ECR: निर्माण कार्यों में बड़े पैमाने पर हो रहे भ्रष्टाचार का संज्ञान लें केंद्रीय जाँच एजेंसियाँ

बिहार में एक जोनल रेलवे मुख्यालय स्थापित करने के चक्कर में श्रद्धेय पं. अटल बिहारी बाजपेयी सरकार के समय सात नई जोनल रेलों का गठन किया गया था। अपने गठन के आज बीस सालों के बाद इन सातों नई जोनल रेलों में यदि कोई सबसे अधिक भ्रष्ट रेल है तो वह पूर्व मध्य रेलवे है। संदर्भ वश यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि इन सातों जोनल रेलवे मुख्यालयों का गठन विशुद्ध रूप से राजनीतिक था, जिसका कोई भी लाभ देश को, रेल को, जनता को, और व्यवस्था को नहीं हुआ। ईसीआर में भ्रष्टाचार शुरू से ही है और ऐसा लगता है कि इसकी स्थापना केवल लूट के लिए ही की गई थी! अतः पिछले बीस वर्षों में ईसीआर में हुए निर्माण कार्यों और उन पर हुए वास्तविक खर्च की जाँच सीएजी एवं केंद्रीय जाँच एजेंसियों से करवाए जाने की आवश्यकता है!

पूर्व मध्य रेलवे (#ईसीआर) में ऐसे #poster लगाने का कोई औचित्य नहीं है, चूँकि ईसीआर में लूट की भरपूर छूट है। यहाँ गुणवत्तापूर्ण निर्माण कार्य संपादन सुनिश्चित करवाने वाले जिम्मेदार पदों पर बैठे लगभग सभी अधिकारी ठेकेदारों के फेवर में उनके ही कर्मियों के रूप में सेवाएँ दे रहे हैं, फिर भले ही अधिकृत वेतन और सुविधाएं रेलवे से ले रहे हैं।

Useless poster for #ECRailway

फील्ड कर्मचारियों का कहना है कि ईसीआर में निर्माण कार्य हेतु फील्ड में आवश्यकता के अनुरूप अधिकारियों की पोस्टिंग नहीं हो रही है। यहाँ संगठित भ्रष्टाचार के तहत ठेकेदारों के फेवर में फैसले त्वरित गति से लिए जाते हैं और उसके बदले में अधिकारियों द्वारा ठेकेदारों से राजशाही सुविधाएँ प्राप्त की जाती हैं।

बालू पर बनाया जा रही है रेल लाइन

इस स्थानीय बालू को #blanketing मटीरियल के रूप में स्वीकार करके नए ट्रैक के निर्माण में उपयोग किया जा रहा है, फिर भविष्य में ट्रैक का ईश्वर ही मालिक है। ईसीआर के अधिकारी बालू पर बने ऐसे ट्रैक पर दौड़ाएँगे 160-180 kmph की हाई स्पीड ट्रेनें!

नियम विरुद्ध ली गई हाथ से तोड़ी हुई गिट्टी (बलास्ट)

यह हाथ से तोड़ी गई पत्थर की गिट्टी (#Ballast) ईसीआर में ली जा रही है, जबकि निर्धारित नियमानुसार मशीनों से बनाई गई #stone ballast की सप्लाई ही स्वीकार करना है, लेकिन भ्रष्टाचार के तहत ठेकेदारों की मिलीभगत से चालू #Doubling और नई लाइन के निर्माण कार्य में निम्न स्तरीय घटिया गुणवत्ता की स्टोन बलास्ट ली जा रही है जहाँ परिस्थिति ऐसी बनाई गई है कि बलास्ट सप्लाई करने वाले और ब्लैंकेटिंग का कार्य संपादन करने वाले ठेकेदारों द्वारा ही अपने फेवर वाले निरीक्षकों, अधिकारियों की पोस्टिंग सुनिश्चित करवाई जाती है। यह सब कुछ ठेकेदारों और अधिकारियों के सिंडिकेट के तहत ही ईसीआर में चल रहा है, अन्यथा #रोटेशन ट्रांसफर लागू हो होता तो आवश्यकताओं के अनुरूप अधिकारियों के पद प्रायोजित रूप से खाली नहीं रखे जाते।

अधपकी कच्ची ईंटों का उपयोग

सब कुछ घटिया ही घटिया, स्तरहीन, लेकिन यह सब दिखता किसी को भी नहीं है, क्योंकि अवैध कमाई से सब लाभान्वित हो रहे हैं, इसलिए चुप रहना ही ईसीआर में बेहतर समझा जाता है!

जानकारों का कहना है कि यहाँ करप्ट सिंडिकेट में बहुत अधिक बेचैनी है, चर्चाओं का दौर जारी है कि वास्तव में सिंडिकेट में यहाँ जो हो रहा है, जैसे गलत जमीन अधिग्रहण! जमीन रहते हुए भी #formation यदि गलत बन गए हैं तो उसमें सुधार किए बिना ट्रैक को ही फॉर्मेशन के अनुरूप अनावश्यक गोलाई देते हुए लाइन का निर्माण कर दिया जा रहा है या सिंडिकेट में #Doubling कार्य में मेजर ब्रिज को अधिक दूरी पर किया जा रहा है, ताकि मिट्टी का अधिक कार्य करवाया जा सके, जिसमें अनावश्यक रूप से पुनः ट्रैक निर्माण कार्य में रिवर्स कर्व (गोलाई) देकर अतिरिक्त खर्च और अतिरिक्त कमाई की जा सके।

इसके साथ ही अनावश्यक रूप से कई जगह उसके लिए रिटेनिंग वाल करोड़ों रुपये का खर्च करके बनाई जा रही है जबकि उससे कम लागत में जमीन का अधिग्रहण हो गया होता, लेकिन भूमि अधिग्रहण के लिए जाते समय भी भ्रष्टाचार के तहत धनार्जन के उद्देश्य से ही सम्बन्धित लोगों से लाभान्वित होकर लाइन को ही गोलाकार कर दिया गया है। आखिर इस भ्रष्टाचार के लिए जिम्मेदार व्यक्ति के विरुद्ध क्या कार्यवाही होगी या ऐसे ही हालात में लूट की छूट मिलती रहेगी?

#Blanket material

#Box-Bridge में कर्टेन वाल और ड्रॉप वाल में पीचिंग बोल्डर ड्राइंग में 300 mm रहता है, जो ईसीआर के अधिकांश ब्रिजेज पर उपयोग में नहीं लिया गया है। इसके लिए फर्जी भुगतान करने हेतु कुछेक जगह केवल थोड़ा-बहुत दिखाने के लिए डालकर रखा जा रहा है।

#Blanket: “Blanket is a layer of specified coarse, granular material of designed thickness provided over full width of formation between subgrade and ballast.”

बालू ही बालू के फॉर्मेशन पर कितने दिन टिकेगा ट्रैक?

आखिर इसमें कोई भी दानेदार ग्रेडेड मटीरियल क्यों नहीं दिखता है? ऐसे निर्माण कार्य संपादन से कौन लाभान्वित हो रहा है? उन्हें चिन्हित करते हुए उन्हें सेवामुक्त किया जाए या फिर उन्हें मुख्यालय में बैठाया जाए, बल्कि सबसे अच्छा यह होगा कि उन्हें सुदूर किसी अन्य जोनल रेलवे में भेज दिया जाए!

ईसीआर के अधिकांश अधिकारियों और निरीक्षकों में अपनी निर्धारित दैनिक ड्युटी के निर्वहन में ऐसी कोताही-लापरवाही बरती जा रही है जो अक्षम्य है। चूँकि उनकी उक्त निर्धारित प्रोफेशनल ड्युटी के दौरान आवश्यक कार्रवाई में रेलवे हित में ईमानदार होना आवश्यक है, जहाँ भी गुणवत्तापूर्ण कार्य संपादन सुनिश्चित नहीं हो रहा है, लेकिन ऐसा कृत्य जिसमें केवल ठेकेदारों के पक्ष में ही संलिप्तता हो, जिसके चलते ही गुणवत्तापूर्ण कार्य संपादन नहीं हो पा रहे हैं।

अतः महाप्रबंधक और सीएओ/सी/ईसीआर को निरीक्षण के दौरान स्वयं देखना चाहिए और निर्माण या सप्लाई ऑफ मटीरियल की निम्न स्तरीय गुणवत्ता स्वीकार किए जाने पर सिंडिकेट के विरुद्ध कठोरतम कार्रवाई सुनिश्चित किए जाने की आवश्यकता है, अन्यथा यह मान लिया जाएगा कि उनकी संलिप्तता के चलते ही रेलवे को कम से कम करोड़ों रुपये का मासिक नुकसान और साथ-साथ ही कोडल लाइफ (समयावधि) भी बहुत कम निर्मित हो रही है।

Old Specifications GE IRS 2005

सीआरएस निरीक्षण के दौरान तकनीकी आवश्यकता के अनुरूप आवश्यक निर्धारित गाइडलाइन का पालन सुनिश्चित क्यों नहीं किया जा रहा है? और सीआरएस को यह सब क्यों नहीं दिखाई देता है? यह प्रश्न लगभग सभी फील्ड कर्मचारियों को परेशान कर रहे हैं। इंजीनियरिंग अधिकारी इस गाइड लाइन को फील्ड में आखिर सुनिश्चित क्यों नहीं करा रहे हैं, जबकि सेफ्टी के लिए यह अतिआवश्यक है।

New Guidelines: RDSO/2020/GE:IRS-0004 (With ACS 01 Dated 16.12.2021)
यह महत्त्वपूर्ण कार्य संपादन सुनिश्चित करने के निर्देश का पालन आखिर क्यों नहीं करवाया जा रहा है? आखिर सिंडिकेट में जो सेफ्टी के लिए आवश्यक फॉर्मेशन का सेस 90 CM और स्लोप फॉर्मेशन के दोनों तरफ 1:2 का क्यों नहीं दिखता? साथ ही #blankets के लिए उपयोग में लाए जा रहे घटिया कृत्य आँखों से क्यों नहीं दिखते? जबकि अधिकारियों की आँखों का मेडिकल टेस्ट भी होता रहता है!
Top width of formation
Specification: GE IRS 004: आखिर 20 mm, 10 mm, 4.75 mm का गुणवत्तापूर्ण एवं मान्य मिश्रण क्यों नहीं किया जा रहा है? अधिकारी-ठेकेदार सिंडिकेट की इस चोरी का पैसा किस-किस के हिस्से में जा रहा है, केंद्रीय जाँच एजेंसियों से इसकी जाँच होनी चाहिए!

जब फील्ड अधिकारियों, सीएओ/सी, जीएम और सीआरएस निरीक्षण करते हैं तो इस गाइडलाइन में उन्हें ग्रेडिंग साइज आखिर क्यों नहीं दिखता है? अतः इसका संज्ञान रेलवे बोर्ड और केंद्रीय जाँच एजेंसियों को अवश्य लेना चाहिए!

Corruption is another name for ECR !

Bizarre Act of #Corruption in #transfer and #posting in #Engineering Department of East Central Railway (#ECR) – allegedly the most infamous officer for corruption and uselessness made branch head of Pt. Deen Dayal Upadhyay Division (#DDU) in lieu of his services to senior officers.

And, also four officers adjusted in the same division for obvious consideration.

Officers under #Vigilance scanner rewarded. Surprisingly no officer who has completed 3/4 years in one post has been transferred.

Corruption is another name for ECR engineering department.

It is learnt that present engineering head of #DDU Division has been transferred on charges of inefficiency but adjusted in maaldar post for obvious reason.

Shockingly he is replaced by the most corrupt and inefficient officer of engineering department whose godfathers managed him post of engineering head of DDU earlier failed in posting him as head of Dhanbad division.

Three other officers of DDU Division adjusted in same division. Is it beginning of “Andher Nagri Chaupat Raja, Part-II?” क्रमशः जारी..