आईआरटीएस अधिकारी भाटी की आकस्मिक मृत्यु से शोक संतप्त परिजनों का बुरा हाल
बिलासपुर: दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे, बिलासपुर के बिलासपुर-कटनी रेल खंड पर तीसरी लाइन के नॉन इंटरलॉकिंग के काम में लगे बैकुंठपुर के एरिया मैनेजर यादवेंद्र सिंह भाटी की मेमू ट्रेन की चपेट में आने से गुरूवार, 23 जून 2022 की देर शाम को सेंट्रल हॉस्पिटल धनपुरी में आकस्मिक मृत्यु की दुर्भाग्यपूर्ण घटना से दुखी कर्मचारियों एवं उनके साथी अधिकारियों में भारी रोष व्याप्त है।
वहीं दूसरी तरफ वर्ष 2018 बैच के आईआरटीएस अधिकारी श्री भाटी के परिजनों ने दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के प्रमुख मुख्य परिचालन प्रबंधक एवं बिलासपुर मंडल के पूर्व वरिष्ठ मंडल परिचालन प्रबंधक (सीनियर डीओएम) पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि उनके बेटे के साथ उक्त अधिकारियों की प्रताड़ना पिछले काफी समय से जारी थी। प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्तमान सीनियर डीओएम भी उक्त घटना के समय कोरबा में फील्ड ड्यूटी पर थे। घटना की सूचना मिलने पर वह तुरंत सबसे पहले घटनास्थल पर पहुंचे थे।
उल्लेखनीय है कि अमलाई रेलवे स्टेशन पर तीसरी लाइन का नॉन इंटरलॉकिंग कार्य चल रहा था। इस काम में श्री भाटी गुरुवार की रात से ही लगे हुए थे। इसी दौरान कटनी से बिलासपुर की ओर जाने वाली मेमू ट्रेन आ गई और श्री भाटी उससे टकरा गए। इस हादसे में उनकी दर्दनाक मौत हो गई। श्री भाटी दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के बिलासपुर डिवीजन में बैकुंठपुर में एरिया मैनेजर के पद पर पदस्थ थे, वर्तमान में उनके पास शहडोल के एरिया मैनेजर का भी अतिरिक्त प्रभार था।
तीन सदस्यीय टीम करेगी रेल अधिकारी की मौत की जांच, ट्रैक पर काम के दौरान आए थे ट्रेन की चपेट में
उपरोक्त हादसे में जान गंवाने वाले एरिया मैनेजर यादवेंद्र सिंह भाटी का परिणय पश्चिम मध्य रेलवे जबलपुर जोन में पदस्थ महिला अधिकारी श्रीमती वर्षा छत्रोले (आईआरटीएस) से बमुश्किल एक महीने पहले ही हुआ था। विवाह के तुरंत बाद वह अपनी ड्यूटी पर लौट आए थे। उन्हें शहडोल और अनूपपुर की तीसरी लाइन का काम जल्दी से जल्दी पूरा करवाना था, मगर ईश्वर को शायद कुछ और ही मंजूर था।
परिवार ने कहा कि उनका बेटा बिलासपुर में पदस्थ था, जहां से उसे अनावश्यक रूप से बैकुंठपुर में पोस्टिंग दी गई। वहां न रहने की व्यवस्था थी, न ही किसी प्रकार की सुविधा थी। मेरे बीमार होने के बावजूद मेरे बेटे को छुट्टी नहीं दी जाती थी। पिता ने रेलवे के ही अधिकारियों पर उनके बेटे की हत्या का आरोप लगाया है। शोक संतप्त परिजनों और कई वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि रेल प्रशासन को इस मामले में पूर्व सीनियर डीओएम की भूमिका की जांच करवाना चाहिए।
बिलासपुर में उनके मां-बाप का रो-रोकर बुरा हाल है। परिवार ने दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे मुख्यालय और बिलासपुर मंडल के पूर्व वरिष्ठ मंडल परिचालन प्रबंधक की शिकायत रेलमंत्री और चेयरमैन, रेलवे बोर्ड से की है। मामले में पुलिस ने भी जांच शुरू कर दी है। ज्ञातव्य है कि स्व. श्री भाटी का परिवार मूल रूप से राजस्थान का रहने वाला है।
पूरे आईआरटीएस कैडर के साथ रेलवे का प्रत्येक कार्यरत और सेवानिवृत्त अधिकारी और कर्मचारी इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना से अत्यंत विचलित और शोक संतप्त हुआ है। अधिकारीगण आईआरएसई आशुतोष गुप्ता, चीफ इंजीनियर/स्टेशन डेवलपमेंट, सेंट्रल रेलवे के आकस्मिक निधन की पीड़ा से अभी उबर भी नहीं पाए थे कि श्री भाटी के देहांत की खबर से फील्ड में कार्य के दौरान अपनी सेफ्टी को लेकर बुरी तरह सशंकित हो उठे हैं।
Senior IRTS officer and retired Additional Member, Railway Board, S. C. Jethi writes, “This is a heart-wrenching incident in which a very precious life of a bright young IRTS officer is lost. More tragic is the fact that his wedding was solemn barely a month or so ago with a young IRTS lady officer working on West Central Railway, Jabalpur”.
“The fate has been extremely cruel to both families. Alas ! We know not the reasons for this will of Lord Almighty who keeps us always on the guessing game”.
“I extend my grief-stricken, heartfelt and deep condolences to the unfortunate members of both the families of the deceased and of his wife. I pray before Lord Almighty to grant eternal peace to the departed soul and infinite courage to all members of both families, in particular to his wife, to cope up with the lifelong pain of this tragic loss with immense fortitude!” ॐ शान्तिः
यहां एक और महत्वपूर्ण तथ्य का उल्लेख अत्यंत आवश्यक है। वह यह कि जिस प्रकार अन्य विभागों के जूनियर अधिकारियों के पास फील्ड ड्यूटी पर जाने के लिए गाड़ियां होती हैं, उसी प्रकार कमर्शियल और ऑपरेटिंग के एसीएम, एओएम जैसे जूनियर अधिकारियों के पास यह सुविधा उपलब्ध नहीं होती है। उन्हें अपनी व्यवस्था स्वयं करके फील्ड में जाना पड़ता है। “रेल प्रशासन को इस तथ्य पर गंभीरतापूर्वक विचार करना चाहिए।” यह कहना है तमाम कमर्शियल और ऑपरेटिंग ऑफिसर्स का!