भोपाल स्टेशन पर एफओबी के गर्डर गिरे, कोई मौत नहीं, नौ यात्रियों के गंभीर रूप से घायल होने की पुष्टि

जो इंजीनियर अपना काम सही ढ़ंग से नहीं कर पाते, वे सिविल सेवाओं का स्पेशलाइज्ड वर्क कर पाएंगे, इसमें संदेह है, आईआरएमएस के गठन के निर्णय पर रेलमंत्री को करना चाहिए पुनर्विचार

भोपाल : भोपाल जंक्शन रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर 2 पर आज गुरुवार, 13 फरवरी को सुबह स्टेशन के मुख्य फुट ओवर ब्रिज (एफओबी) के कुछ सीमेंट गर्डर अचानक ढ़ह गए। इस हादसे की चपेट में आने से दो लोगों की मौके पर ही मौत होने की बात कही गई थी, पर इसकी पुष्टि नहीं हुई है, जबकि 9 लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। घायलों को तत्काल हमीदिया अस्पताल में भर्ती कराया गया है। हादसा सुबह लगभग 9:00 बजे के आस-पास हुआ।

प्लेटफार्म-2 पर स्थित खानपान स्टाल के संचालक ने बताया कि उसने मंडल प्रशासन के संबंधित अधिकारियों को कुछ दिन पहले फुट ओवर ब्रिज पर लगी प्लेट्स के खिसकने की बात बताई थी। फिर भी कोई ऐक्शन नहीं लिया गया, जबकि डीआरएम का कहना था कि इस मामले में जांच के बाद ही कुछ कहा जा सकता है कि लापरवाही कहां बरती गई।

घटना के चश्मदीद खानपान स्टालधारक ने बताया कि कुछ यात्री फुट ओवर ब्रिज के नीचे बैठे हुए थे और कुछ नीचे से गुजर रहे थे। उसी वक्त फुट ओवर ब्रिज के तीन-चार गर्डर टूटकर नीचे गिर गए। यह समय स्टेशन पर काफी भीड़ वाला था। उक्त एफओबी करीब 50 साल पुराना बताया गया है।

डीआरएम ने इस हादसे में अब तक 9 घायलों की पुष्टि की है, जबकि उन्होंने किसी भी यात्री की मौत न होने की बात कही है। पुलिस और फायर ब्रिगेड के कर्मचारी राहत-बचाव कार्य में जुटे हैं। डीआरएम ने घटनास्थल का मुआयना करने के बाद इसकी जांच के आदेश दिए हैं।

तथापि रेलमंत्री पीयूष गोयल, जो रेलवे इंजीनियर्स के लिए रेलवे में एकीकृत प्रबंधकीय सेवा की शुरुआत करने जा रहे हैं और इनसे रेलवे के सुचारु संचालन की उम्मीद कर रहे हैं, वह खुद इनकी काबिलियत देखकर अपने निर्णय पर पुनर्विचार करें कि जो इंजीनियर्स अपना काम सही ढ़ंग से नहीं कर पाते हैं, वे दूसरों का स्पेशलाइज्ड वर्क कर पाएंगे? इसमें संदेह है।

वास्तव में रेलवे की आर्थिक एवं प्रबंधकीय हालत तभी सुधर सकती है, जब यह दोनों विशेष कार्य सिविल सेवा से आने वाले अधिकारियों को सौंपकर इंजीनियरिंग सेवा से आने वाले अधिकारियों को उनका सहायक बनाकर काम करने के लिए लगाया जाएगा। अन्यथा रेलवे जैसे विशेष तकनीकी विभाग का बरबाद होना निश्चित है।