कहीं ‘मिस्गाइड’ तो नहीं हो रहा है रेल मंत्रालय?

जो व्यक्ति जीएम तक नहीं बन पाया, पहले तो बतौर सलाहकार उसकी योग्यता ही संदिग्ध है। तथापि अपने पूर्व संबंधों का फायदा उठाकर यह वह करने की कोशिश कर रहे हैं जो सर्विस में रहते नहीं कर पाए। सलाहकार को अपने मैंडेट की मर्यादा में रहकर व्यवहार करना चाहिए और मंत्री जी को भी इस पर उचित ध्यान देना चाहिए!

जीएम स्तर के इम्पैनलमेंट के लिए रेल मंत्रालय (रेलवे बोर्ड) द्वारा पहले मंगलवार, 7 जून 2022 को नोटिफिकेशन (नं. 2022/SCC/06/32) निकाला गया, जिसमें 1983 एवं 1984 एग्जाम बैच के आठों संगठित रेल सेवाओं के अधिकारियों को आवेदन करने के लिए पात्र बताया गया था।

उपरोक्त नोटिफिकेशन के जारी होते ही सभी रेल अधिकारियों में इसको लेकर भारी रोष व्याप्त हो गया। खासतौर पर सिविल सर्विस से आए तीन सेवाओं – ट्रैफिक, पर्सनल एवं एकाउंट्स – के अधिकारी इस नोटिफिकेशन से विशेष तौर पर न केवल असंतुष्ट दिखाई दिए, बल्कि उन्होंने अपने इस असंतोष को खुलकर जाहिर भी किया।

इसके परिणामस्वरूप रेलवे बोर्ड ने अधिकारियों के इस असंतोष का तुरंत संज्ञान लेते हुए बुधवार, 8 जून 2022 को लेवल-15 में कार्यरत 1985 और 1986 एग्जाम बैच के अधिकारियों को भी आवेदन के लिए पात्र मानते हुए नोटिफिकेशन नंबर क्रमशः 2022/SCC/04/06, 2022/SCC/04/07 जारी किया है। उक्त तीनों नोटिफिकेशन के अनुसार सभी पात्र अधिकारियों के लिए कट-ऑफ डेट 01.09.2022 रखी गई है।

भूल सुधार और उपरोक्त दोनों नोटिफिकेशन के लिए अधिकारियों ने रेलवे बोर्ड को साधुवाद दिया, परंतु उनका कहना है कि जब बोर्ड ने 27.05.22 के आईआरएमएस नोटिफिकेशन में यह स्पष्ट कर दिया है कि “एम्पैनल्ड अंतिम अधिकारी की पोस्टिंग होने तक पैनल अलाइव रहेगा, यानि पैनल समाप्त नहीं होगा।” तब उसी परिप्रेक्ष्य में 1988 एग्जाम बैच तक के सभी कंफर्म एचएजी को एकमुश्त इम्पैनलमेंट/आवेदन के लिए अवसर प्रदान किया जाना चाहिए, क्योंकि तभी सही प्रतिस्पर्धा होगी।

उनका यह भी कहना है कि न चुनना हो, तो ड्राप करने के बहुत से तरीके हो सकते हैं, परंतु अवसर न देना, सही नहीं होगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान प्रक्रिया में, अर्थात दूसरे नोटिफिकेशनों से भी जहां एक तरफ (ईएसई साइड से) 150-200 अधिकारी मिल रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ (सीएसई साइड से) कुल मिलाकर मुश्किल से 10-15 अधिकारी ही मिलेंगे। तब यह फेयर-गेम कैसे होगा! इसके अलावा, आगे फिर एक-एक साल के लिए पैनल बनने शुरू हो जाने की भी संभावना बनती है। यानि आगे चलकर इस सारे किए-कराए पर पानी फिर जाने की प्रबल संभावना है। इससे बचने के लिए चीजों को आज ही ज्यादा से ज्यादा पुख्ता तरीके से ठीक किया जाना चाहिए।

इस संदर्भ में अपनी बात को स्पष्ट करते हुए रेलवे बोर्ड ने #Railwhispers से कहा कि कुछ जल्दबाजी के कारण ऐसा हुआ था, न कि किसी भेदभाव के कारण! इस पर जब यह कहा गया कि जिन लोगों को कंफर्म एचएजी मिल चुका है, अर्थात 1988 एग्जाम बैच तक, उनको भी इस इम्पैनलमेंट के लिए पात्र माना जाना चाहिए, अधिकारियों की ऐसी मांग है! इस पर बोर्ड का कहना था कि उनको भी माना जाएगा, यह कोई अंतिम इम्पैनलमेंट नहीं है। इसके बाद भी पैनल बनेंगे। सब कुछ ठीक होने में अभी थोड़ा समय लगेगा, और तब इसके लिए कोई भी किसी भी स्तर के अधिकारी आवेदन के पात्र होंगे। अब उनमें काम करने और अपना बायोडाटा पुख्ता करने के लिए एक प्रतिस्पर्धात्मक वातावरण निर्मित हो रहा है। तथापि सुधार की गुंजाइश हमेशा रहती है, अगर लोग ज्यादा जिम्मेदारी वहन करके ज्यादा बेहतर देने को तैयार हैं, और अगर यह आवश्यक होगा, तो यह भी अवश्य किया जाएगा।

जैसा कि उक्त बातचीत में रेलवे बोर्ड की सहृदयता देखने में आई, उसी अनुरूप अधिकारियों को उम्मीद है कि रेलवे बोर्ड द्वारा अब तक कंफर्म एचएजी प्राप्त सभी अधिकारियों को इसी पैनल से मौका दिया जाएगा, क्योंकि उनका कहना है कि चालू प्रक्रिया के जरिए जो परिपाटी आज बनने जा रही है, वही भविष्य की प्रक्रिया का आधार निर्धारित करने वाली है। अगर आरंभ में ही विसंगति को दरकिनार कर दिया जाएगा, तो यह भी आगे जोड़तोड़ करने वालों के लिए एक बड़ा आधार बन जाएगी। अतः उन्हें पूरी उम्मीद है कि उनकी बात में दम है, इसलिए रेलवे बोर्ड इस पर सहृदयतापूर्वक अवश्य विचार करेगा।

एक ओपिनियन यह भी है कि जीएम पैनल अब तक बैच-वाइज ही बनते आए हैं, इसमें कुछ भी नया नहीं है। परंतु यहां प्रश्न यह है कि जिन अधिकारियों को रेगुलर एचएजी पहले मिल जाता है, मगर उनसे तीन-चार बैच सीनियर अन्य कैडर के अधिकारी तब तक एनएफ-एचएजी में ही अटके रहते हैं, उनका क्या होगा? ऐसे में क्या यह मान लिया जाए कि वे तीन-चार बैच जूनियर अधिकारी, अन्य कैडर से संबंधित उन तीन-चार बैच सीनियर अधिकारियों से ज्यादा योग्य हैं, जिन्हें अब तक रेगुलर एचएजी नहीं मिल पाया है? रेलवे बोर्ड को इस समस्या को भी ध्यान में रखकर कोई सर्वमान्य समाधान खोजना होगा।

बहरहाल, कुछ अधिकारियों का मानना है कि कहीं ऐसा तो नहीं है कि रेलमंत्री को बिना पूरी बात बताए या समझाए उनके नीचे के कुछ अधिकारी अथवा उनके सलाहकार अपने कैडर के लोगों को येन केन प्रकारेण फायदा दिलाने के प्रयास में लगे हैं? उनका कहना है कि ऐसे कथित प्रयास रेलवे को सुधारने के रेलमंत्री के नेक इरादों को धक्का ही लगाएंगे।

ज्यादातर अधिकारियों द्वारा रेलमंत्री के सलाहकार के अपने मैंडेट से बाहर जाकर व्यवहार करने और अधिकारियों के दैनंदिन कामकाज में हस्तक्षेप को लेकर ज्यादा असंतोष व्यक्त किया जा रहा है। उनका स्पष्ट कहना है कि जो व्यक्ति जीएम तक नहीं बन पाया, पहले तो बतौर सलाहकार उसकी योग्यता ही संदिग्ध है। तथापि अपने पूर्व संबंधों का फायदा उठाकर यह वह करने की कोशिश कर रहे हैं जो सर्विस में रहते नहीं कर पाए, और असंतुष्ट होकर वीआरएस ले लिया था। उनका यह भी कहना है कि सलाहकार को अपने मैंडेट की मर्यादा में रहना चाहिए और मंत्री जी को भी इस पर उचित ध्यान देना चाहिए।

उपरोक्त दूसरे एवं तीसरे नोटिफिकेशन से भी जो कुछ अधिकारी संतुष्ट नहीं हैं। उनका मंतव्य इस प्रकार है –

1. There are two concepts in empanelment and selection

a) Equality of opportunity.

b) Fairness in selection of the individual candidate.

The Gazette notification and this call of application might be fair in (b) but fails miserably in equality of opportunity. Any Court will quash it.

The concept of batch as a measure of fairness is a myth. It is fair within members of a service and not outside.

CSE and ESE are two different processes of recruitment with its own age profile outcomes.

15-20 officers selected into IRTS, IRAS or IRPS or any CSE cannot change the average age of entry of all 800 candidates irrespective of the minimum age of entry.

In mechanical engineering, we were taught Statistical Quality control. There could be two methods of manufacturing a certain product. Each can lead to different quality outcomes. Once we accept that age profile is an output of a process, batch cannot measure fairness across ESE and CSE.

It can be explained with an example of a dog and a human species, (Please pardon for a crude example):

“Dogs have an average life span of 15-20 years and humans have an average life span of 65-70 years. What if we legally prescribe the minimum age of marriage to be 18 years for both species?”

Coming to the solutions:

Last cadre review prescribed 3.5% of senior duty posts in HAG for all services. No service can claim that they have fewer HAG revenue posts than others.

An easier norm could have been HAG or HAG+1 year eligibility without the concept of batch. It would have ensured equality of opportunity that is missing now.

With sharp criticism, 1985 & 1986 batch applications have also been called within 24 hrs. Obviously, what was issued only one day before was blatantly wrong.

Even with this, it’s not fair. They must extend it at least to 1988 batch to start with so that all eligible confirmed HAG officers can apply.

In the 1985 batch, there is only one officer in all 3 civil services combined with the cut-off date being 01.09.2022, apart from other officers already working as GMs. In contrast there are around 7-10 officers in each engineering service in 1985 batch itself.

Another opinion is that, “If the objective is to bring out competent, enthusiastic and motivated officers for the top jobs by providing equality of opportunity to all the services, the only solution is to make the eligibility for application as confirm HAG”.

So that anyone from the 8 services with confirmed HAG should be able to apply for the Level-16 & Level-17 posts. This will create a pool of eligible officers from which selection can be done.

“Limiting the pool with restrictive eligibility criterion will only perpetuate the existing anomaly due to age differential”.

Another very pertinent point of view of a senior officer:

The moot point is that empanelment is always done batch by batch. As regular HAG is criteria for eligibility to apply for level-16 in face of inter-cadre disparity in promotion to HAG by 3-4 years in Various services.

One cannot extend the zone of consideration to exam batches where such disparity exists among cadres. Otherwise it will violate the principle of natural justice. As junior batch officers will be eligible to apply for level-16 whereas their senior exam batch officers belonging to other services will not be able to participate in the empanelment process. It will invite litigations.

It is pertinent to mention that if 3 years junior from CSE like IRAS has got regular HAG but 3 senior exam batches of other services are still waiting for HAG. Does it mean that junior exam batch HAG officers are superior or more meritorious than the senior exam batch officers of other services?

Conclusion:

Now the complete picture is in front of the Railway administration. The experts of Railway Board and DOPT now decide what will be optimal for the Railways. It is also suggested that Railway Minister/Board must resolve this issue by consulting all the stakeholders and taking their suggestions before moving ahead with the Selection process. GMs selection is already delayed due to the quest for a better process but it must not be allowed to be derailed indefinitely due to litigations on account of “opportunity to participate in selection.” Govt. can always select whomever it wants. The larger the pool of applicants, the better it is for the Govt to select better ones. But not giving adequate or fair opportunity to participate through ‘policy or its interpretation’ is a sure way for a demoralised workforce apart from myriad legal quagmires.

प्रस्तुति: सुरेश त्रिपाठी

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