यूनियनों के पदों से सीनियर सुपरवाइजरों को हटाने के आदेश को वापस लेने के विरोध में मनाया काला दिवस
#NEREA ने दोहराई सीनियर सुपरवाइजरों को ग्रुप ‘बी’ का राजपत्रित दर्जा दिए जाने की मांग
नार्थ ईस्टर्न रेलवे इंजीनियर्स एसोसिएशन #NEREA ने गोरखपुर में शुक्रवार, 27 दिसंबर को बड़ा एक मोर्चा निकालकर भारतीय रेल के सभी #सीनियर #सबॉर्डिनेट को ग्रुप ‘बी’ का #राजपत्रित दर्जा दिए जाने और #यूनियनों/#फेडरेशनों के #पदों से #सीनियर #सुपरवाइजरों को बाहर किए जाने की मांग दोहराई है।
उल्लेखनीय है कि गत वर्ष 27 दिसंबर के दिन ही तत्कालीन चेयरमैन, रेलवे बोर्ड ने यूनियनों/फेडरेशनों को खुश करने के लिए #सीनियर #सुपरवाइजरों को लेबर यूनियनों और फेडरेशनों के पदों से बाहर किए जाने के पूर्व में जारी आदेश को वापस ले लिया था।
इसके विरोध में पूरी भारतीय रेल के सभी सीनियर सबॉर्डिनेट ने तय किया है कि अब जब तक रेल प्रशासन अपने इस निर्णय को पुनः लागू नहीं करता, तब तक वे हर साल 27 दिसंबर का दिन काला दिवस के रूप में मनाएंगे।
इसके अलावा उन्होंने सभी सीनियर सबॉर्डिनेट को ग्रुप ‘बी’ का राजपत्रित दर्जा दिए जाने की अपनी दीर्घ लंबित मांग को दोहराया है। उल्लेखनीय है कि कई समितियों ने #सीपीडब्ल्यूडी सहित अन्य सभी केंद्रीय विभागों के समान भारतीय रेल के सभी सीनियर सबॉर्डिनेट को ग्रुप ‘बी’ का राजपत्रित दर्जा दिए जाने की सिफारिशें की हैं। इसके साथ ही सैकड़ों सांसद भी कई-कई बार उनकी इस मांग को संसद के दोनों सदनों में उठा चुके हैं।
#सीनियर #सबॉर्डिनेट की उपरोक्त दोनों मांगें न सिर्फ उचित और जायज हैं, बल्कि लंबे समय से लंबित भी हैं। तथापि रेल प्रशासन के सामने समस्या यह है कि इंजीनियरिंग विभाग में नीचे के तमाम आवश्यक एवं संरक्षा से जुड़े पदों को समाप्त कर और उन्हें पदोन्नत करके जिस तरह तमाम अयोग्य लोगों को सीनियर सेक्शन इंजीनियर यानि सीनियर सुपरवाइजर बना दिया गया है, उन्हें बिना वाजिब अर्हता के कैसे और किस तरह ग्रुप ‘बी’ का दर्जा दिया जा सकता है, यह तय नहीं हो पा रहा है।
#NEREA से जुड़े #पूर्वोत्तररेलवे के सभी #SrSubardinate ने #ग्रुप_बी की मांग और @RailMinIndia द्वारा #SrSupervisors को #यूनियनों/#फेडरेशनों के #पदों से बाहर करने वाला #आदेश वापस लिए जाने के #विरोध में शुक्रवार, 27 दिसंबर को #कालादिवस मनाया@nerailwaygkp@gmner_gkp@PiyushGoyal pic.twitter.com/PaY5LJIej5
— kanafoosi.com (@kanafoosi) December 27, 2019
जबकि इससे पहले ऐसे तमाम अयोग्य लोगों के पदनामों में भारी भरकम ‘इंजीनियर’ शब्द जोड़कर विभाग में उनकी अहमियत काफी बढ़ा दी गई थी। ऐसे लोगों के पास किसी भी #इंजीनियरिंग #ट्रेड की कोई शैक्षिक योग्यता नहीं है। तथापि ये ‘इंजीनियर’ बन गए हैं। इससे जहां एक तरफ रेलवे में ऐसे अयोग्य लोगों का दबदबा काफी बढ़ जाने से रेल संरक्षा एवं सुरक्षा की अनदेखी हुई है, तो वहीं दूसरी ओर जो डिग्री/डिप्लोमा धारी वास्तविक सुपरवाइजर हैं, वे इन #अयोग्य लोगों के सामने #बेबस, #लाचार और #हीनभावना का #शिकार हैं।
जानकारों का मानना है कि अब जब रेलवे में आठों संगठित सेवाओं समाप्त कर ऊपर बड़े पैमाने पर रिफॉर्म किया जा रहा है, तब रेल संरक्षा और रख-रखाव से जुड़े महत्वपूर्ण ग्रुप ‘सी’ कैडर के इन डिग्री/डिप्लोमाधारी, शिक्षित औ प्रशिक्षित वास्तविक सीनियर सुपरवाइजरों की प्रोन्नति के संबंध में भी रेल प्रशासन को समुचित निर्णय लेना चाहिए। उनका यह भी कहना था कि #यूनियनों के पदों से तो सीनियर सुपरवाइजरों को अविलंब बाहर किया जाना चाहिए। उनकी यह मांग सर्वथा उचित है, क्योंकि उनके यूनियनों के पदाधिकारी बनने का कोई औचित्य नहीं है। इससे रेलवे की #उत्पादकता और #कामकाज बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।