दस साल के मोदी-कार्यकाल में भी व्याप्त नहीं हुआ रेल अधिकारियों में भय!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति और हर मंच से इस पर कठोर शब्दों में प्रतिपादन के बावजूद रेल अधिकारियों में उनका अथवा उनकी भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसियों का कोई भय व्याप्त नहीं हो पाया है। इसका ज्वलंत उदाहरण है पूर्व मध्य रेलवे और इसके कुछ अधिकारी, विशेष रूप से इंजीनियरिंग विभाग के अधिकारी, देखें-कुछ तथ्य-

भ्रष्ट अधिकारियों पर –
Top #Management का वरदहस्त

#PCE, #CTE और रेल अधिकारी मस्त

रेल कर्मचारी पस्त, जनता जनार्दन त्रस्त

ये नारे #ECR (Ek Corrupt Railway) की कार्यशैली के अभिन्न अंग बन गए हैं!

पूर्व मध्य रेलवे के अधिकारियों को किसी का डर नहीं रह गया है, और हो भी क्यों, विजिलेंस पॉकेट में है, #CRS मैनेज्ड है, और रेलमंत्री अथवा रेल मंत्रालय (रेलवे बोर्ड) को इस सब से कोई सरोकार नहीं है!

न तो निर्माण कार्य खत्म करने की कोई समय सीमा है, न ही उनकी कोई गुणवत्ता! अधिकारियों का न तो #रोटेशन हो रहा है, न ही उन पर कोई नियंत्रण है!

टेंडर में कमीशन मिलने के बाद अधिकारी अपने रास्ते और ठेकेदार का अपना रास्ता! अधिकारी और ठेकेदार के बीच पिस रहा है रेल कर्मचारी!

यात्री/जनता की जान सबसे सस्ती!
चिंता न फिकर रेल के सम्मान की!
न जनता के जान की!
जय बोलो बेईमान की!
यह वस्तुस्थिति है #ECR की!

पूर्व मध्य रेलवे में रेल लाइनों के निर्माण में ऐसा भ्रष्टाचार के तहत ठेकेदारों से धनार्जन के मुख्य उदेश्य की पूर्ति के लिए हो रहा है। इससे रेलवे को केवल नुकसान ही हो रहा है। इसलिए इस संबंध में रेल प्रशासन और जाँच एजेंसियों को यथोचित तत्परता दिखाने की आवश्यकता है।

संबंधित अधिकारियों की पूरी टीम से लेकर सभी पी-वे निरीक्षकों को मुख्यालय सहित अन्य कार्यालयों से ओपन लाइन में उनका मुख्य काम करने हेतु फील्ड में वापस करते हुए उक्त कार्यालयों को पूर्णतः बंद कर देना ही न्यायोचित होगा।

चूँकि भ्रष्टाचार के तहत ठेकेदारों का फेवर करके उनसे अर्जित धन का उपयोग कर पुनः नए प्रोजेक्ट्स का प्रभारी बनने के लिए कुछ अधिकारी कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में रेल प्रशासन यदि धृतराष्ट्र बना रहेगा तो ठेकेदारों के फेवर वाला प्रायोजित कृत्य-आचरण सतत जारी रहेगा।

वर्तमान समयावधि में केवल ठेकेदारों के फेवर वाले कृत्यों में लिप्त हैं अधिकारी और भ्रष्टाचार से अर्जित सम्पत्ति का उपयोग उच्च अधिकारियों की जुगाड़ टेक्नोलॉजी और मनचाही पोस्टिंग पुनः प्राप्त करने में ईसीआर कंस्ट्रक्शन ऑर्गनाइजेशन के फील्ड में पदस्थ सभी डिप्टी चीफ इंजीनियर सफल हैं।

उक्त जुगाड़ पोस्टिंग के चलते गुणवत्तापूर्ण कार्य संपादन सुनिश्चित नहीं हो पा रहा है। अधिकांश अधिकारी/कर्मचारी केवल जुगाड़ टेक्नोलॉजी में ही लगे हैं, जिसमें समय से पहले भुगतान, जाति आधारित फेवर और ठेकेदारों की कृपादृष्टि के दम पर अपनी मनचाही पदस्थापना पाई जा रही है।

जानकारों का कहना है कि डिप्टी चीफ इंजीनियर-४/समस्तीपुर जैसी भ्रष्ट मानसिकता वाले डिप्टी चीफ इंजीनियरों और उनकी पूरी टीम को अन्यत्र ट्रांसफर करना आवश्यक है और उक्त कार्यालयों को भी अविलंब समाप्त करने की आवश्यकता है। क्रमशः..