रेंगती मालगाड़ियाँ, रेलवे की आय पर बुरा असर

मालगाड़ियों की धीमी गति पर संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में चिंता व्यक्त की है। पिछले 11 वर्षों के दौरान मालगाड़ियों की औसत गति केवल 25 किमी प्रति घंटा रही है। ऐसे में समिति का मानना है कि भारतीय रेल की कमाई बढ़ाने के लिए मालगाड़ियों की गति बढ़ाना आवश्यक है।

ज्ञातव्य है कि भारतीय रेल की अधिकांश आय मालगाड़ियों के जरिए होती है। वित्त वर्ष 2023-24 में भारतीय रेल ने ₹1,68,293 करोड़ की आय अर्जित की थी। जबकि वित्त वर्ष 2024-25 में ₹1,80,000 करोड़ का लक्ष्य रखा गया है।

बीजेपी सांसद सीएम रमेश की अध्यक्षता वाली इस संसदीय समिति ने रेल मंत्रालय से नए डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के काम में तेजी लाने की अनुशंसा की है। समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह भी बताया है कि वित्त वर्ष 2013-24 में मालगाड़ियों की औसत गति केवल 25.14 किमी प्रति घंटा रही। इस रिपोर्ट में यात्री सेवाओं से होने वाली कम आय की तरफ भी ध्यान दिलाया गया है।

संसदीय समिति ने ‘कवच’ सिस्टम के विस्तार की धीमी गति पर भी चिंता जताई है। कवच एक ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम है। हाल ही में लोकसभा में रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया था कि कवच का काम लगभग 3,000 रूट किमी पर चल रहा है। इन रेलवे रूट पर ट्रैक के किनारे का काम लगभग 1081 रूट किमी पर पूरा हो चुका है।

कवच लोको पायलट को तय गति सीमा के अंदर ट्रेन चलाने में सहायक है। अगर लोको पायलट ऐसा करने में विफल रहता है तो यह अपने आप ब्रेक लगा देता है। यह खराब मौसम में भी ट्रेनों को सुरक्षित रूप से चलाने में सक्षम है।

संसदीय समिति ने रेलवे की रिसर्च विंग को मिलने वाले फंड का उचित उपयोग न होने पर प्रश्न उठाया है। अपनी रिपोर्ट में समिति ने चिंता जताई है कि रेलवे रिसर्च के लिए आवंटित कम फंड का भी पूरा उपयोग नहीं कर पा रहा है!

समिति ने कहा है कि  वित्त वर्ष 2024-25 के लिए रेलवे अनुसंधान के लिए बजट अनुमान केवल ₹72.01 करोड़ रखा गया है। इसके अलावा, यह अतिरिक्त चिंता का विषय है कि पिछले दो वर्षों के दौरान अनुसंधान के लिए आवंटित सीमित फंड का उपयोग करने में रेलवे असमर्थ रहा है।

उल्लेखनीय है कि इस मद में वित्त वर्ष 2022-23 में ₹107 करोड़ और 2023-24 में ₹66.52 करोड़ के संशोधित अनुमानों के मुकाबले वास्तविक खर्च क्रमश: ₹39.12 करोड़ और ₹28.34 करोड़ था।