सीएलडब्ल्यू: गलत कारणों से चर्चा में है यह उत्पादन इकाई
गंगा बोट क्लब को बनाया कमाई का जरिया, बंद कर दिया गया चिल्ड्रेन पार्क
“अपनी मौज-मस्ती के लिए फंड की बड़े पैमाने पर अफरा-तफरी करने वाले और भ्रष्टाचार में भागीदार रहे अब बोर्ड मेंबर बनने की लाइन में हैं। ऐसे कदाचारी लोगों की वजह से ही आज रेल का बंटाधार हुआ है। रेलमंत्री अश्वनी वैष्णव अगर ऐसे मामलों का स्वत: संज्ञान लेंगे, तभी वह रेल को विश्व स्तरीय बनाने के अपने लक्ष्य में सफल हो पाएंगे!”
चितरंजन लोकोमोटिव वर्क्स (सीएलडब्ल्यू) भारतीय रेल की एक अत्यंत महत्वपूर्ण प्रोडक्शन यूनिट है। परंतु यह यूनिट पिछले कुछ समय से विशेष चर्चा का विषय बनी हुई है जब यहां के एक विभाग प्रमुख को करोड़ों के भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी में सीबीआई द्वारा रंगेहाथ पकड़ा गया। अब एक बार पुनः यह प्रोडक्शन यूनिट कर्मचारियों, उनके बच्चों और परिजनों की प्रताड़ना को लेकर चर्चा में आई है।
कर्मचारियों का कहना है कि सीएलडब्ल्यू के गंगा बोट क्लब एवं चिल्ड्रेन पार्क को व्यावसायिक तौर पर चलाने की कोशिश तो सही है परंतु यह महिला संगठन की कमाई के लिए क्यों होना चाहिए? अगर यही करना है तो यह कमाई रेल के खाते में जानी चाहिए। यहां पर प्रति व्यक्ति ₹15 की टिकट लगाई गई है। यह एक तरह से सीएलडब्ल्यू प्रशासन द्वारा यहां के कर्मचारियों और उनके परिजनों को क्लब/पार्क से दूर रखने का षड़यंत्र किया गया है।
सीएलडब्ल्यू के कर्मचारियों का कहना है कि यह दर कमाई करने के उद्देश्य से या यह कहें कि अपने फंड को बढ़ाने के उद्देश्य से सीएलडब्ल्यू वूमन वेलफेयर ऑर्गनाइजेशन को सौंप दिया गया है। उन्होंने कहा कि यह महिला संगठन रेल में अवैध तरीके से अस्तित्व में हैं, जिसका काम केवल मौजमस्ती करना होता ही है, इनमें केवल बड़े साहब की मैडमों की नक्शेबाजी चलती है।
उनका कहना है कि CLW-WWO द्वारा संचालित इस गंगा बोट क्लब को सीएलडब्ल्यू चित्तरंजन के साधारण कर्मचारियों के बच्चों के खेलने की जगह को एक उद्देश्य के तहत हड़पकर इस क्लब/पार्क से एक तरह से पैसा कमाया जा रहा है, जो रेल के खाते में जमा नहीं होता, यह सही नहीं है।
वह कहते हैं कि जबकि इसी के बगल में करोड़ों रुपये से बने चिल्ड्रेंस पार्क, जो सर्वसामान्य रेलकर्मियों के बच्चों के लिए निःशुल्क उपलब्ध था, को जानबूझकर बंद करवा दिया गया है।
उन्होंने बताया कि जो जगह बच्चों के खेलने के लिए इस पार्क में निःशुल्क उपलब्ध है, वहीं गंगा बोट क्लब में उसी खेलने वाले उपकरण के लिए ₹15 के टिकट के अलावा सामान्य कर्मचारियों के परिजनों को अलग से भी पैसे देने पड़ते हैं।
वह कहते हैं कि ये सब यहां इसलिए हो रहा है, क्योंकि यहां के कुछ अधिकारियों और #WWO की महिला सदस्यों की मिलीभगत से खुलेआम लूट की जा रही है।
कर्मचारियों का कहना है कि पिछले एक-डेढ़ साल से यहां यह काम हुआ है। इससे पहले दोनों ही पार्क रेलकर्मियों और उनके परिजनों के लिए निःशुल्क उपलब्ध थे, केवल 30 मिनट की बोटिंग के लिए ₹10 लगते थे।
उल्लेखनीय है कि गंगा बोट क्लब के बगल में स्थित “सोनार ग्राम उद्यान” में एक कॉटेज बनाया गया है, जिसके आसपास बताते हैं कि यहां के किसी कर्मचारी को फटकने की अनुमति नहीं है। बताते हैं कि यहां सप्ताहांत में या फिर जब मूड बने तब, बड़े साहब मछलियां पकड़ने और मौज-मस्ती करने के लिए आते हैं, उस समय इस कॉटेज के आसपास कड़ी सुरक्षा व्यवस्था रखी जाती है और किसी को भी आसपास जाने नहीं दिया जाता था।
कर्मचारियों का कहना है कि यह सब मैं करोड़ों रुपये के रेल राजस्व की बरबादी हुई है और इसकी बिना पर यहां बड़े साहब और उनकी बेगम केवल मौज-मस्ती कर रहे हैं। उनका कहना है कि बड़े साहब को कर्मचारी कल्याण के कार्यों में कोई रुचि नहीं है, जबकि यहां के लगभग सभी कर्मचारी कई समस्याओं से गुजर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सीएलडब्ल्यू में भ्रष्टाचार चरम पर है, तथापि प्रशासन पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इसी के परिणामस्वरूप कुछ दिन पहले यहां के प्रिंसिपल चीफ मैटेरियल मैनेजर (पीसीएमएम) करोड़ों की रिश्वत लेते रंगे हाथ सीबीआई द्वारा धरे गए थे और दो दिन पहले फिर तीन अधिकारियों को सीबीआई वाले उठाकर चंडीगढ़ ले गए हैं।
यहां का लगभग हर अधिकारी और रसूखदार कर्मचारी भ्रष्टाचार में लिप्त बताया गया है। यहां सतर्कता संगठन के ज्यादातर अधिकारी/निरीक्षक भी अन्य उत्पादन इकाईयों की ही तरह भ्रष्टाचार के गर्त में डूबे हुए हैं। यही कारण है कि शिकायतकर्ता की खबर संबंधित कदाचारियों को तुरंत लग जाती है। यहां के कुछ पावरफुल कर्मचारी अपनी पत्नी या परिजनों के नाम पर ठेकेदारी करते बताए गए हैं। इसके लिए उन्हें कुछ यूनियन नेताओं का वरदहस्त भी प्राप्त है। बताते हैं कि टेंडर के लिए विगत में यहां एक कत्ल भी हो चुका है।
कर्मचारियों का कहना है कि फंड की इतने बड़े पैमाने पर अफरा-तफरी करने वाले और भ्रष्टाचार में भागीदार रहे अब रेलवे बोर्ड में मेंबर बनने की लाइन में हैं। वह कहते हैं कि ऐसे कदाचारी लोगों की वजह से ही आज रेल का बंटाधार हुआ है। उनका कहना है कि रेलमंत्री अश्वनी वैष्णव अगर ऐसे मामलों का स्वत: संज्ञान लेंगे, तभी वह रेल को विश्व स्तरीय बनाने के अपने लक्ष्य में सफल हो पाएंगे।