रेलकर्मियों को कोरोनायोद्धा घोषित कर उनका और उनके परिजनों के टीकाकरण को प्राथमिकता देने की मांग
गोरखपुर के सांसद रविकिशन शुक्ला ने लिखा केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ हर्षवर्धन को पत्र
रेल कर्मचारियों को कोरोना योद्धा का दर्जा देते हुए उनका अविलंब टीकाकरण करवाया जाए, जिससे उनका और उनके परिजनों का जीवन सुरक्षित हो सके तथा वे निर्भय होकर पूरे मनोयोग से इस संघर्ष में अपना संपूर्ण योगदान दे सकें!
गोरखपुर के सांसद रविकिशन शुक्ला ने हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ हर्षवर्धन को एक पत्र लिखकर रेलकर्मियों को कोरोनायोद्धा घोषित कर उनका और उनके परिजनों के टीकाकरण पर विशेष ध्यानाकर्षण किया है।
उन्होंने लिखा है कि उनके कुशल नेतृत्व में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय कोरोना महामारी से निपटने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहा है, जो अत्यंत सराहनीय है। वह उनके इस अद्वितीय प्रयास के लिए उन्हें बधाई देते हैं और उनके प्रति हार्दिक आभार प्रकट करते हैं।
सांसद रविकिशन शुक्ला ने कहा है कि कोरोना महामारी से लड़ने में भारतीय रेल की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही है। रेलवे के कर्मचारी इस भीषण संकट में भी निःस्वार्थ भाव से कोरोना योद्धा की तरह लोगों की सेवा में लगे हुए हैं, जो कि वास्तव में सराहनीय है। लेकिन उन्हें सरकार ने कोरोना योद्धा नहीं माना है, यह दुःखद है।
उन्होंने कहा कि इसके कारण अन्य फ्रंटलाइन हेल्थ वर्कर की तरह रेलकर्मियों का टीकाकरण नहीं हो रहा है, जिससे वे और उनके परिजन संक्रमित हो रहे हैं तथा उन्हें अनेक कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा हैं, जो गम्भीर चिंता का विषय है।
उन्होंने कहा कि इस बारे में इंडियन रेलवे टिकट चेकिंग स्टाफ ऑर्गनाइजेशन (#IRTCSO) के बार-बार अनुरोध करने के बाद भी पूर्वोत्तर रेलवे, गोरखपुर सहित किसी भी अन्य रेलवे जोन में 45 वर्ष से कम उम्र के टिकट चेकिंग स्टाफ, ड्राइवर, गार्ड, एसी/कोच अटेंडेंट और पेंट्रीकार में सेवा देने वाले कर्मचारियों का टीकाकरण नहीं हो पा रहा है, जिससे वे बड़ी संख्या में संक्रमित हो रहे हैं।
उन्होंने यह भी कहा है कि अब तक संक्रमण के कारण अनेक रेलकर्मियों की मृत्यु हो चुकी है। अतः आपसे निवेदन है कि रेलगाड़ी में सेवा देने वाले कर्मचारियों यथा टिकट चेकिंग स्टाफ, ड्राइवर, गार्ड, एसी/कोच अटेंडेंट और पेंट्रीकार के कर्मचारियों को कोरोना योद्धा का दर्जा देते हुए उनका अविलंब टीकाकरण करवाया जाए, जिससे उनका और उनके परिजनों का जीवन सुरक्षित हो सके तथा वे निर्भय होकर पूरे मनोयोग से इस संघर्ष में अपना संपूर्ण योगदान दे सकें।
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि रेल के मान्यताप्राप्त दोनों फेडरेशन – एनएफआईआर एवं एआईआरएफ – ने भी प्रधानमंत्री, रेलमंत्री और सीईओ रेलवे बोर्ड को पत्र लिखकर रेलकर्मियों तथा उनके परिजनों को टीकाकरण में प्राथमिकता देने की मांग की है। परंतु अब तक उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई है, क्योंकि पिछले सात सालों से चुप रहकर अथवा सभी सही-गलत फैसलों पर सरकार/रेलमंत्री का मूक समर्थन करने के कारण कमोबेश दोनों फेडरेशनों ने रेलकर्मियों का विश्वास खो दिया है।