भ्रष्टाचार और विवादों से घिरा प्रयागराज मंडल, प्रबंधन एवं प्रशासन विफल

लंबी अवधि से एक ही जगह जमे स्टाफ के गॉडफादर कौन-कौन से अधिकारी हैं, उनकी पहचान करना भी आवश्यक है!

प्राप्त ताजा जानकारी के अनुसार टूंडला स्टेशन का अंडर ट्रांसफर बुकिंग स्टाफ भैरूलाल मीणा की छुट्टी डीटीएम टूंडला द्वारा लगातार बढ़ाई जा रही है, जबकि बाकी ट्रांसफर वाणिज्य स्टाफ को मस्टर रोल में तुरंत स्पेयर करके ट्रांसफर मेमो उनके घरों पर चस्पा कराया गया था।

इस घटना से स्पष्ट हो गया कि डीटीएम टूंडला और भैरूलाल का गठजोड़ मजबूत भ्रष्टाचार रूपी सीमेंट से जुड़ा हुआ है। प्रताड़ित कर्मचारियों का कहना है कि जीरो टॉलरेंस का दम भरने वाले उत्तर मध्य रेलवे (एनसीआर) के महाप्रबंधक प्रमोद कुमार और प्रयागराज के डीआरएम श्री चंद्रा टूंडला प्रकरण पर सही नजर रखने में फेल साबित हुए हैं, केवल एक पक्ष की बात को सुनकर निर्णय लिया गया, जिसका दुष्परिणाम भविष्य में बहुत खतरनाक होगा।

कानपुर सीपीसी मालगोदाम पर छापा

खबर है कि उत्तर मध्य रेलवे के कानपुर स्थित सीपीसी माल गोदाम में शुक्रवार, 14 अक्टूबर की सुबह डिप्टी एफए एंड सीएओ/ट्रैफिक ने अपनी टीम के साथ छापा मारा और मौके पर करीब 200 वैगन का माल पड़ा हुआ पाया गया, जिस पर नियमानुसार स्थान शुल्क लिया जाना था, लेकिन वाणिज्य विभाग ने टीएमएस में इनका रिमूवल (डिलीवरी) समय से होना दिखा दिया था।

अर्थात रेलवे का कोई देय पार्टी पर बकाया नहीं है, जबकि छापे में करीब तीस से पैंतीस लाख रुपये का रेल राजस्व चोरी किए जाने का अनुमान है। खबर यह भी है कि इस हेराफेरी में मुख्यालय के उच्च अधिकारी, ब्रांच ऑफिसर और स्थानीय अधिकारी एवं कर्मचारी सब शामिल हैं।

उल्लेखनीय है कि पिछले लगभग एक साल से इस अनियमितता, मिलीभगत और भ्रष्टाचार के बारे में रेल प्रशासन को मीडिया द्वारा आगाह किया जा रहा था, लेकिन वाणिज्य विभाग ने कोई कार्यवाही नहीं की। अभी पूरी खबर की पुष्टि नहीं हुई है, विस्तृत जानकारी की प्रतीक्षा है।

बदनाम प्रयागराज मंडल का वाणिज्य विभाग

उत्तर मध्य रेलवे, प्रयागराज मंडल का वाणिज्य विभाग आखिर इतना बदनाम क्यों है? इसकी कुछ तहकीकात करने पर जो निष्कर्ष निकल रहा है वह ये है कि वर्षों से या अमूमन पहली पोस्टिंग से लेकर अब तक जो बुकिंग, आरक्षण, पार्सल, गुड्स, चेकिंग स्टाफ है, उसका आवधिक स्थानांतरण हुआ ही नहीं, अगर हुआ भी है, तो एरिया वही रहा, केवल सेक्शन बदल दिया गया, या फिर कुर्सी अथवा कमरा इधर से उधर कर दिया गया।

इसका परिणाम यह हुआ कि ये लोग सिस्टम में घुसकर दीमक का काम करने लगे। दुर्भाग्य ये भी रहा कि ब्रांच ऑफिसर भी अपने दो-तीन साल के कार्यकाल में क्या कर सकें, केवल उस पर फोकस किया। फलस्वरूप इसमें बैड एलिमेंट्स ने भी जगह बना ली और अपने-अपने गॉडफादर बना लिया।

आवधिक स्थानांतरण का सबसे ज्वलंत उदाहरण टूंडला प्रकरण भी है, जहां आज भी प्रशासन अपने घुटने टेके हुए है।‌ अगर समय रहते सभी स्टाफ का रोटेशन एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन पर किया जाता, तो शायद ऐसी स्थिति नहीं पैदा होती, जिसकी भेंट बेकसूर सीएमआई और चेकिंग स्टाफ के चढ़ गए।

फसाद की जड़ को स्पेयर कराने में विफल डीआरएम

ज्ञातव्य है कि आवधिक स्थानांतरण पर डीआरएम ने #Railwhispers से बातचीत में स्वीकार किया था कि यह समस्या तो है। उल्लेखनीय है कि उनकी इसी स्वीकारोक्ति की परिणति टूंडला स्टेशन पर 16 साल से – रेलवे में ज्वाइनिंग से लेकर अब तक – जमे भैरूलाल मीणा – जिसे टूंडला स्टेशन पर हुए फसाद की मुख्य जड़ बताया गया है – का भी ट्रांसफर अन्य वाणिज्य कर्मियों के साथ किया गया था, परंतु डीटीएम टूंडला का संपूर्ण संरक्षण प्राप्त होने के कारण उसे अब तक वहां से स्पेयर कराने में डीआरएम सहित प्रयागराज मुख्यालय के सभी उच्च अधिकारी विफल रहे हैं।

प्रश्न यह है कि अंडर ट्रांसफर स्टाफ को डीटीएम टूंडला ने छुट्टी कैसे दिया? उसकी छद्म छुट्टी रद्द करके अब तक उसे स्पेयर क्यों नहीं किया गया? प्रश्न यह भी है कि जिस तरह गिरफ्तारी से बचने के लिए अन्य वाणिज्य स्टाफ को उसकी अनुपस्थिति में ही स्पेयर करके उनके स्पेयर लेटर्स उनके घरों पर भेजा दिए गए, घरों के दरवाजों पर चस्पा करा दिए गए, उसी प्रकार भैरूलाल मीणा की छुट्टी रद्द करने सहित उसका स्पेयर लेटर उसके घर पर चस्पा क्यों नहीं कराया गया?

भैरूलाल मीणा के गॉडफादर फिलहाल तो डीटीएम टूंडला ही हैं, यह तो सुनिश्चित हो गया, मगर ऊपर और कौन-कौन से अधिकारी उसके गॉडफादर हैं, उनकी भी पहचान की जानी आवश्यक है! एक मामूली स्टाफ को स्पेयर करवाने और विवादास्पद डीटीएम टूंडला को हटाने में डीआरएम प्रयागराज और जीएम/उ.म.रे. अब तक विफल क्यों साबित हुए हैं, यह भी विचारणीय है! क्रमशः जारी…