पूर्व मध्य रेलवे: कम किए जाएं फील्ड में डिप्टी चीफ इंजीनियर कार्यालय, जीएम अनुपम शर्मा को जानकारों की सलाह!

रेल मंत्रालय को भी सभी जोनल रेलों के निर्माण संगठनों के अंतर्गत फील्ड में कार्यरत डिप्टी चीफ इंजीनियर कार्यालयों की समीक्षा करनी चाहिए। इससे एक तरफ रेल राजस्व की बड़े पैमाने पर बचत होगी, तो दूसरी तरफ इनमें अकारण और अनावश्यक रूप से पदस्थ स्टाफ का अन्यत्र सदुपयोग किया जा सकेगा!

पूर्व मध्य रेलवे के महाप्रबंधक अनुपम शर्मा ने हाल ही में पूर्व मध्य रेलवे पर चल रही नई रेल लाइनों के निर्माण, दोहरीकरण, आमान परिवर्तन और अन्य रेल परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा की है। इस समीक्षा बैठक में उन्होंने धनबाद एवं पं. दीनदयाल उपाध्याय मंडल में ग्रैंड कॉर्ड रेलखंड पर ट्रेनों की गति 130 किमी से बढ़ाकर 160 किमी प्रतिघंटा करने के लिए बुनियादी ढ़ांचागत सुधार कार्य की प्रगति की भी समीक्षा की।

उल्लेखनीय है कि पं. दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन से झाझा एवं धनबाद रेलखंड पर 130 किमी प्रतिघंटा की गति से ट्रेन परिचालन की अनुमति मिल चुकी है। इसके अलावा महाप्रबंधक ने निर्माण परियोजनाओं और रेल विकास से जुड़े कार्यों को प्राथमिकता देते हुए इन्हें निर्धारित समय पर पूरा करने का भी निर्देश दिया।

महाप्रबंधक ने विशेष रूप से सोननगर-पतरातू (291 किमी) तीसरी लाइन परियोजना, नेठरा-दरियावां नई लाइन परियोजना, मुजफ्फरपुर-वाल्मीकिनगर दोहरीकरण परियोजना, झंझारपुर-लौकहा बाजार, झंझारपुर-निर्मली, सहरसा-फारबिसगंज आमान परिवर्तन परियोजना सहित अन्य रेल परियोजनाओं की कार्य-प्रगति के बारे में जानकारी प्राप्त की।

महाप्रबंधक अनुपम शर्मा ने कहा कि रेलवे के प्रत्येक क्षेत्र में नई तकनीक का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग किया जाना चाहिए, जिससे रेल उपयोगकर्ताओं की अपेक्षाओं पर खरा उतरते हुए उन्हें बेहतर परिणाम दिया जा सके। उन्होंने पूर्व मध्य रेलवे पर चल रही विभिन्न निर्माण परियोजनाओं की नियमित एवं गहन मॉनिटरिंग किए जाने का निर्देश भी संबंधित अधिकारियों को दिया, ताकि ये सभी निर्माण कार्य निर्धारित समय पर पूरे किए जा सकें।

स्थापित किया जाएगा ईटीसीएस मानक

महाप्रबंधक अनुपम शर्मा ने कहा कि यार्ड रिमॉडलिंग के सभी कार्य समय पर पूरे किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक इंटरलाॅकिंग और यूरोपियन ट्रेन कंट्रोल सिस्टम (ईटीसीएस) के मानक स्थापित किए जाएंगे। इसके अंतर्गत ट्रैक नवीनीकरण, रेल पुलों का उन्नयन तथा सिग्नल प्रणाली का आधुनिकीकरण जैसे महत्वपूर्ण कार्य संपन्न होंगे।

उन्होंने कहा कि झंझारपुर-लौकहाबाजार, संकरी-निर्मली और सहरसा-फारबिसगंज (206 किमी) आमान परिवर्तन परियोजना की कुल लागत लगभग ₹1468 करोड़ है। मुजफ्फरपुर – सुगौली – वाल्मीकिनगर गेज कन्वर्जन परियोजना (210 किमी) का निर्माण कार्य तेज गति से चल रहा है। इस बड़ी रेल परियोजना पर लगभग ₹2402 करोड़ की लागत आने का अनुमान है।

कम किए जाएं डिप्टी चीफ इंजीनियर कार्यालय

पूर्व मध्य रेलवे पर जारी रेल परियोजनाओं के परिप्रेक्ष्य में जानकारों का मत है कि महाप्रबंधक/पू.म.रे. अनुपम शर्मा को इस सबके साथ-साथ फील्ड में निर्माण कार्यों के संपादन की कथित सुगमता के अनुरूप फील्ड में अनावश्यक रूप से बनाए गए डिप्टी चीफ इंजीनियर के कार्यालयों और उनको सौंपे गए सेक्शन, उनको दिए गए कार्यभार तथा रेलखंड के डिस्ट्रीब्यूशन की भी समीक्षा और मॉनिटरिंग करनी चाहिए।

उनका कहना है कि चूँकि पूर्व में पिछले 9 वर्षों के दौरान कई नए डिप्टी चीफ इंजीनियर कार्यालय अनावश्यक रूप से और प्रायोजित जातिगत आधार पर संगठित होकर पुराने कार्यालयों के अधीन चल रहे निर्माण खंडों को काटकर/बांटकर बना दिए गए, पदों का सृजन भी केवल नए प्रोजेक्ट्स के नाम पर किया गया, जबकि इनकी आवश्यकता ही नहीं थी।

जानकारों के अनुसार वर्तमान में भी डिप्टी चीफ इंजीनियर-2 हाजीपुर कार्यालय भौतिक रूप से आवश्यक नहीं है, चूँकि उक्त कार्य खंड को पूर्व में डिप्टी चीफ इंजीनियर-1 हाजीपुर के अधीन ही वर्ष 2005 में और उसके बाद भी वर्ष 2011 तक सभी कार्य संपादन हो रहे थे, और इसके ही तहत अन्य क्षेत्राधिकार के भी कार्य यहां से पूरे किए गए।

इसी तरह समस्तीपुर में भी अनावश्यक रूप से दो की जगह पर चार डिप्टी कार्यालय बनाए गए। इसके अतिरिक्त बेतिया और नरकटियागंज में नए डिप्टी चीफ इंजीनियर के कार्यालय बनाए जाने का औचित्य भी पूछा जाना चाहिए। जबकि तीन डिप्टी कार्यालयों का चार्ज अभी भी एक डिप्टी चीफ इंजीनियर के पास ही है, जो यह दर्शाता है कि दो डिप्टी कार्यालयों की कोई आवश्यकता ही नहीं थी।

इसी तरह डिप्टी चीफ इंजीनियर राजगीर के पद की आवश्यकता नहीं है, और न ही उक्त कार्यालय के अधीन पदस्थापित 16 कार्य निरीक्षकों की! क्योंकि यह सभी सरप्लस हैं। इसी तरह डिप्टी चीफ इंजीनियर-2 हाजीपुर कार्यालय में भी सभी कार्य निरीक्षक सरप्लस हैं। इन्हें संबंधित मंडलों में अपनी सेवाएं प्रदान करने के लिए अविलंब वापस कर देना ही रेल हित में होगा।

इसके साथ ही जानकारों का मानना है कि राजगीर डिप्टी चीफ इंजीनियर के पद को डिप्टी चीफ इंजीनियर दानापुर में मर्ज कर देना रेल हित में होगा, चूँकि वर्ष 2005 तक तो दानापुर कार्यालय से ही सभी कार्य संपादन होते रहे हैं।

महाप्रबंधक/पू.म.रे. अनुपम शर्मा को तो जानकारों के उपरोक्त सुझावों पर विचार करना ही चाहिए, बल्कि रेल मंत्रालय को भी सभी जोनल रेलों के निर्माण संगठनों के अंतर्गत फील्ड में कार्यरत डिप्टी चीफ इंजीनियर कार्यालयों की समीक्षा करनी चाहिए और यथासंभव इन्हें कम करने पर विचार किया जाना चाहिए। इससे एक तरफ रेल राजस्व की बड़े पैमाने पर बचत होगी, तो दूसरी तरफ इनमें अकारण और अनावश्यक रूप से पदस्थ सरप्लस स्टाफ का अन्यत्र सदुपयोग किया जा सकेगा। इसके अलावा जातिगत आधार पर चल रही संगठित लॉबिंग के दुर्व्यवहार और लूट को भी रोका जा सकेगा।

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