रेलवे के पेंशनधारकों की जिम्मेदारी वहन करे केंद्र सरकार

आम बजट में कस्टम ड्यूटी बढ़ने से लोहा/सीमेंट के भाव बढ़ने की उम्मीद, बढ़ सकती है रेलवे की निर्माण योजनाओं की लागत

पहले जब देश के आम बजट से एक दिन पहले संसद में रेल बजट पेश किया जाता था, तब उसमें इतनी घोषणाएं होती थीं कि देश के सभी अखबारों के पूरे मुख पृष्ठ भर जाते थे। परंतु अब रेल बजट भूले-बिसरे गीतों की एक यादगार बनकर रह गया है। अब यह सब बीते दिनों की बात हो गई है।

अभी ज्यादा दिन नहीं हुए जब किस क्षेत्र को कितनी रेल योजनाएं मिलीं, कितनी सुविधाएं बढ़ीं। इसी पर यात्रियों के बीच तीन-चार दिन तक बहस चला करती थी, लेकिन मोदी सरकार द्वारा अपने पहले कार्यकाल में रेल बजट का विलय आम बजट में कर दिए जाने के बाद अब रेलवे की कोई पूछ-परख ही नहीं रह गई है।

मोदी सरकार की रेलवे के निजीकरण की नीतियां रेलवे बोर्ड पर भारी पड़ती जा रही हैं, क्योंकि मोदी सरकार के दबाव में रेलवे बोर्ड को अधिकांश फायदेमंद रूटों पर प्राइवेट ट्रेनें चलाने की योजना को मंजूरी देनी पड़ रही है। लेकिन इस योजना से उसके वित्तीय संसाधन जुटाने की क्षमता पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।

रेल मंत्रालय पर लगभग 15.5 लाख सेवानिवृत्त रेलकर्मियों का बहुत बड़ा बोझ है। रेल मंत्रालय इन सेवानिवृत्त रेलकर्मियों को पेंशन देने के लिए प्रतिवर्ष करीब 50 हजार करोड़ रुपये खर्च करता है। रेलवे को अपने पेंशनधारकों की पेंशन राशि का भुगतान अपनी कमाई यानि रेल राजस्व से करना पड़ता है।

इसके अतिरिक्त काम कर रहे वर्तमान लगभग 13.50 लाख रेलकर्मियों के मासिक वेतन पर भी रेलवे का करीब 60 हजार करोड़ रुपये सालाना खर्च हो रहा है। इस हिसाब से रेलवे का कुल खर्च उसकी कुल कमाई के लगभग बराबर ही रहता है। अतः ढ़ांचागत बुनियादी क्षमता बढ़ाने के लिए रेलवे के पास पर्याप्त धनराशि ही नहीं बच पाती है।

रेल बजट मर्ज होने के बाद ही रेलवे ने वित्त मंत्रालय से कहा था कि पेंशन के बोझ से उसे मुक्त किया जाए, क्योंकि रेल बजट खत्म होने के बाद यह जिम्मेदारी भी अब वित्त मंत्रालय को उठानी चाहिए। हर वर्ष रेलवे को अपनी आय से 50 हजार करोड़ रुपये का भुगतान इस मद में करना पड़ रहा है।

उम्मीद थी कि वर्ष 2020-21 के आम बजट में रेलवे की यह मांग मंजूर कर ली जाएगी। परंतु केंद्र सरकार की जो वर्तमान वित्तीय स्थिति है, उसमें इस मांग का मंजूर होना काफी मुश्किल लग रहा है। यदि यह मांग मंजूर नहीं हुई, तो रेलवे के लगभग 15.50 लाख सेवानिवृत्त रेलकर्मियों की पेंशन पचड़े में पड़ सकती है, क्योंकि निजीकरण के चलते अब रेल मंत्रालय यह भारी-भरकम बोझ उठाने की स्थिति में नजर नहीं आ रहा है।

इसके अलावा केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा आम बजट में जो कस्टम ड्यूटी बढ़ाई गई है उसकी वजह से लोहे और सीमेंट में काफी उछाल आने की संभावना है। बाजार सूत्रों के अनुसार अगले कुछ दिनों में लोहे एवं सीमेंट के भावों में 10 प्रतिशत से ज्यादा का उछाल आने की संभावना है। इससे रेलवे की जारी निर्माण योजनाओं की लागत में भी काफी बढ़ोतरी हो सकती है।