रिटायरमेंट के बाद भी काम कर रहे हैं सीएसओ/एनईआर!
मातहतों को तो एक बार यह मानकर बख्शा जा सकता है कि अब तक उनकी एसीआर नहीं लिखी गई है, इसलिए उन्होंने शाह को नहीं टोका, हालांकि यह अक्षम्य है, परंतु समकक्ष विभाग प्रमुखों को इस कोताही के लिए कतई माफ नहीं किया जाना चाहिए!
यह गजब है कि कोई विभाग प्रमुख (पीएचओडी) रिटायर होने के बाद भी ऑफिस में बाकायदा बैठकर लगातार पंद्रह दिनों से काम कर रहा हो, अपने मातहत रहे अधिकारियों और कर्मचारियों को डांट-डपट रहा हो, हड़का रहा हो, मातहत अधिकारी की गाड़ी जबरन इस्तेमाल कर रहा हो, फिर भी उसके मातहतों को तो छोड़ो, उसके ऊपर समकक्ष अधिकारी भी इसे अनदेखा करें, यह बात कुछ हजम में नहीं होती!
यह करिश्मा साक्षात घटित हुआ है पूर्वोत्तर रेलवे मुख्यालय गोरखपुर में, जहां पीसीएसओ एस. एन. शाह 30 अप्रैल को सेवानिवृत्त होने के बाद भी अब तक लगातार और बाकायदा अपने चैंबर में आकर पूर्व रुतबे के साथ बैठ रहे हैं।
बताते हैं कि उन्होंने इसका बहाना अपने मातहत काम कर रहे लोगों को यह कहकर बताया कि “उन्होंने सोचा, जब तक नए सीएसओ की पोस्टिंग नहीं होती, तब तक वह खुद पेंडिंग काम निपटा दें!”
अब एसएंडटी कैडर के इस वरिष्ठ मूढ़ व्यक्ति की नजर से देखा जाए, तो इसका तात्पर्य यह है कि जब तक नए जीएम की पोस्टिंग नहीं हो, तब तक रिटायर हो चुके जीएम को आकर काम करते रहना चाहिए!
आश्चर्य की बात यह है कि दूसरे विभागों के समकक्ष विभाग प्रमुखों ने इसका विरोध क्यों नहीं किया? यदि वह अपना बिरादरी भाव नहीं बिगाड़ना चाहते थे, तब भी उन्होंने यह बात जीएम के संज्ञान में लाना जरूरी क्यों नहीं समझा?
इसके अलावा पता चला है कि सीएसओ/एनईआर का अतिरिक्त कार्यभार मैकेनिकल डिपार्टमेंट के एक अधिकारी बी. एस. दोहरे को सौंपा गया है। यदि वह सीएसओ के चैंबर में नहीं भी बैठ रहे थे, तब भी उन्होंने शाह को वहां बैठने अथवा कार्यालय आने से मना क्यों नहीं किया?
दोहरे यदि शाह को टोककर उनसे बुरे नहीं बनना चाहते थे, तब भी रिटायरमेंट के बाद शाह के चैंबर में आकर बैठने की जानकारी से उन्होंने स्वयं महाप्रबंधक को अवगत क्यों नहीं कराया? जबकि अन्य विभाग प्रमुखों की अपेक्षा अतिरिक्त कार्यभारी होने से यह खुद उनकी पहली जिम्मेदारी थी?
जब यह विषय जीएम/पूर्वोत्तर रेलवे वी. के. त्रिपाठी से बात करके उनके संज्ञान में लाया गया, तब वह भी आश्चर्यचकित रह गए। उन्होंने कहा कि “ऐसा कैसे हो सकता है, क्योंकि सीएसओ का अतिरिक्त कार्यभार मैकेनिकल अधिकारी बी. एस. दोहरे को सौंपा गया है। तथापि वह इस पर अभी तत्काल कार्यवाही करने जा रहे हैं।”
यह विषय वास्तव में अत्यंत आश्चर्य का है कि एक रिटायर हो चुका अधिकारी लगातार पंद्रह दिनों से प्रतिदिन आकर पूर्ववत अपने चैंबर में बैठ रहा है। पूर्व की भांति कार्यालयीन सभी दैनंदिन कामकाज निपटा रहा है, तथापि न तो मातहत उसे कुछ कह पा रहे हैं और न ही उसके समकक्ष अधिकारी उसे कुछ बोल रहे हैं। मातहतों को तो एक बार यह सोचकर बख्शा जा सकता है कि शाह ने अब तक उनकी एसीआर नहीं लिखी है, हालांकि यह उनकी अक्षम्य कर्तव्यहीनता है, मगर समकक्ष अधिकारियों को इस कोताही के लिए कतई माफ नहीं किया जाना चाहिए।
चूंकि एस. एन. शाह रिटायर हो चुके हैं, व्यवस्था से बाहर हो चुके हैं, इसलिए अधिकारिक तौर पर अथवा अन्य किसी भी रूप में वह ऑफिस या चैंबर में बैठने के हकदार नहीं रह गए थे। तथापि उन्होंने जानबूझकर ऐसा किया।
अतः सर्वप्रथम उन्हें “कारण बताओ” नोटिस दी जानी चाहिए। तत्पश्चात इस बात की जांच की जानी चाहिए कि इन 14-15 दिनों में उन्होंने ऑफिस में बैठकर क्या-क्या घालमेल किया?