सरकारें आरटीआई कानून को अपाहिज बना देना चाहती हैं -सरोज त्रिपाठी, वरिष्ठ पत्रकार
‘सूचना का अधिकार अधिनियम’ आजादी के बाद जनता को मिली सबसे बड़ी ताकत है -अनिल गलगली, आरटीआई कार्यकर्ता
मुंबई विद्यापीठ के गरवारे पत्रकारिता शिक्षण संस्थान में “आरटीआई और पत्रकारिता” विषय पर एक परिसंवाद का आयोजन किया गया। संचार-संवाद श्रृंखला के तहत आयोजित इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता आरटीआई कार्यकर्ता और फ्रीलांस पत्रकार अनिल गलगली ने कहा कि 2085 में प्राप्त ‘सूचना का अधिकार अधिनियम’ आजादी के बाद जनता को मिली सबसे बड़ी ताकत है। इसके प्रभाव से सरकारी कार्यालयों के दरवाजे आम लोगों के लिए खुल गए हैं और सरकार जनता के प्रति जवाबदेह हो गई है।
अनिल गलगली ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों ने आरटीआई के लिए अलग-अलग विभाग बनाए हैं, जो आवेदक को वांछित जानकारी उपलब्ध कराने के लिए बाध्य हैं। आरटीआई द्वारा कई सनसनीखेज और गंभीर खुलासे कर चुके अनिल गलगली ने छात्रों के प्रश्नों का जवाब देते हुए यह भी स्पष्ट किया कि यह कानून जनता को मात्र सूचना प्राप्त करने का अधिकार देता है, कार्रवाई करने का नहीं।
हिंदी पत्रकारिता विभाग के समन्वयक सरोज त्रिपाठी ने अनिल गलगली की बात को और स्पष्ट करते हुए कहा कि सरकारें इस कानून को अपाहिज बना देना चाहती हैं।
जहां वरिष्ठ पत्रकार सैयद सलमान ने पत्रकारिता और आरटीआई को एक दूसरे का पूरक बताया, वहीं राजदेव यादव ने सरकारी दफ्तरों में आरटीआई के तहत वांछित जानकारी मुहैया न कराने और आधी-अधूरी अथवा गलत जानकारी देकर जनता को बरगलाने पर गंभीर चिंता व्यक्त की।
द्वितीय सत्र में ‘वसंतोत्सव’ कार्यक्रम के अंतर्गत काव्य पाठ का आयोजन किया गया, जिसमें अतिथियों सहित पत्रकारिता के छात्रों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। छात्रों ने केदारनाथ अग्रवाल, जयशंकर प्रसाद, सेनापति और नजीर अकबराबादी जैसे प्रसिद्ध कवियों की वसंत एवं फागुन पर रचित कविताओं का पाठ किया।
कार्यक्रम का सुचारु संचालन विनय सिंह ने किया और पुरुषोत्तम कनौजिया ने आभार व्यक्त किया। अफसाना कुरैशी, सुनील सावंत, प्रिंस तिवारी, धीरज गिरी और अनिरुद्ध तिवारी सहित अन्य छात्रों का इस कार्यक्रम को सफल बनाने में महत्वपूर्ण योगदान रहा।
“आरटीआई और पत्रकारिता” विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए वरिष्ठ पत्रकार सरोज त्रिपाठी। उनके साथ मंच पर उपस्थित हैं आरटीआई कार्यकर्ता एवं फ्रीलांस पत्रकार अनिल गलगली और अन्य साथीगण
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