रेलमार्गों को ‘कवच’ संरक्षा प्रणाली से लैस करने की पूरी तैयारी है -अश्विनी वैष्णव, रेलमंत्री
आरंभ में दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा मार्गों को कवच से लैस किया जा रहा है। इसके साथ ही दिल्ली से चेन्नई, हैदराबाद, बेंगलूरु, जम्मू/उधमपुर, मुंबई से ईहैदराबाद, चेन्नई, इटारसी, बिलासपुर, हावड़ा, विजयवाड़ा से हावड़ा तक के ग्रेंड ट्रंक ग्रैंड कोर्ड मार्गों को कवच से लैस किया जाएगा!
नई दिल्ली: भारतीय रेल ने स्वदेश निर्मित संरक्षा प्रणाली “कवच” को 4,500 किमी के मार्ग में लगाने का काम शुरू कर दिया और 5,000 किमी रूट के लिए निविदाएं आगे जारी की जाएंगी। पूरी भारतीय रेल के संपूर्ण ट्रैक को कवच संरक्षा प्रणाली से लैस करने की पूरी तैयारी है।
रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोमवार, 13 जून 2022 को रेल भवन में इनोवेशन पॉलिसी जारी करने के बाद पत्रकारों से बातचीत में बताया कि रेलवे ने ट्रेनों की टक्कर को रोकने के लिए आरडीएसओ द्वारा विकसित कवच संरक्षा प्रणाली के दक्षिण मध्य रेल जोन में सफल प्रयोग के बाद इसे देश भर मेें लगाने का निर्णय लिया गया है।
उन्होंने बताया कि अब तक 3,000 रूट किमी ट्रैक पर कवच लगाने के लिए निविदाएं जारी हो चुकीं हैं। अगले चरण में 5,000 किमी मार्ग के लिए और निविदाएं जारी की जाएंगी। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि दो साल के भीतर इस प्रणाली को इतने रूट किमी में फिट करके चालू कर दिया जाएगा।
रेलवे बोर्ड के सूत्रों के अनुसार दक्षिण मध्य रेलवे जोन में 1445 किमी के मार्ग में कवच लगा दिया गया है और 20 किमी का काम प्रगति पर है। प्राप्त जानकारी के अनुसार 3009 रूट किमी के लिए निविदाएं जारी हो चुकी हैं। इस तकनीक पर विदेशी तकनीक के मुकाबले केवल 25 से 30 प्रतिशत की लागत आएगी। प्रत्येक किलोमीटर पर इसे लगाने का खर्च 40 से 50 लाख रुपए है, जबकि विदेशी तकनीक पर डेढ़ से दो करोड़ रुपये की लागत आती है। प्रत्येक खंड की निविदा 150 से 220 करोड़ रुपए की है।
रेलमंत्री का कहना है कि इस तकनीक के आने से लोको पायलट अधिक आत्मविश्वास से गाड़ी चला सकेंगे। सूत्रों के अनुसार आरंभ में दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा मार्गों को कवच से लैस किया जा रहा है। इसके साथ ही दिल्ली से चेन्नई, हैदराबाद, बेंगलूरु, जम्मू/उधमपुर, मुंबई से ईहैदराबाद, चेन्नई, इटारसी, बिलासपुर, हावड़ा, विजयवाड़ा से हावड़ा तक के ग्रेंड ट्रंक ग्रैंड कोर्ड मार्गों को कवच से लैस किया जाएगा।
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