इन्हें सब कुछ चाहिए ऑउट ऑफ टर्न…
एमडी भायखला सहित अन्य जोनल रेलों में भी एक ही जगह जमे लांग स्टे की परंपरा को आगे बढ़ाने वाले ऐसे सभी डॉक्टरों को तुरंत अन्य जोनों में ट्रांसफर किया जाए, यह कई सक्षम डॉक्टरों सहित तमाम रेलकर्मियों की भी मांग है। इससे रेलवे का करोड़ों रुपये का भला तो होगा ही, साथ ही अन्य मेहनती और ईमानदार डॉक्टरों के साथ न्याय भी होगा तथा रेलकर्मियों को अच्छा इलाज भी मिल सकेगा। ऐसे लोगों के कारण मेडिकल डिपार्टमेंट में फल-फूल रहे भारी भ्रष्टाचार पर भी लगाम लगेगी!
मध्य रेलवे के जोनल अस्पताल भायखला की एमडी अब तक काफी कुछ ऑउट ऑफ टर्न प्राप्त कर चुकी हैं। ये संभवतः कभी सेंट्रल रेलवे से बाहर नहीं गईं। काफी समय से निर्मल पार्क के टॉप फ्लोर पर इनका ऑउट ऑफ टर्न रेलवे आवास प्राप्त करने का जुगाड चल रहा था, वह भी मिल गया है। सूत्रों का कहना है कि ये आलीशान रेलवे आवास पूर्व सीएमडी और बाद में सीएमपी के रूप में तीन साल काम कर रिटायर हुए एक डॉक्टर द्वारा खाली करने का इंतजार था।
जानकारों का कहना है कि अब यह आवास मिल जाने पर कुछ समय बाद रिटायर होने पर वर्तमान एमडी/भायखला और भावी सीएमडी/सेंट्रल रेलवे भी यहीं पर सीएमपी में अपनी नियुक्ति कराकर 65 की उम्र तक टॉप फ्लोर के बड़े सरकारी आवास का आनंद ले सकेंगी। उन्होंने बताया कि ये चापलूसी के बल पर ही पूर्व महाप्रबंधक से अपना बंगला प्यून भी अप्रूव करा चुकी हैं। जबकि कुछ डॉक्टरों का कहना है कि इन्हें तुरंत मध्य रेल से स्थानांतरित कर किसी अन्य जोनल रेलवे में मुंबई से बाहर भेजा जाना चाहिए।
उनका कहना है कि अपनी पूरी सर्विस सेंट्रल रेलवे पर ही निकालने वाली भायखला अस्पताल की एमडी अब अपनी बची हुई सर्विस भी सेंट्रल रेलवे पर ही सीएमडी के रूप में निकालना चाहती हैं। इसके लिए वे जोरदार लॉबिंग कर रही हैं। उनका यह भी कहना है कि दिल्ली तक की यात्रा भी इसी उद्देश्य से कर आई हैं। बताते हैं कि डीजी/ हेल्थ से बात भी हो चुकी है और फिलहाल तो लगता है कि इन्हें यहीं रखने के लिए आश्वस्त भी किया गया है।
रेलवे में भ्रष्टाचार का एक बड़ा अड्डा मेडिकल डिपार्टमेंट भी है। रेलवे के उच्च पदों पर बैठे लोग अपने परिवार के ऐसे सदस्यों, जो कि मेडिकल सुविधा के हकदार नहीं हैं, उनकी भी मेडिकल सुविधा का लाभ अनऑफिशियली उठाते हैं। कुछ जरूरी दवाएं और मेडिकल उपकरण भी फ्री में लेते हैं, जो उन्हें नहीं दिए जाने चाहिए। रेलवे के डॉक्टर उनकी इस गलत मांग को पूरा करते हैं और बदले में अपनी मनचाही पोस्टिंग तथा अन्य लाभ प्राप्त करते हैं।
जानकर सूत्रों का कहना है कि एमडी भायखला ने ऐसे ही अपनी पूरी सर्विस सेंट्रल रेलवे पर निकाल दी और सारी सुविधाएं तथा आउट ऑफ टर्न नियुक्ति भी प्राप्त कर ली। सूत्रों का तो यह भी कहना है कि उन्होंने हाल ही में अपने लिए रेलवे आवास भी आउट ऑफ टर्न अलॉट करवा लिया है। बंगला प्यून का अप्रूवल भी उन्होंने इसी तरह ही प्राप्त किया है।
ये सारा खेल रेलवे में उच्च प्रशासन की जानकारी में होने के बावजूद चल रहा है। जिस दूसरे डॉक्टर का हक मारा गया है, वह बेचारा इसलिए नहीं बोल पा रहा है, क्योंकि उसे लगता है कि ये पावर फुल हैं, विरोध करने पर इनका तो कुछ नहीं होगा, उल्टे सच बोलने पर उसका ही स्थानांतरण करा दिया जाएगा अथवा उसकी एसीआर खराब कर दी जाएगी।
भायखला हॉस्पिटल में साधारण मरीजों को कोई उचित सुविधा उपलब्ध नहीं कराई जाती। न ही उनकी यथोचित देखभाल होती है। डॉक्टर्स की भी कमी है। साफ-सफाई का स्तर और मरीजों के साथ स्टाफ का व्यवहार बहुत खराब है। मीडिया द्वारा इसकी रिपोर्टिंग कई बार की जा चुकी है। फिर भी एमडी महोदया का ध्यान हर महीने कुछ रुपये के एकाध स्ट्रेचर, व्हील चेयर जैसे छोटे उपकरणों के उद्घाटन के लिए जीएम या वूमन कमेटी की अध्यक्ष को बुलाकर फीता कटवाकर प्रचार करने और उन्हें खुश करने में लगा रहता है। इसके अलावा कुछ मेडिकल उपकरण ऐसे भी फालतू खरीदे गए हैं जिनका कोई उपयोग नहीं हो रहा है अथवा बाजार मूल्य से अधिक कीमत पर केवल इसलिए खरीद लिए गए हैं क्योंकि उसमें अपना और कंपनी दोनों का भला करना था?
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जानकारों का कहना है कि वास्तव में यह सारा तिकड़म उनके द्वारा सेंट्रल रेलवे की सीएमडी बनने की चाहत के लिए किया जा रहा है। इसके पीछे उनका अलग ही खेल है। वह यह कि सीएमडी के पद से जब वे 62 की उम्र में रिटायर होंगी, तब वे यहीं पर क्लिनिकल ड्यूटी के लिए 65 की उम्र तक जमी रहेंगी। आलीशान आवास जैसे रेलवे के सारे लाभ भी लेती रहेंगी। ठीक वैसे ही जैसे पूर्व सीएमडी डॉ श्याम सुंदर ये लाभ लेते हुए अभी 65 साल पूरा करके गए हैं।
सीधी बात है जब 62 की उम्र के बाद ये लोग एमडी या सीएमडी से रिटायर होकर क्लिनिकल ड्यूटी में लगाए जाते हैं, तो इनके अधिनस्थ रहे बाकी डॉक्टर इन्हें कोई काम तो बता नहीं पाते हैं। ये मजे से बिना कोई काम किए पूरा वेतन लेते हैं। वैसे भी 20-25 साल प्रशासनिक कार्यों में निकालने के बाद इन्हें क्लिनिकल ड्यूटी का विशेष अनुभव तो रह नहीं जाता है, बस ये रेलवे पर बोझ बनकर तीन साल तक भरपूर एंजॉय करते रहते हैं।
बहरहाल, रेलमंत्री, सीआरबी और डीजी/हेल्थ, रेलवे बोर्ड तथा जीएम/सेंट्रल रेलवे को यदि अपनी छवि को दागदार होने से बचाना है, तो एमडी भायखला सहित अन्य जोनल रेलवे में भी इस परंपरा को आगे बढ़ाने में लगे हुए ऐसे डॉक्टर्स को तुरंत किसी अन्य जोन में ट्रांसफर किया जाए, यह कई सक्षम डॉक्टरों सहित तमाम रेलकर्मियों की भी मांग है। इससे रेलवे का करोड़ों रुपये का भला तो होगा ही, साथ ही अन्य मेहनती और ईमानदार डॉक्टरों के साथ भी न्याय होगा तथा रेलकर्मियों को अच्छा इलाज भी मिल सकेगा। इसके अलावा ऐसे लोगों के कारण मेडिकल डिपार्टमेंट में फल-फूल रहे भारी भ्रष्टाचार पर भी लगाम लगेगी।
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