 2020
उल्लेखनीय है कि रेलवे बोर्ड के दिनांक 10.12.2019 के रिजोल्यूशन (संकल्प सं.ईआरबी-I/2017/16/6) के अनुसार सेक्रेटरी/रे.बो. और एएम/प्लानिंग के दोनों पद “जनरल” कैटेगरी में रखे गए हैं। इन दोनों पदों पर आरपीएफ एवं आईआरएमएस अधिकारियों को छोड़कर बाकी आठों संगठित रेल सेवाओं में से किसी भी सेवा के वरिष्ठ अधिकारी की नियुक्ति की जा सकती है।
तथापि उपरोक्त संकल्प के पैरा-1 के अनुसार उक्त आठों सेवाओं के अधिकारियों की इंटर-से-सीनियरिटी को दरकिनार करके किसी भी अन्य अधिकारी की नियुक्ति नहीं की जा सकती है। यह पैरा कहता है कि-
“The posts of Additional Member Railway Board, [except Additional Member (Planning) and Secretary, Railway Board], shall be Service specific posts as shown in the Annexure-1. For Service specific posts, officers of the relevant Service working in Pay Level-15 on regular basis shall be considered in the order of their seniority. For the general post of Additional Member (Planning) and Secretary, Railway Board, officers of various Group ‘A’ Railway Services (except IRMS and RPF), working in Pay Level-15 on regular basis would be eligible for consideration as per their inter-se-seniority position”.
उपरोक्त संकल्प के अनुसार संयुक्त वरिष्ठता सूची में दोनों वरिष्ठ अधिकारी मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के हैं। ऐसे में यह देखना काफी दिलचस्प होगा कि ‘विभागवाद’ से ग्रस्त रेलवे बोर्ड क्या निर्णय लेता है!
ऐसा माना जाता है कि रेलवे बोर्ड और कुछ वरिष्ठ मैकेनिकल अधिकारियों का आपस में शुरू से ही छत्तीस का आंकड़ा चल रहा है। कई वरिष्ठ अधिकारियों का मानना है कि रेलवे बोर्ड तो पहले से ही सेक्रेटरी के पद पर इलेक्ट्रिकल के एक खास अधिकारी को बैठाने की जुगाड़ में है। परंतु 10.12.19 के उपरोक्त रिजोल्यूशन के परिप्रेक्ष्य में उसके लिए यह बहुत आसान नहीं होगा। तथापि उनका यह भी कहना है कि वर्तमान निजाम में जहां कोई नियम-कायदा नहीं रह गया हो, और किसी परंपरा का पालन न हो रहा हो, वहां कुछ भी हो सकता है।
जीएम पद खाली, पैनल का पता नहीं!
महाप्रबंधकों के तीन पद खाली हैं, इस महीने और अगले महीने में भी तीन-चार पद और खाली हो रहे हैं। नए वित्त वर्ष के दो महीने भी बीत चुके हैं, परंतु अब तक न तो नया जीएम पैनल बन पाया है, और न ही इसकी मॉडैलिटी तय हो पाई हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्तमान निजाम ने जिस तरह रेल बजट खत्म करके रेलवे को जनसामान्य की आंखों से ओझल कर दिया, उसी तरह अब वित्तीय वर्ष (फाइनेंशियल ईयर) के नाम पर जीएम पैनल भी अब नए सिरे से बनाए जाने की नई परंपरा शुरू की जा रही है।
इसके चलते वर्ष 2019-20 के लिए बना जीएम पैनल, जो कि 31 मार्च 2020 तक के लिए था, को 31 दिसंबर 2019 को ही समाप्त कर दिया गया। बताते हैं कि इसका निर्णय सितंबर 2019 में ही ले लिया गया था। तथापि जानकारों का मानना है कि उक्त पैनल खत्म करने से पहले 31 मार्च तक की नियुक्तियों का ध्यान रखा जाना चाहिए था, अथवा 1 जनवरी को नया जीएम पैनल टेबल पर होना चाहिए था।
जानकारों का यह भी कहना है कि यदि यह ध्यान नहीं रखना था, तो सितंबर से अब तक कथित मॉडैलिटीज तय क्यों नहीं हो पाई हैं? बताते हैं कि रेलवे बोर्ड द्वारा भेजी गई मॉडैलिटीज को डीओपीटी ने यह कहकर दो बार लौटा दिया है कि वह सही परिप्रेक्ष्य में नहीं बनाई गई हैं। ऐसे में जानकारों का कहना है कि जब अब तक यह मॉडैलिटी ही सुनिश्चित नहीं हो पाई हैं, तो पैनल फाइनल होने में कम से कम आधा साल तो निकल ही जाएगा।
जानकारों ने दावे के साथ कहा कि नया जीएम पैनल जुलाई-अगस्त से पहले फाइनल होना मुश्किल है, क्योंकि पैनल भी तो कम से कम दो-तीन बार जाएगा – आएगा, जैसी कि रेलवे बोर्ड की परंपरा रही है। ऐसे में तब तक कुछ जीएम के दोहरे चार्ज जारी रहेंगे, जो कि वर्तमान निजाम को भी बेहतर सूट करता है। उनका स्पष्ट कहना था कि इसका अर्थ है कि रेलवे में “अनिश्चितता” का यह वातावरण अभी अगले कुछ वर्षों तक जारी रहने वाला है। क्रमशः