गाड़ियों की संरक्षा सुनिश्चित करने हेतु पूर्वोत्तर रेलवे ने लगाई हॉट एक्सल एवं हॉट बॉक्स डिटेक्टर मशीन
गोरखपुर ब्यूरो: सुरक्षित एवं संरक्षित यातायात व्यवस्था प्रदान करना, रेलवे की प्राथमिकता है, इसे सुनिश्चित करने के लिए रेल प्रशासन द्वारा सतत प्रयास एवं नए प्रयास और सुधार किए जाते हैं। इसी क्रम में कोचिंग डिपो, गोरखपुर द्वारा गोरखपुर जंक्शन स्टेशन से पास गाड़ियों में होने वाली हॉट एक्सल की घटनाओं का पता लगाने के लिए कोचिंग कॉम्प्लेक्स, गोरखपुर के निकट एवं गोरखनाथ ओवर ब्रिज के नीचे समपार संख्या-162 स्पेशल के निकट ‘हॉट एक्सल एवं हॉट बाक्स‘ डिटेक्टर लगाया गया है।
हॉट बाक्स डिटेक्टर द्वारा गोरखपुर जंक्शन स्टेशन से पास से गुजरने वाली गाड़ियों में होने वाले ‘हॉट एक्सल‘ का पूर्वानुमान कर मार्ग में विफलता को रोकने हेतु मेन लाइन पर अप साइड में गोरखनाथ ओवर ब्रिज के नीचे स्थित गेट संख्या-162 स्पेशल एवं डाउन साइड में पुराने कोचिंग कॉम्प्लेक्स के निकट ‘हॉट एक्सल एवं हॉट बाक्स‘ डिटेक्टर लगाया गया है।
यह नई हॉट एक्सल एवं हॉट बाक्स डिटेक्टर मशीन द्वारा गाड़ियों के गुजरने के एक मिनट के अन्दर गणना कर गुजरी हुई गाड़ी का प्रकार, गति, चक्कों एवं एक्सल का तापमान तथा तापमान में अन्तर आदि का डाटा सॉफ्टवेयर के माध्यम से स्टोर कर लिया जाता है। किसी भी प्रकार की अनियमितता अथवा कमी पाए जाने पर इस मशीन के सॉफ्टवेयर में अंकित मोबाइल नम्बरों पर पायी गई कमी को एक संदेश के माध्यम से यह मशीन सूचित कर देती है।
‘हॉट एक्सल एवं हॉट बॉक्स‘ डिटेक्टर मशीन दो प्रॉक्सिमिटी सेंसर, दो इन्फ्रा रेड सेंसर एवं एक एचएबीडी बाक्स से मिलकर बनी है। यह प्राक्सिमिटी सेंसर गाड़ियों की गति, दिशा एवं लोड के प्रकार को बताता है तथा इन्फ्रा रेड सेंसर ‘एक्सल एवं ह्वील‘ पर फोकस कर तापमान का मापन करता है और सारे संकेत ‘हॉट एक्सल एवं हॉट बाक्स‘ डिटेक्टर को भेज देता है, जहां से इस मशीन के सॉफ्टवेयर में अंकित मोबाइल नम्बरों पर सूचना पहुंच जाती है। यह मशीन 130 किमी प्रति घंटा की गति पर पास होने वाली गाड़ी के एक्सल एवं ह्वील पर फोकस कर तापमान का मापन करने में सक्षम है।
इस मशीन के लग जाने से गाड़ियों की संरक्षा और सुदृढ़ हो जाएगी तथा मार्ग में अचानक हॉट एक्सल के कारण होने वाली दुर्घटना एवं विलम्बन को रोका जा सकेगा। वर्तमान में हॉट एक्सल का डिटेक्शन मैनुअल सिस्टम द्वारा किया जाता है। संरक्षा के दृष्टिगत पुरानी मैनुअल व्यवस्था चलती रहेगी। इसके अतिरिक्त संरक्षा के दृष्टिकोण से नई तकनीकी की यह व्यवस्था भी बनाई गई है।