‘नायर’ के ‘ना-लायक’ प्रशासक बैठा रहे हैं रेलवे रेवेन्यू का भट्ठा! रेलवे बोर्ड और विजिलेंस ने बंद कर रखी हैं अपनी आंखें, कथित रेल रिफॉर्म में व्यस्त है रेलवे का ‘नीरो’!!
भारतीय रेल राष्ट्रीय अकादमी में सभी प्रोबेशनर्स को वेलकम किट के नाम पर बांटा जा रहा है मुफ्त घरेलू/निजी इस्तेमाल का सामान, हो रही है जनता की गाढ़ी कमाई के करोड़ों रुपए की लूट
भारतीय रेल राष्ट्रीय अकादमी (नायर), वड़ोदरा में सभी प्रोबेशनर्स को ‘वेलकम किट’ के नाम पर घरेलू और नितांत निजी इस्तेमाल का सामान, जैसे बैग, टी-शर्ट, पावर बैंक, पेन ड्राइव, 5000 रुपए का कोट (ब्लेजर), टाई, स्वेटर, लैपटॉप इत्यादि मुफ्त में बांटा जा रहा है और जनता की गाढ़ी कमाई के करोड़ों रुपए की खुली लूट की जा रही है।
बड़ा सवाल यह है कि ये कहां तक उचित है? पहले तो हमारे विश्वसनीय सूत्रों की बात पर ‘कानाफूसी.कॉम’ को भरोसा ही नहीं हुआ, लेकिन जब रेलवे बोर्ड के पत्र संख्या 2018/ई/(ट्रेनिंग)/11, दि. 10/05/2018 को देखा गया, तब उनकी इस बात पर अविश्वास करने का कोई कारण नहीं बचा।
देखें, इस पत्र में क्या लिखा है, जिसे नजरअंदाज करके ‘नायर’ के ‘ना-लायक’ प्रशासक किस तरह रेलवे रेवेन्यू का भट्ठा बैठा रहे हैं..
क्या रेल प्रशासन इस तरह सभी प्रोबेशनर्स को वेलकम किट के नाम पर घरेलू और निजी इस्तेमाल का सामान बैग, टी- शर्ट, पावर बैंक, पेन ड्राइव, लैपटॉप, 5000 रुपए का कोट (ब्लेजर), टाई, स्वेटर इत्यादि मुफ्त में बांटकर अपना ऑपरेशन रेश्यो और आमदनी बढ़ा सकता है?
जब रेलवे खुद 100 रुपए कमाने के लिए 98.44 रुपए खर्च करके कंगाली की कगार पर पहुंच रही हो, तब यह दयानतदारी आखिर क्यों? वह भी तब जब रेलवे के नियम-कानून और दिशा-निर्देश कतई इसकी इजाजत नहीं देते! जानकारों द्वारा वर्तमान में रेलवे का घाटा करीब 50 हजार करोड़ रुपए तक पहुंच जाने का अनुमान व्यक्त किया जा रहा है, परंतु अधिकृत रूप से इसे अभी-भी 21 हजार करोड़ रुपए के आसपास ही बताया जा रहा है।
‘जले में खाज’ की स्थिति यह भी है कि लंबी छुट्टी पर होने के बावजूद ‘नायर’ के तथाकथित प्रोफेसरों को 24% इंसेंटिव दिया जाता है, जबकि इस दौरान वे कोई क्लास अटेंड नहीं करते। जबकि यह इंसेंटिव क्लास अटेंड करने से जुड़ा हुआ है। पर्याप्त फैकल्टी होने के बाद भी यहां बाहरी लोगों को लेक्चर के लिए बुलाकर और उन्हें एयर ट्रेवल की सुविधा, जो कि निययत: परमिटेड नहीं है, देकर यहां की फैकल्टी मौज करती है। यह सब रेलवे बोर्ड और रेलवे विजिलेंस को आखिर दिखाई क्यों नहीं देता?
क्या यह सब रेलमंत्री को मालूम है? अथवा वह खुद कहीं रेलवे का भट्टा बैठाने वालों का साथ तो नहीं दे रहे हैं? रेलवे की ‘कोर ऐक्टीविटीज’ को दरकिनार करके कथित रिफॉर्म के नाम पर एक ओर रेलवे को भारी घाटे में ढ़केला जा रहा है, जो कि 2014 के पहले घाटे में बिल्कुल नहीं थी।
दूसरी तरफ सभी प्रोबेशनर्स को तथाकथित ‘वेलकम किट’ के नाम पर निजी/घरेलू इस्तेमाल के सामान मुफ्त में बांटकर दयानतदारी दिखाई जा रही है। ऐसे में रेलवे बोर्ड और ‘नायर’ के ‘ना-लायक’ प्रशासकों से यह पूछा जाना चाहिए कि ये प्रोबेशनर्स क्या उनके दामाद हैं?
रेलवे रेवेन्यू की इस खुली लूट पर रेलमंत्री को अविलंब संज्ञान लेना चाहिए! क्योंकि रेलवे को लाखों रुपये का चूना लगाया जा रहा है और जनता की मेहनत की गाढ़ी कमाई की खुली लूट चल रही है। यह तुरंत बंद होनी चाहिए।