पूर्व मध्य रेलवे निर्माण संगठन: अधिकारी-सुपरवाइजर-ठेकेदार के गठजोड़ से हो रही रेल राजस्व की खुली लूट
ईसीआर कंस्ट्रक्शन में यदि सभी निर्माण कार्यों की सीबीआई जांच कराई जाए, तो उजागर हो सकता है करोड़ों नहीं, बल्कि अरबों का भ्रष्टाचार
पूर्व मध्य रेलवे निर्माण संगठन, महेंद्रूघाट, पटना के विद्युत विभाग में अधिकारी-सुपरवाइजर-ठेकेदार की मिलीभगत (गठजोड़) से रेल राजस्व की खुली लूट हो रही है। यह लूट खासतौर पर वर्तमान डिप्टी सीईई/सी, साउथ के मातहत होने की खुलकर सामने आई है।
विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार पूर्व मध्य रेलवे कंस्ट्रक्शन साउथ बिजली विभाग में एक ही कार्य के लिए अलग-अलग नाम से बहुत सारे टेंडर निकले जा रहे हैं। इसके अलावा, किए हुए काम को मेजरमेंट बुक (एमबी) में मेजरमेंट कर बिना कार्य की लोकेशन का उल्लेख किए ही ठेकेदार को भुगतान किया जा रहा है।
रेलवे के स्थापित नियमों के अनुसार जब भी कोई बिल पास करना होता है, तो मेजरमेंट बुक में किए गए कार्य की लोकेशन भी लिखना आवश्यक होता है। विजिलेंस की भी ऐसी ही गाइडलाइन है। लेकिन पूर्व मध्य रेलवे निर्माण संगठन महेंद्रूघाट, पटना के विद्युत विभाग में इन नियमों और विजिलेंस की गाइडलाइन की धड़ल्ले से अवहेलना की जा रही है।
सूत्रों का कहना है कि अभी यदि विजिलेंस टीम द्वारा यहां का कोई भी बिल चेक किया जाए, जो विगत एक साल का हो, तो पता चलेगा कि किसी भी बिल में किए गए कार्य की लोकेशन का जिक्र एमबी में नहीं किया हुआ है। उनका कहना है कि यहां यह सब संबंधित अधिकारियों द्वारा खुद को और ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए जानबूझकर किया जा रहा है।
नमूने के तोर पर यहां प्रस्तुत हैं कुछ वास्तविक तथ्य
पूर्व मध्य रेलवे, धनबाद मंडल में तोरी-शिवपुर न्यू लाइन का काम चल रहा है। यह काम डिप्टी सीईई/सी/साउथ, महेंद्रू घाट, पटना के अधीन किया जा रहा है। जब से यह प्रोजेक्ट चालू हुआ है, तब से लेकर अब तक इस सेक्शन के लिए कम से कम दर्जन भर से ज्यादा टेंडर निकले जा चुके हैं। कुछ टेंडर क्लोज भी किए गए हैं। कुछ टेंडर्स का जिक्र यहां पर किया जा रहा है– (क्रम सं. 1 से 12)
तोरी-शिवपुर सेक्शन:
1. The 1st tender awarded to M/s Sonal Electrical, Dhanbad for electrification of staff quarters.
2. The 2nd tender awarded to M/s M. S. Electricals, Con section, Dhanbad for electrification, street light and power supply arrangement of Officers’ Rest House (ORH).
3. The 3rd tender awarded to M/s Jagdish Singh Enterprises, Patna.
4. The 4th tender awarded to M/s Unified Electrical, Dhanbad for OHE work from Tori (0 km) to Biratoli (Exc).
5. The 5th tender awarded to M/s Unified Electrical, Dhanbad for electrification of Tori station building.
6. The 6th tender awarded to M/s Bhawani Electricals, Patna for electrification of Biratoli, Balumath, and overhead 33/11 KV crossing.
7. The 7th tender awarded to M/s Jagdish Singh Enterprises, Patna for 33/11 KV crossing cable work.
8. The 8th tender awarded to M/s Shyam Takniki Udyog, Dhanbad for electrification of OHE work from Biratoli to Balumath.
9. The 9th tender awarded to M/s Niranjan Enterprises, Deharionson (DOS) for electrification of OHE work from Balumath to Shivpur.
10. The 10th tender awarded to M/s Unified Electrical, Dhanbad for electrification of OHE 2nd line from Tori to Balumath.
11. The 11th tender awarded to M/s Niranjan Enterprises, Deharionson (DOS) for electrification of OHE 2nd line from Balumath to Shivpur.
12. The 12th tender awarded to M/s Unified Electrical, Dhanbad for electrification of late overwork of Tori to Balumath, ground work (Tender No. 02/EL/C/S/MHX/ETEN/51/19-20).
सूत्रों का कहना है कि उपरोक्त सभी टेंडर क्रोनोलॉजिकल ऑर्डर में दिए गए हैं। जो पहला है, वह टेंडर पहले अवार्ड हुआ है। इन सारे टेंडर की कुल वैल्यू यदि जोड़ दी जाए, तो यह लगभग 80 करोड़ से ज्यादा की होती है, जबकि वास्तविक काम 60 करोड़ का भी नहीं है।
इसके अलावा कुछ टेंडर एसएलटी (स्पेशल लिमिटेड टेंडर) के तहत भी अवार्ड किए गए हैं। सूत्रों के अनुसार इन सब टेंडर्स में लगभग 20 करोड़ रुपये से ज्यादा की बंदरबांट हुई है। उनका कहना है कि यदि सिर्फ अंतिम 5-6 टेंडर की भी सही ढ़ंग से विजिलेंस जांच करा ली जाए, तो दूध का दूध और पानी का पानी अपने-आप हो जाएगा।
जानकारों का मानना है कि इस सब में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हो रहा है। यही कारण है कि इलेक्ट्रिकल कंस्ट्रक्शन साउथ के किसी भी बिल में लोकेशन का लिखित उल्लेख नहीं किया जा रहा है। जबकि सूत्रों का कहना है कि इस मामले में वर्तमान डिप्टी सीईई/सी, साउथ को इस सब में बहुत महारत हासिल है। उनका कहना है कि इनके मातहत एसएसई/इलेक्ट्रिकल, उनके निर्देशानुसार यह सारे काम मैनेज करता है।
सूत्रों ने बताया कि यह एसएसई/इलेक्ट्रिकल बहुत पहले धनबाद के उसी ओपन लाइन सेक्शन में एसएसई/ओएचई था। अपनी जुगाड़ और धनबल की बदौलत काफी पहले इसने अपनी पोस्टिंग कंस्ट्रकशन में करा ली थी। उन्होंने बताया कि जब ये ओपन लाइन में एसएसई/ओएचई था, तब वर्तमान डिप्टी सीईई/सी/साउथ बरकाकाना में डीईई/टीआरडी थे और वर्तमान एसएसई/इलेक्ट्रिकल वहां इन्हीं के मातहत कार्यरत था।
सूत्रों का कहना है कि वहां पर भी इन दोनों ने आपसी सांठगांठ करके बहुत सारे वर्क्स में फर्जी बिलिंग की थी। उनका कहना है कि चूंकि इनकी पहुंच और रसूख बहुत ऊपर तक है, इसीलिए अब तक कोई भी विजिलेंस वाला इनका बाल बांका नहीं कर पाया है। यही कारण है कि इनका दुस्साहस और भी ज्यादा बढ़ गया है।
उनका यह भी कहना था कि पहले ये लोग लाखों में फाल्स बिलिंग कर ठेकेदार से मिलकर धन का बंटवारा फिफ्टी-फिफ्टी के हिसाब से आपस में कर लेते थे। पर अब ये करोड़ों में फाल्स बिलिंग करने लगे हैं। ऊपर दिया गया सेक्शन तो इसका सिर्फ एक नमूना मात्र है। ऐसे बहुत सारे सेक्शन में अलग-अलग बीसों प्रोजेक्ट्स हैं, जहां ये खेल धड़ल्ले से जारी है, जबकि इनके काम को चेक करने वाला कोई नहीं है।
सूत्रों का कहना था कि हाल ही में इनके द्वारा 10 करोड़ का एक और टेंडर निकाला गया था, जबकि इस काम की जरूरत नहीं थी। पर अभी भी इसमें कोई औचित्यपूर्ण कार्यवाही नहीं की गई है। उनका कहना है कि इनके कुछ चहेते और चुने हुए ठेकेदार हैं, जिनके साथ मिलकर फाल्स बिलिंग का यह खेल खुलकर खेला जा रहा है।
सूत्रों ने बताया कि पूर्व मध्य रेलवे का विजिलेंस विभाग तो मूकदर्शक बना हुआ है। इससे ऐसा लगता है कि इस करप्शन का हिस्सा उसे भी जा रहा है? पहले इनका शेयर पूर्व महाभ्रष्ट मेंबर ट्रैक्शन, रेलवे बोर्ड को भी जाता था। तभी तो उन्होंने वर्तमान डिप्टी सीईई/सी, साउथ, महेंद्रू घाट, पटना को एक साल से कम समय में 4-5 बार अलग-अलग मनचाही पोस्टिंग दी थी।
सूत्रों का कहना है कि वर्तमान में भी यहां इनकी लूट का कारोबार बदस्तूर और बड़े स्तर पर चल रहा है। एक ही कार्य के लिए जारी किए गए एक दर्जन से ज्यादा उपरोक्त टेंडर इस बात का पुख्ता सबूत हो सकते हैं। अतः न सिर्फ रेल प्रशासन उक्त संबंधित अधिकारियों को अविलंब अन्यत्र शिफ्ट करके उनके द्वारा किए/कराए गए समस्त कार्यों की रेलवे बोर्ड विजिलेंस से जांच सुनिश्चित करे, बल्कि सीबीआई को भी इनकी समस्त संपत्तियों एवं गतिविधियों की जांच के लिए इस मामले को रेफर करे।
सेक्शन में कार्यरत कई वरिष्ठ रेलकर्मियों का भी यही कहना है कि संबंधित अधिकारियों को तुरंत हटाकर इस सेक्शन के सारे टेंडर्स की जांच सुनिश्चित की जाए और भारी अनियमितता के लिए कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जाए। उनका कहना है कि वर्तमान एसएसई/इलेक्ट्रिकल विगत लगभग दो साल के कार्यकाल में असीमित कमाई कर चुका है। इसके साथ ही लंबे समय से यहां कंस्ट्रक्शन में पदस्थ ऐसे सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों को भी अविलंब हटाया जाए।
जानकारों का कहना है कि पूर्व मध्य रेलवे विद्युत विभाग (ओपन लाइन/कंस्ट्रक्शन दोनों) में धनबल की बदौलत मनचाही पोस्टिंग का खेल विगत कई वर्षों से जारी है। बोर्ड के संबंधित अधिकारी और विजिलेंस विभाग या तो अपनी आंखें बंद किए हुए हैं, या फिर वह भी इस लूट में बराबर के हिस्सेदार बनकर शामिल हैं। अन्यथा कोई कारण नहीं है कि यह लूट अब तक बदस्तूर जारी रहती! उनका कहना है कि इलेक्ट्रिकल कंस्ट्रक्शन विभाग में यदि सभी वर्क्स की सीबीआई जांच की जाए, तो करोड़ों नहीं, बल्कि अरबों रुपये का खेल उजागर हो सकता है। यही हाल उत्तर रेलवे निर्माण संगठन का भी है! क्रमशः