फिरोजपुर मंडल: सुधरने को तैयार नहीं है टिकट चेकिंग स्टाफ!
#Railwhispers की “सुधरने को तैयार नहीं है फिरोजपुर मंडल का टिकट चेकिंग स्टाफ?“ शीर्षक से प्रकाशित खबर का संज्ञान में लेते हुए उत्तर रेलवे के फिरोजपुर मंडल ने अपने “कमाऊ पूतो” को उनके असली काम (स्क्वाड अथवा स्टेशन ड्यूटी से हटाकर) पब्लिक अमेनटी में लगा तो दिया, मगर कुछ चहेते अभी भी जुगाड़ बैठाने से बाज नहीं आ रहे हैं।
अधिकारी भी क्या करें, वर्षों का दोस्ताना है और मिल बांट कर खाना है। अब जो खिलाते रहे हैं, उनकी कुछ तो सुननी और माननी ही पड़ती है। यह सही है।
परंतु कुछ सही कर दिखाने का साहस तो किया गया, मगर चहेतों को उनकी मनपसंद गाड़ियों में ही लगाया जा रहा है। दिखावे भर के लिए दो-चार लोगों को छोड़कर अभी भी अधिकांश स्टाफ अपनी पसंद से ड्यूटी कर रहा है और उनको 02920/02919, 02446/02445 जैसी गाड़ियों में कभी भी दिल्ली ड्यूटी पर नहीं भेजा जा रहा।
#FZRDivn: 3-3 #SrCIT एक ही गाड़ी में और दूसरी में Jrs COR(TS) वर्क कर रहे हैं
— RAILWHISPERS (@Railwhispers) September 12, 2021
इसे समझने के लिए ये कल 13/09/21 का ड्यूटी रोस्टर देखें!
02446/45, 01077/78 में दोनों JrStf को COR लगाया गया है जबकि यहां दर्जनों SrCIT फ्री घूम रहे हैं या एकसाथ एक ही गाड़ी में लगाया जा रहा है!@drm_fzr pic.twitter.com/KlEtwQQWoL
मजेदार बात ये है कि जिन गाड़ियों में गहन जांच और यात्री बुकिंग ज्यादा होती है, वहां तो तीन-चार लोग ही ड्यूटी पर लगाए जा रहे हैं और जो वीकली या कम बुकिंग वाली गाड़ियां हैं, उनमें 6-6 का स्टाफ जबरदस्ती भेजा जा रहा है। क्या कोई अधिकारी इसकी कोई वजह बता पायेगा?
लुधियाना स्टेशन के सीआईटी/इंचार्ज के तो डीआरएम से भी ज्यादा मजे हैं, जिनको उठाने-बैठाने के लिए दो-दो आफिस स्टाफ और दो-दो टीटीई क्लर्क का काम कर रहे हैं। एक तो सीआईटी रैंक के हैं, जो सारे स्लीपर लिंक के स्टाफ की हर रोज ड्यूटी लगा रहे हैं, उनकी छुट्टियों वगैरह का हिसाब रख रहे हैं और बीच-बीच में खुद अपनी ड्यूटी भी लगा लेते हैं।
और जो दूसरे साहब स्टेशन वाले हैं, वह आफिस में सुबह 8-9 बजे ड्यूटी पर आते हैं, दो बजते ही घर को निकल पड़ते हैं, जिनके पास ये दिखाने और बताने के लिए ईएफटी है कि वह टिकट भी चैक करते हैं।
यह मामला एक यूनियन ने डीआरएम के साथ एक मीटिंग में भी उठाया था। तब अधिकारियों द्वारा ये तर्क दिया गया कि वह अपनी ड्यूटी करने के बाद रेलवे के लिए कुछ एक्स्ट्रा काम करते हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि अगर इन दो रेल भक्तों में इतनी ही देशभक्ति कूट-कूटकर भरी पड़ी है, तो ये दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित क्यों नहीं करते?
जो स्टाफ खुद का अपना काम तो ढ़ंग से समय पर पूरा नहीं कर सकता, वह एक्स्ट्रा काम करके दे रहा है। आश्चर्य है। यह धूल आखिर किसकी आंखों में झोंकी जा रही है और किसको बेवकूफ बनाया जा रहा है? सीआईटी साहब, जो इंचार्ज हैं, वह सारा-सारा दिन क्या करते रहते हैं?
सुना है उनको तो ये भी पता तक नहीं रहता कि उनका कौन सा स्टाफ कौन सी गाड़ी में गया है? कोई गया भी है अथवा नहीं? तब वह सारा दिन कौन सा काम करते हैं और ड्यूटी के बाद कौन सा एक्स्ट्रा वर्क करके प्रशासन के भक्तों की श्रेणी में शामिल हैं?
पता चला है कि हाल ही में डीआरएम आफिस की तरफ से एक ऑफिशियली क्लर्क सीआईटीनइंचार्ज को दिया गया था, मगर उसकी इधर-उधर की कुछ गलत और फर्जी शिकायतें करके उसको वहां से हटवा दिया गया, क्योंकि उसकी वजह से कुछ चहेतों के सेवाफल प्राप्ति और काम में रुकावट आ रही थी।
क्या कोई अधिकारी ये बता पायेगा कि एक पोस्ट के पास दो दो ऑफिस क्यों हैं? तथा जिसके हाथ में चार्ट और ईएफटी होनी चाहिए, वह स्टेशन के दफ्तर में बैठकर अपने से सीनियर लोगों पर हुक्म कैसे चला रहा है?
स्टाफ का कहना है कि इस धांधलेबाजी को तुरंत रोका जाना चाहिए और जिसका जो काम है, उसे उस काम पर फौरन लगाया जाना चाहिए।
वहीं यूनियन के नेता, जो खुद चेकिंग स्टाफ हैं, अपने बड़े नेताओं से इस बात की नाराजगी जाहिर कर रहे हैं कि “जब हमें कोई फायदा नही मिल रहा है, तो कोई दूसरा ऑफिस में बैठकर क्यों मजे कर रहा है!” यह सब वही चेकिंग स्टाफ है, जिसने आज तक कभी हाथ में चार्ट पकड़कर गाड़ी के दरवाजे का डंडा भी नहीं पकड़ा है।
संबंधित अधिकारियों और रेल प्रशासन को फिरोजपुर मंडल सहित संपूर्ण भारतीय रेल के सभी मंडलों में टिकट चेकिंग स्टाफ के बीच चल रही इन अनियमितताओं और विसंगतियों का तुरंत संज्ञान लेकर इनका नियमानुसार समाधान करके सभी टिकट चेकिंग स्टाफ को उनकी असली ड्यूटी पर लगाया जाए और उन पर कड़ी निगरानी भी रखी जानी चाहिए।
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