रेलवे में जहां अधिकारी इफरात में हैं, वहां क्या है अतिरिक्त प्रभार देने का औचित्य?
एचएजी और सीनियर एनएफ-एचएजी अधिकारियों को बाईपास करके की गई जूनियर एनएफ-एचएजी की पोस्टिंग
एक तरफ इफरात अधिकारी होने के बावजूद अतिरिक्त प्रभार दिया जा रहा है – पीसीओएम/उ.रे. के रिटायर होने से पहले या तत्काल बाद नई पोस्टिंग करने के बजाय पीसीसीएम/उ.रे. को अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया।
दूसरी तरफ बंटी-बबली की जोड़ी वाली बबली उर्फ अर्चना श्रीवास्तव, सीसीएस/उ.रे. (एनएफ-एचएजी) को उनके पति बंटी उर्फ विवेक श्रीवास्तव, ईडीपीजी/रे.बो. की रेलवे बोर्ड में कथित ‘सेटिंग’ के चलते उनसे न सिर्फ काफी वरिष्ठ कन्फर्म एचएजी, बल्कि उनसे सीनियर कई एनएफ-एचएजी को भी बाईपास करके उत्तर पश्चिम रेलवे का पीसीसीएम (सीएचओडी) बना दिया और किसी सीनियर को पूछा भी नहीं गया!
इस संदर्भ में एक कन्फर्म्ड एचएजी अधिकारी ने नाम उजागर न करने और गोपनीयता की शर्त पर “रेलसमाचार” द्वारा पूछे जाने पर कहा कि “श्रीमती अर्चना श्रीवास्तव से ऊपर और उनसे पहले से एनएफ-एचएजी प्राप्त भी कई वरिष्ठ अधिकारी हैं। कुल लगभग 25-30 कन्फर्म्ड एचएजी और एनएफ-एचएजी अधिकारी उपलब्ध हैं, अगर हम सब से नहीं तो कम से कम कुछेक से ही पूछा गया होता, तो हममें से कई ने जरूर वहां जाने की हामी भरी होती। मगर यहां तो किसी को पूछा ही नहीं गया। इस पोस्टिंग का पता तो हम सबको तब चला जब पोस्टिंग आर्डर जारी हो गया।”
उनकी इस बात की पुष्टि कुछ अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भी की है। उन्होंने कहा कि “एचएजी और एनएफ-एचएजी में होते हुए यहां साइड लाइन में पड़े रहने से बेहतर तो यही था कि हम कम से कम वहां इंडिपेंडेंट चार्ज में चले जाते।”
इसके अलावा उनका यह भी कहना था कि “कुछेक लोगों को अगर छोड़ भी दिया जाए – जो कि पारिवारिक कारणों से नहीं जाना चाहते – मगर बाकी लोग तो थोड़ी सी सख्ती दिखाते ही चले जाते। पर यह क्या बात हुई कि कई-कई एचएजी अधिकारी उपलब्ध होने के बाद भी उनकी नई तैनाती इस आधार पर और स्वत: यह मानकर नहीं करेंगे कि कोई जाने को तैयार नहीं था? और किसी भी एनएफ-एचएजी को अपनी मनमर्जी से थोप देंगें? फिर प्रशासन का क्या मतलब हुआ?”
उधर उत्तर पश्चिम रेलवे में इस पोस्टिंग का आदेश जारी होने के बाद से ही सुगबुगाहट होने लगी थी। वहां अधिकारी आपस में खुसुर-पुसुर करने लगे थे कि अब कैसे निभेगी?
उत्तर पश्चिम रेलवे के कई वाणिज्य अधिकारियों का कहना है कि “रेलमंत्री का गृह क्षेत्र इसी जोन में आता है और यहां किसी तेजतर्रार, निष्ठावान और अच्छी छवि वाले किसी एचएजी अधिकारी को ही भेजा जाना चाहिए था, क्योंकि वैसे भी एनएफ-एचएजी की पीएचओडी में पोस्टिंग से उस जोन में किसी भी कैडर की गंभीरता और महत्व कम हो जाता है। ऐसी स्थिति में वाणिज्य विभाग जैसे अति संवेदनशील और महत्वपूर्ण विभाग के साथ कोई भी इस तरह का लूज निर्णय पूरे विभाग की साख पर बट्टा लगा देता है।”
आखिर यह हो क्या रहा है रेलवे में? पूछते हैं अधिकारी!
#रेलवे में जहां अधिकारी इफरात में हैं, वहां अतिरिक्त प्रभार देने का क्या औचित्य है?
— RAILWHISPERS (@Railwhispers) August 2, 2021
वहीं बंटी-बबली की जोड़ी वाली बबली को बंटी की @RailMinIndia में सेटिंग के चलते पच्चीसों सीनियर #IRTS अधिकारियों को बाईपास करके @NWRailways का #PCCM/CHoD बना दिया और किसी सीनियर को पूछा भी नहीं! pic.twitter.com/TFLuImpeQv
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