“सिरझटक निर्णय” लेना रेल मंत्रालय की बन गई परंपरा
सोशल मीडिया पर प्रचार-प्रसार से रेल और सरकार की छवि उज्जवल नहीं होती!
पंडित दीनदयाल उपाध्याय मंडल, पूर्व मध्य रेलवे में सीबीआई द्वारा विभागीय परीक्षा में धांधली और भ्रष्टाचार के आरोपों में दो ब्रांच अफसरों सहित कुल 26 रेलकर्मियों के पकड़े जाने पर रेल मंत्रालय (रेलवे बोर्ड) ने सभी जोनल रेलों के महाप्रबंधकों को पत्र लिखकर सभी विभागीय परीक्षाओं को रद्द कर दिया है।

इससे पहले #CBI ने ही वड़ोदरा मंडल में मल्टी-डिपार्टमेंटल भ्रष्टाचार उजागर किया और फिर अहमदाबाद मंडल में भी यही सब सामने आया। भावनगर मंडल में भी यही भ्रष्टाचार हुआ है, और सब जानते हैं कि चतुर्थ श्रेणी से लेकर ग्रुप-बी की विभागीय पदोन्नतियों में यह भ्रष्टाचार होता रहा है, और लगभग सभी मंडलों-जोनों में यही होता रहा है, यह किसी से छिपी हुई बात कभी नहीं रही!

तथापि ऐसे ‘सिरझटक निर्णय’ उचित नहीं हैं, सेफ्टी बॉयपास हुई-ड्राइव चलाओ, दुर्घटना हुई-ड्राइव चलाओ, घटना, भगदड़, लोगों की मौतें और रेल की बदनामी के बाद – बजाय सिस्टम को दुरुस्त करने के – ऐसे निर्णय रेलवे बोर्ड द्वारा केवल अपनी खाल बचाने के लिए होते हैं! क्यों फोकस ऐसे भ्रष्ट/जुगाड़ू अधिकारियों/कर्मचारियों पर नहीं है, जो अपना नेक्सस बनाने में सफल हुए?
क्यों डीआरएम/वडोदरा और जीएम/पश्चिम रेलवे पर कार्यवाही नहीं हुई? क्यों #PCPO/WR द्वारा #SrDPO/अहमदाबाद और #SrDPO/वडोदरा के प्रस्तावित ट्रांसफर की फाइल को बार-बार डिले किया गया? क्यों #DyCPO/R&T/RRC/CCG को बचाने और #NFRailway में हुए उसके ट्रांसफर को रद्द करने के लिए #GMWR द्वारा #CRB को DO लेटर लिखा गया?

अभी-अभी तो #RRB/गोरखपुर कांड तो हुआ ही था, तो क्या सारी #RRB भर्तियां कैंसल कर दी जाएँ? #RRC भर्तियों में भी धांधली और भ्रष्टाचार होता रहा है, तो क्या वह सब रद्द कर दी गईं? न तो नई भर्तियां होंगी, न ही डिपार्टमेंटल प्रमोशन होंगे, तो रेल चलेगी कैसे?
किसी को खैर क्या मतलब! क्लब बढ़िया चल रहे हैं! सपत्नीक इंस्पेक्शन बढ़िया चल रहे हैं! महंगे-महंगे गिफ्ट लिए-दिए जा रहे हैं! कथित सांस्कृतिक कार्यक्रमों का पूरी बेशर्मी के साथ आनंद लिया जा रहा है! जीएम के सामने डीआरएम निर्लज्ज होकर नाच रहे हैं! रेल के सारे संसाधनों का पूरी निर्लज्जता के साथ उपभोग हो रहा है! खर्चा करने पर पूरा ध्यान है! रेल चलाने या कमाने पर नहीं!

कमाई हो रही है, लेकिन पैसे सरकार/रेल के खजाने में नहीं, अपने खाते में लिए जा रहे हैं! कोई ठेकेदार से, तो कोई अपने कस्टमर से, और कोई अपने कर्मचारी-अधिकारी की खाल नोचकर कमाई कर रहा है! रेल के सर्वोच्च प्राथमिकता वाले विषय – संरक्षा, सुरक्षा और समयपालन – पर किसी का कोई ध्यान नहीं है! सब भगवान भरोसे चल रहा है!
रेलमंत्री वैष्णव साहब, प्रधानमंत्री मोदी जी, ठेके पर चल रहे रेल के प्रशासन से और क्या उम्मीद की जा सकती है? ध्यान रहे कि 2014 के बाद से अधिकतर #चेयरमैन/रेलवे बोर्ड #ठेके पर, या #रिएंगेजमेंट पर, अथवा 4-6 महीने की सर्विस पर #एक्सटेंशन पर रहे हैं। उनसे क्या ही उम्मीद हो सकती है-सिवाय डॉटेड लाइन पर साइन करने के!

आप सत्ता में हैं, जो मर्जी वह करें, मगर जब तक आप पुख्ता तौर पर #रोटेशन नहीं करेंगे, किसी स्तर पर भ्रष्टाचार पर नियंत्रण नहीं होगा। #संस्थागत-भ्रष्टाचार आपकी नाक के नीचे हो रहा है! दुखद बात ये है कि रेलमंत्री और उनके एमआर सेल को सब पता है! जो अधिकारी खुलेआम सरकार के विरुद्ध बोलते रहे, केंद्रीय गृह मंत्रालय से निष्कासित हुए, वह आपके रेल मंत्रालय में पुरस्कृत हुए! रेल की चेयर पर बैठकर रेल के साथ धंधा करने वाले सुखरूप हैं! बोर्ड मेंबर खुलकर अपने कैडर और अपनी बिरादरी का फेवर कर रहे हैं।
महोदय, आपकी बातों से जो लोग प्रेरित हुए, जिन्होंने कुछ नया करने का प्रयास किया, वही आपके सिस्टम में निपट गए। डीआरएम/दिल्ली मंडल सुखविंदर सिंह सीधे अधिकारी थे, उनकी इंक्वायरी उन्होंने की, जो नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ की घटना के लिए जिम्मेदार थे। मतलब, जूडिसियल इंक्वायरी कराने के बजाय, चोरों को बैठा दिया पुलिस की इंक्वायरी पर, तब यह तो होना ही था!

वहीं जलगाँव के पास हाल ही में 10-12 यात्री रन-ओवर हो गए, कई अंग-भंग हो गए, #AMRT को वीआईपी व्हीकल ‘स्पिक’ से बॉयपास किया गया, राजधानी/मेल-एक्सप्रेस के स्पेड छिपाए गए, टॉवर वैगनों की हेड-ऑन टक्कर छिपाई गई, अनाधिकार कोच मॉडिफिकेशन किया गया, ब्रांच अधिकारी को मरने की स्थिति तक प्रताड़ित किया गया, जोन से लेकर मंत्री और मंत्री सेल तक सबको सब कुछ पता है, तथापि डीआरएम को हटाने की बात तो दूर, आजतक कोई ऐक्शन नहीं लिया गया, तो उम्मीद कहाँ बाकी बची है?
महोदय, आपके चेयरमैन और मंत्री सेल इसमें व्यस्त हैं कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स एक्स, इंस्टाग्राम और ह्वाट्सऐप पर क्या चल रहा है! हमने 2022 में लिखा था, कृपया दुबारा पढ़ें – “जिम्मेदारी प्रधानमंत्री और रेलमंत्री की है-वे साबित करें कि रेल में सचमुच रावण-राज नहीं है!”

हमारे बार-बार के सुझावों के बाद ग्रुप-बी की विभागीय पदोन्नति परीक्षाएँ कराने का जिम्मा “नायर” को सौंपा गया, मगर उसमें भी फाइनल पैनल बनाने-मेडिकल कराने-साक्षात्कार लेने की जिम्मेदारी जोनल रेलों के पास रखकर निजी-स्वार्थ रखने वाले नेक्सस ने इस सारे प्रयास पर पानी फेर दिया। जबकि सुझाव था कि सभी जोनों की वैकेंसी इकट्ठा करके यह सारी प्रक्रिया रेलवे बोर्ड के स्तर पर अथवा यूपीएससी से कराई जाए और फाइनल पैनल रेलवे बोर्ड को सौंपा जाए, जहाँ से सभी पास कैंडीडेट्स की इंटरजोनल पोस्टिंग हो। मगर चोरों के नेक्सस ने ऐसा नहीं होने दिया। सबको पता है कि ग्रुप-बी में पदोन्नत होने के लिए आज 15 से 20 लाख का रेट हो गया है। कोई पीएचओडी अपना यह हिस्सा छोड़ना नहीं चाहता – अपवाद हो सकते हैं – वरना वे इस जिम्मेदारी से मुक्त क्यों नहीं होना चाहते?
न तो नए आएँगे, न ही डिपार्टमेंटल प्रमोशन होंगे, न आपके वोटर गरिमा से समाज में सिर उठाकर चल सकेंगे-ये आपकी रेल बन गई है। रेल की पूरी अंदरूनी व्यवस्था आपके जुगाड़ू अधिकारियों के भ्रष्ट-नेक्सस ने चौपट कर दी है। ऐसे में केवल सोशल मीडिया पर धुआँधार प्रचार-प्रसार से रेल और सरकार की छवि उज्जवल नहीं होती है!